मंगलवार, 25 नवंबर 2014

बहुत टेंशन है

पति बोला,  देखा मेरा कारनामा, मैने खटिये को इतना पीटा, तुम्हें छुआ भी नहीं। पत्नी भी कहां कम थी बोली, मैं भी गला फाड़ कर चिल्लाई, रोई मैं भी नहीं। इतने में मेहमान ने कमरे में आते हुए कहा, मैं भी ऐसे ही बाहर बैठा था, गया मैं भी नहीं।

सब जानते हैं  कि तनाव सेहत के लिए ठीक नहीं होता पर आज की जीवन शैली ने परिस्थितियां ही कुछ ऐसी बना दी हैं कि  हर दूसरा व्यक्ति इससे ग्रस्त  मिलता है। अपवाद भी हैं जैसे, कुछ लोग अपने-आप को व्यस्त दिखाने के लिए ऐसा दिखने की कोशिश करते हैं, तो कुछ ऐसा दिखावा करना अपना बड़पन्न समझते हैं तो कुछ महानुभाव एवंई बिना बात के ही, "काजी जी परेशान क्यों ? शहर के अंदेशे से" की तर्ज पर टेंशनाए घूमते रहते हैं। इनकी बात छोड़ें तो कोई भी इंसान तनाव को जान-बूझ कर मोल नहीं लेता यह बला तो खुद ब खुद गले आ पड़ती है। 
यह कहना बहुत आसान है कि अरे भाई टेंशन मत लो, पर कहने और होने में बहुत फर्क होता है। सभी जानते हैं , पर कोई क्या इसे जान-बूझ कर पालता है ? फिर भी कोशिश तो की जा सकती है इसे कम करने के लिये। मेरे एक डाक्टर मित्र ने मुझे तनाव मुक्त होने के पांच गुर बताये हैं। फायदा ज्यादा नुक्सान कुछ नहीं। बिना टेंशन के आप इन्हें आजमा सकते हैं। 

1 :- तनाव में सांस की प्रक्रिया आधी रह जाती है। इसलिये दिमाग में आक्सीजन की कमी को दूर करने के लिये गहरी सांस लें।

2 :- तनाव के क्षणों में चेहरा सामान्य बनाए रखें। क्योंकि स्नायुतंत्रं की जकड़न से शरीर पर बुरा असर पड़ता है। थोड़ा मुस्कुराने की चेष्टा करें। ऐसा करने से मष्तिष्क में रक्त संचार बढ़ता है।   भृकुटि तनने से 72 मांसपेशियों को काम करना पड़ता है। मुस्कुराने में सिर्फ 14 को। इसलिये ना चाहते हुए भी मुस्कुरायें। 

3 :- सर्वे में देखा गया है कि तनाव में शरीर खिंच जाता है, भृकुटि तन जाती है, गाल पर रेखायें खिंच जाती हैं। तनाव ग्रस्त इंसान कंधे झुका, सीने-गर्दन को अकड़ा, माथे पर हाथ रख, गुमसुम हो जाता है। इससे रक्त संचरण कम हो जाता है तथा तनाव और बढ़ जाता है। इससे बचने के लिये, करवट बदलिये, बैठने का ढ़ंग बदलिये। खड़े हैं तो बैठ जायें, बैठे हैं तो खड़े हो जायें या लेट जायें। कमर सीधी रखें। पेट को ढ़ीला छोड़ दें, आराम से सांस लें। इतने से ही राहत का एहसास होने लगेगा।

4 :- तनाव में अनजाने में ही जबड़े, गर्दन, कंधे और पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है जिससे शरीर में जकड़न आ जाती है। हर मनुष्य की यह जकड़न, गठान अलग-अलग होती है। इसे सामान्य रखने की कोशिश करनी चाहिये।

5 :- तनाव के क्षणों में कोई भी काम करने से पहले थोड़ा रुकें। क्या हो रहा है, इस पर थोड़ा सोचें। जल्दि या हड़बड़ी में निर्णय लेने से तनाव बढ़ सकता है। सबसे बड़ी बात, सकारात्मक सोच ही तनाव से मुक्ति दिलाने के लिये काफी है।

यह तो रही डाक्टर की सलाह। लगे हाथ मेरी भी सुन लें। आजमाया हुआ नुस्खा है। अपना बड़पन्न  भूल कर
कार्टून देखें, समय हो तो कोई हास्य फिल्म, पूरी ना सही उसका कुछ ही हिस्सा देख लें। नहीं तो यह चुटकुला तो है ही, जो  पंजाबी में लयबद्ध रूप में है, हिंदी में पढ़वाता हूं।  पूराना है पर असरकारक है :-

बंता के घर रात को अनचाहा मेहमान आ गया। पति-पत्नी ने उसे भगाने की एक तरकीब निकाली। मेहमान को बाहर बैठा दोनों अंदर कमरे में जा जोर-जोर से लड़ने लगे। फिर पत्नी  के पिटने और उसके जोर-जोर से चिल्लाने की आवाजें आने लगीं। इसे सुन मेहमान उठ कर घर के बाहर चला गया। बंता ने झांक कर देखा तो मेहमान नदारद था। उसने पत्नी से कहा, देखा मेरा कारनामा, मैने खटिये को इतना पीटा, तुम्हें छुआ भी नहीं। पत्नी भी कहां कम थी बोली, मैं भी तो गला फाड़-फाड़  कर चिल्लाई, रोई मैं भी नहीं। इतने में मेहमान ने कमरे में आते हुए कहा, मैं भी ऐसे ही बाहर जा बैठा था, गया मैं भी नहीं।
(पति - देक्खी मेरी चतुराई, डांग नाल  कित्ती मंजी दी कुटाई, तैन्नू छूया बी नईं। 
पत्नी - मैं बी तां  संग फाड़  चिल्लाई,  रोई मैं बी नईं।   
तभी मेहमान कमरे में आ बोला -  मैं बार जा खलोत्ता, गया मैं बी नईं।)
डांग = डंडा,  नाल = साथ,  मंजी = खटिया, संग = गला, खलोत्ता = खड़ा      

2 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

डॉक्टर ने बड़े काम कि सलाह दी है वह भी मुफ्त .....आवश्यकता पड़ने पर हर किसी को आजमाना चाहिए इसे ..

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कविता जी, ब्लॉग पर सदा स्वागत है

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