मंगलवार, 5 मई 2020

शैवतीर्थ उनाकोटी, जहां बिखरी पड़ी हैं असंख्य मूर्तियां और प्रतिमाएं

तेज प्रवाह वाली नदियों, उबड़ खाबड़ पहाड़ियों, दूर तक फैले घने जंगलों, दलदली इलाकों के बीहड़ के बीच  अज्ञात सा, अद्भुत रहस्यमय स्थान, उनाकोटी ! जहां जंगल की क्षीणकाय, नामालूम सी पगडंडियों पर चल कर ही पहुंचा जा सकता है। अभी भी इसके और इसके जंगलों के बीच अफरात में फैले शैलचित्रों और मूर्तियों के भंडार और उनकी खासियत के बारे में बहुतेरे देशवासियों को कोई खबर नहीं है  

#हिन्दी_ब्लागिंग  
उनाकोटि हमारे देश के त्रिपुरा राज्य का एक विचित्र, अनोखा, रोमांचक, रहस्यमय, अज्ञात सा एक ऐसा अद्भुत स्थान, जिसकी आज भी अधिकांश देशवासियों को कोई खबर नहीं है ! छविमुड़ा गांव के आगे घोर जंगलों के बीचोबीच, मानव बस्तियों से दूर बीहड़ में मौजूद असंख्य हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। ऐसा अनोखा, भव्य और असीमित मूर्ति भंडार देश के किसी भी और हिस्से में उपलब्ध नहीं है ! जिन्हें पहाड़ी को काट कर या उन्हीं पर उकेर कर बनाया गया है। उन्हें देख यह किसी इंसानी हाथ का काम नहीं लगता।  






तेज प्रवाह वाली नदियों, उबड़-खाबड़ पहाड़ियों, दूर-दूर तक फैले घने जंगलों, दलदली इलाकों के बीहड़ के बीच स्थित है यह अज्ञात सा,अद्भुत रहस्यमय स्थान उनाकोटी। जहां जंगल की क्षीणकाय, नामालूम सी पंगडंडियों पर चल कर ही पहुंचा जा सकता है। अभी भी इसके और इसके जंगलों के बीच अफरात में फैले शैलचित्रों और मूर्तियों के भंडार और उनकी खासियत के बारे में बहुतेरे देशवासियों को कोई खबर नहीं है। जनशून्य जगह में, बीहड़ के बीचोबीच, किसी साधन की उपलब्धता के आसार के बिना, इतनी मात्रा में भव्य मूर्तियों का निर्मित होना लंबे समय से खोज व शोध का विषय बना हुआ है ! स्थानीय लोगों के अनुसार यह सब कुछ दैवीय कृपा से ही संभव हो पाया है !








यहां की मुख्य मूर्ति शिव जी की उनाकोटेश्वर कालभैरव नामक करीब 30-35 फुट की विशाल प्रतिमा है, जिस पर उकेरा गया मुकुट ही दस फुट का है ! इनके दोनों ओर दो स्त्री विग्रह हैं जिनमें एक सिंहारूढ दुर्गा जी की मूर्ति है। यहीं विष्णु जी की वृहदाकार मूर्ति के साथ ही गणेश जी की चार भुजाओं व तीन दांतों तथा आठ भुजाओं और चार दाँतों वाली कहीं और ना पायी जाने वाली दुर्लभ मूर्तियों के अलावा माँ दुर्गा, माँ काली की हैरान कर देने वाली प्रतिमाओं के साथ-साथ नंदी और अन्य देवताओं की भी ढेर सारी अनगिनत मूर्तियां बनी हुई हैं। मान्यता के अनुसार गिनती में ये एक कम, एक करोड़ हैं।  





स्थानीय लोगों के अनुसार, जो यहां आ कर इन प्रतिमाओं की पूजा भी करते हैं, इन सभी कलाकृतियों का संबंध पौराणिक कथाओं से है। उनके अनुसार हजारों साल पहले कालू नामक एक महान शिव भक्त मूर्तिकार हुआ करता था। वह अपने आप को शिव-गौरी का पुत्र मान उनके पास कैलाश जाना चाहता था। उसकी जिद को देख देवताओं ने एक शर्त रखी कि यदि वह एक रात में एक करोड़ मूर्तियों का निर्माण कर देगा तो उसे कैलाश भेज दिया जाएगा। कालू प्रस्ताव मान काम में जुट गया ! उसने रात भर मेहनत कर काम पूरा कर दिया, पर उससे गिनती में जरा सी भूल हो गयी ! प्रस्तावित संख्या से एक मूर्ति कम बनी थी ! यानी एक करोड़ में एक मूर्ति कम रह गयी और इस कारण शिल्पकार कालू धरती पर ही रह गया। स्थानीय भाषा में एक करोड़ में एक कम संख्या को उनाकोटि कहते हैं। इसलिए इस जगह का नाम उनाकोटि पड़ गया। 







त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से यह लगभग 125 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां सड़क मार्ग द्वारा आराम से पहुंचा जा सकता है। यहां का नजदीकी हवाई अड्डा अगरतला एयरपोर्ट है। रेल मार्ग से जाने पर कुमारघाट या धर्मनगर रेलवे स्टेशन पर उतरना ठीक रहता है। 

@सभी चित्र अंतरजाल के सौजन्य से 

12 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (06-05-2020) को   "शराब पीयेगा तो ही जीयेगा इंडिया"   (चर्चा अंक-3893)    पर भी होगी। -- 
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
-- 
आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें।  
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
--
सादर...! 
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी
मान देने हेतु हार्दिक आभार

Onkar ने कहा…

आश्चर्यजनक

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ओंकार जी
रहस्यमय और अद्भुत भी !

Kamini Sinha ने कहा…

बहुत ही ज्ञानवर्धक और रोचक लेख ,मैंने भी इस स्थान के बारे में " Epic channal " पर देखा था ,धरा पर इस तरह के हेरतअंगेज कलाकृतिया हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि -अभी भी कितने रहस्य छुपे हैं ,सादर नमस्कार आपको

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कामिनी जी
अपना देश विलक्षण स्थानों से भरा पडा है, उनको देखने निकलें तो एक जन्म कम पड जाए

Harsh Wardhan Jog ने कहा…

बहुत सुंदर बहुत विचित्र!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हर्ष जी
आश्चर्यजनक विविधताओं से भरा पड़ा है हमारा देश

Meena Bhardwaj ने कहा…

विस्मित करने वाली जानकारी ..चित्रों के साथ प्रसंग बहुत प्रभावी लगा ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मीना जी
हार्दिक आभार

मन की वीणा ने कहा…

शानदार ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कुसुम जी
अनेकानेक धन्यवाद

विशिष्ट पोस्ट

कारनामे सिर्फ एक वोट के

हम  व्यवस्था को उसकी नाकामियों की वजह से कोसने में कोई ढिलाई नहीं बरतते पर कभी भी अपने कर्तव्य को नजरंदाज करने का दोष खुद को नहीं देते ! वर्...