इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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यह शै ऐसी है कि इसकी दुकान का नाम दूसरी आम दुकानों की तरह तो रखा नहीं जा सकता, इसलिए बड़े-बड़े अक्षरों में ठेका देसी या अंग्रेजी शराब लिख उसक...
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कल रात अपने एक राजस्थानी मित्र के चिरंजीव की शादी में जाना हुआ था। बातों ही बातों में पता चला कि राजस्थानी भाषा में पति और पत्नी के लिए अलग...
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युवक अपने बच्चे को हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से परिचित करवा रहा था। आजकल के अंग्रेजियत के समय में यह एक दुर्लभ वार्तालाप था सो मेरा स...
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"बिजली का तेल" यह क्या होता है ? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि बिजली के ट्रांस्फार्मरों में जो तेल डाला जाता है वह लगातार ...
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6 टिप्पणियां:
भगवान की लाचारी देख आँखें नम हो आई...कंटःअ अवरुद्ध हो उठा...कुछ लिखा ही नहीं जा रहा है टिप्पणी में...भाव समझ जाना और इन्हें आंसूओं के मोती मानना....बिखरे वाले. :)
सत्य कहा ईश्वर ने.
अब तो भगवान भी परेशान है कि कहीं भारतवासी चित्रगुप्त को भी भ्रश्टाचारी न बना दें और सारे नेता स्वर्ग में आ जाएं। उन्हें अपना सिंहासन डोलता नज़र आ रहा है.... सात समन्दर डोल गया...:)
भगवान की दशा समझी जा सकती है ...
भगवान् के पास भ्रह्मस्त्र है. कब तक रोते फिरेंगे.
khud n ro kar apradhiyon ko rulaen to baat hai
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