इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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6 टिप्पणियां:
भगवान की लाचारी देख आँखें नम हो आई...कंटःअ अवरुद्ध हो उठा...कुछ लिखा ही नहीं जा रहा है टिप्पणी में...भाव समझ जाना और इन्हें आंसूओं के मोती मानना....बिखरे वाले. :)
सत्य कहा ईश्वर ने.
अब तो भगवान भी परेशान है कि कहीं भारतवासी चित्रगुप्त को भी भ्रश्टाचारी न बना दें और सारे नेता स्वर्ग में आ जाएं। उन्हें अपना सिंहासन डोलता नज़र आ रहा है.... सात समन्दर डोल गया...:)
भगवान की दशा समझी जा सकती है ...
भगवान् के पास भ्रह्मस्त्र है. कब तक रोते फिरेंगे.
khud n ro kar apradhiyon ko rulaen to baat hai
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