यह तो अच्छा है कि स्टेशनों का रख-रखाव भी रेलवे के ही जिम्मे है, नहीं तो पता नहीं आपसी लड़ाई में राजनीती ऐसी धरोहरों का क्या हाल कर के धर देती ! आधे में रौशनी होती, आधे में अंधकार ! आधा रंग-रोगन से चमकता, तो आधा बेरंगत फटे हाल ! आधे में साफ़-सफाई, तो आधा बदबूदार ! आधे के कर्मचारी उसके, आधे के इसके ! ना आपस में समन्वय, ना कोई भाईचारा ! इन सबके बीच मुसाफिर बेचारा रहता आफत का मारा ............!!
#हिन्दी_ब्लागिंग
रेल सदा ही अबाल-वृद्ध में उत्सुकता, अचरज व लोकप्रियता का मुद्दा रही है। हमारी रेल व्यवस्था दुनिया के रेल तंत्र में चौथे स्थान पर है। साढ़े बारह हजार से भी ऊपर हमारी यात्री गाड़ियां रोज दो करोड से भी ज्यादा लोगों को अपने मुकाम पर पहुंचाने में लगी रहती हैं। इनको लाने ले जाने के पड़ाव के रूप में तकरीबन साढ़े आठ हजार के लगभग स्टेशन कार्यरत हैं। इनमें से कई अपनी अजीबोगरीब खासियतों के कारण मशहूरी पा चुके हैं। कोई अपनी ऊंचाई, कोई लम्बाई, कोई व्यस्तता, कोई अपने परिवेश, कोई अपने नाम को ही ले कर कौतुक का विषय बन चुका है। यदि ऐसे सारे अजूबों की बात की जाए तो अच्छा-खासा मोटा ग्रंथ बन जाएगा। इसलिए आज सिर्फ ऐसे दो रेलवे स्टेशनों की बात जो बात ही बात में दो राज्यों के बीच बंट कौतुक की बात बनने के बावजूद अवाम में गुमनाम सी बात बन कर रह गए हैं।
पहला है, नवापुर का स्टेशन ! पश्चिम रेलवे के सूरत-भुसावल मार्ग पर पड़ने वाला यह स्टेशन दो राज्यों में बंटा हुआ है ! इसका आधा हिस्सा महाराष्ट्र में और आधा गुजरात में पड़ता है। जब यह स्टेशन बनाया गया था तब महाराष्ट्र और गुजरात अलग-अलग प्रांत नहीं थे। तब इसे बाम्बे प्रेसीडेंसी में बनाया गया था। परन्तु जब 1961 में राज्यों का बंटवारा हो महाराष्ट्र और गुजरात अलग हुए तो नवापुर दोनों के हिस्से में आ गया। तब ज्यादा बखेड़ा न कर इसे यथावत रख दोनों राज्यों के बीच बांट दिया गया। स्टेशन की कुल लंबाई 800 मीटर है जिसके 300 मीटर का हिस्सा महाराष्ट्र में पड़ता है तथा 500 मीटर का हिस्सा गुजरात में ! यदि स्टेशन पर कोई रेलगाड़ी महाराष्ट्र से आ रही है तो उसका इंजन गुजरात में होता है और यदि गुजरात से ट्रेन आ रही है तो उसका इंजन महाराष्ट्र में होता है। इसके रेलवे पुलिस स्टेशन, जलपान गृह, टिकट घर, महाराष्ट्र राज्य के नंदूरबार जिले के नवापुर में आते हैं और स्टेशन मास्टर, वेटिंग रूम, पानी की टंकी और शौचालय गुजरात राज्य के तापी जिले के उच्छल में पड़ते हैं। इस स्टेशन पर आने वाली रेलगाड़ियों का एक हिस्सा महाराष्ट्र और दूसरा हिस्सा गुजरात में खड़ा होता है। दोनों राज्यों की सीमाओं को दिखाने के लिए इस स्टेशन के बीचो-बीच एक बेंच लगाई गई है, जिस पर बाकायदा पेंट कर दोनों राज्यों की सीमाओं के बारे में बताया गया है। इसमें एक तरफ गुजरात व दूसरी ओर महाराष्ट्र लिखा हुआ है। इसका उल्लेख एक बार रेल मंत्री भी कर चुके हैं। अलग-अलग भाषाओं के राज्य होने के कारण रेलों के आने-जाने की जानकारी भी चार भाषाओं हिंदी-अंग्रेजी-मराठी व गुजराती में दी जाती है ! एक और मजे की बात ! सुरा प्रेमी और गुटका-मसाला के चहेतों को यहां थोड़ा सजग रहने की भी जरुरत है ! ऐसी कोई भी लत लात खाने का कारण बन सकती है ! क्योंकि गुजरात में शराब बंदी है तो महाराष्ट्र में गुटका बैन है !
ऐसा ही एक दूसरा रेलवे स्टेशन है, भवानी मंडी ! जो भारतीय रेलवे के अनोखे स्टेशनों की फेहरिस्त में शामिल है ! रेलवे के वेस्ट सेन्ट्रल जोन के कोटा रेलवे डिवीजन के अंतर्गत आने तथा राजस्थान के झालावाड़ जिले में पड़ने वाले इस स्टेशन का उत्तरी हिस्सा मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में तथा दक्षिणी भाग राजस्थान के झालावाड़ में पड़ता है। इसलिए आधी गाडी एक राज्य में खड़ी होती है तो आधी दूसरे राज्य में ! चालक एक राज्य में होता है तो गार्ड दूसरे प्रांत में ! दो राज्यों की मिलकियत बना यह स्टेशन, दो राज्यों को रेलवे के जरिए एक भी करता है। इस स्टेशन पर भी दोनों राज्यों की सीमाओं को दिखाने के लिए बोर्ड लगाए गए हैं। नवापुर स्टेशन की तरह ही भवानी मंडी स्टेशन का टिकट बुकिंग काउंटर मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में पड़ता है तो स्टेशन में आने का रास्ता और इसका प्रतीक्षालय राजस्थान के झालावाड़ जिले के अंतर्गत आते हैं। इसीलिए वह मजेदार मंजर बनता है जहां टिकट मध्य प्रदेश से दिया जाता है और लिया राजस्थान में जाता है !
यह तो अच्छा है कि स्टेशनों का रख-रखाव भी रेलवे के ही जिम्मे है, नहीं तो पता नहीं आपसी लड़ाई में राजनीती ऐसी धरोहरों का क्या हाल कर के धर देती ! आधे में रौशनी होती, आधे में अंधकार ! आधा रंग-रोगन से चमकता, तो आधा बेरंगत फटे हाल ! आधे में साफ़-सफाई, तो आधा बदबूदार ! आधे के कर्मचारी उसके, आधे के इसके ! ना आपस में समन्वय, ना कोई भाईचारा ! इस सबके बीच रहता मुसाफिर आफत का मारा !
@चित्र अंतरजाल के सौजन्य से
21 टिप्पणियां:
ज्ञानवर्धक एवं रोचक लेख सर।
सादर।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 13 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
श्वेता जी
अनेकानेक धन्यवाद
दिव्या जी
सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14 -7 -2020 ) को "रेत में घरौंदे" (चर्चा अंक 3762) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
कामिनी जी
सम्मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
जानकारीपरक और सुन्दर आलेख।
Behtarin jankari ke lie aabhar
नमस्ते,
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 14 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ज्ञानवर्धक लेख
बढ़िया पोस्ट।
शास्त्री जी
बहुत-बहुत आभार
कदम जी
पधारने हेतु बहुत-बहुत आभार
रविंद्र जी
सम्मलित कर सम्मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
@hindiguru
आपका सदा स्वागत है
सुशील जी
अनेकानेक धन्यवाद, स्नेह बना रहे
आ गगन शर्मा जी, आपने इस लेख में बहुत रोचक जानकारी दी है। नवापुर और भवानी मंडी स्टेशनों से होकर दो राज्यों की विभाजन रेखा गुजरती है। दोनों स्टेशनों पर एक अंतर पा सकते हैं। नवापुर में चार भाषाओं में घोषणा होती है, परन्तु भवानी मंडी में शायद दो ही भाषाओं में होती होगी। इसके बारे में आप ही विस्तार से बता सकते हैं।--ब्रजेन्द्र नाथ
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (15-07-2020) को "बदलेगा परिवेश" (चर्चा अंक-3763) पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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मज़ेदार जानकारी
ब्रजेंन्द्र जी
दोनों ही तकरीबन हिंदी भाषी राज्य हैं
ओंकार जी
सदा स्वागत है
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