वर्षों से हमारे यहां बच्चों में अच्छे संस्कार ड़ालने के लिए कहानियों का सहारा लिया जाता रहा है। पाठ्य पुस्तकों में भी ऐसी कथाओं को समाहित किया जाता था जिससे बच्चों में प्रेम, करुणा, आदर, क्षमा, निड़रता, स्वाबलंबन जैसे गुण कूट-कूट कर भरे जा सकें।
समय बदल चुका है, विषय बदल गये हैं पर उन कथाओं में सरल भाषा में निहित शिक्षा इस हाई-फाई जमाने मे भी अपना वैसा ही असर बरकरार रख पाने में सक्षम है। ऐसी ही एक कहानी प्रस्तुत है जो अपना काम खुद करने का संदेश देती है।
एक खेत में एक चिड़िया ने घोंसला बना कर उसमें अंड़े दिए। समय के साथ अंडों से बच्चे निकले जो धीरे-धीरे बड़े होने लगे। चिड़िया रोज उन्हें घोंसले में ही रहने की हिदायत दे चुग्गे की तलाश में निकलती थी। ऐसे ही एक दिन जब वह शाम को लौटी तो बच्चे सहमे से बैठे थे। चिड़िया ने उनके ड़रे होने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि आज खेत का मालिक किसान आया था और कह रहा था कि फसल पक गयी है कल गांव वालों के साथ आ कर काट ले जाऊंगा।
अब हमारा क्या होगा? ड़रे हुए बच्चों ने अपनी माँ से पूछा।
चिड़िया ने शांत स्वर में जवाब दिया, घबड़ाओ नहीं, वह अभी नहीं आएगा।
इस तरह कुछ दिन बीत गये। एक दिन फिर बच्चों ने परेशान हो कर अपनी माँ को बताया कि, आज फिर किसान आया था, कह रहा था गांव वाले तो नहीं आ सके, कल अपने मित्रों-बांधवों को साथ ला फसल काट कर घर ले जाऊंगा।
चिड़िया ने अपने बच्चों को दिलासा दिया कि अभी ऐसा कुछ नहीं होगा चिंता ना करो।
फिर कुछ दिन निकल गये। एक दिन चिड़िया के बच्चों ने उसके आने पर हंसते हुए उसे बताया कि आज वैसे ही फिर किसान आया था उसने कुछ करना-वरना तो है नही, पहले जैसा ही बोल रहा था कि मैं कल खुद अपने लड़कों को लेकर आऊंगा और फसल काटूंगा।
चिड़िया ने तुरंत कहा, बच्चो अब जाने का समय आ गया है, कल सबेरे ही हम उड़ चलेंगे। बच्चों ने आश्चर्य से पूछा कि माँ आज ऐसी क्या बात हो गयी? वह तो पहले भी ऐसा बोल कर जाता था पर फिर फसल काटने कहां आया था? इस बार भी नहीं आएगा।
इस पर चिड़िया ने उनको फर्क समझाया कि पहले दोनों बार वह किसी और के भरोसे काम करने की सोच रहा था। पर इस बार वह अपना काम खुद करने वाला है। इसलिए कल फसल जरूर कटेगी।
कहानीकार ने कितने सरल तरीके से समझाने की कोशिश की है कि जब इंसान दूसरों का भरोसा छोड़ अपना काम खुद करने की ठानता है तो फिर कोई अड़चन उसकी राह में बाधा नहीं बनती।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
बुधवार, 14 जुलाई 2010
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5 टिप्पणियां:
प्रेरक रचना, आभार।
................
पॉल बाबा का रहस्य।
आपकी प्रोफाइल कमेंट खा रही है?.
प्रेरणादायी पोस्ट. आभार.
खूबसूरत कहानी से बात को समझाया.
अच्छी रचना.
बहुत सुंदर ओर सटीक कहानी, मेरे साथ ऎसा हो चुका है, धन्यवाद
प्रेरणा देती है आपकी लघु कहानी ...
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