बैंकाक में एक किसान ने अदालत में अपनी बीवी को तलाक देने के लिए अर्जी दी। जानते हैं कब, अपनी शादी की 73वीं सालगिरह पर। और कारण बताया कि हम दोनों का स्वभाव मेल नहीं खाता।
जापान के एक पति महोदय अपनी पत्नी से तलाक लेकर इतने खुश थे कि इस दिन को हर साल मुक्ति दिवस के रूप में मनाया करते थे। वर्षों बाद ऐसे ही एक मुक्ति दिवस समारोह में उनकी मुलाकात अपनी उसी भूतपूर्व पत्नी से हो गयी।
फिर? फिर क्या, वे दोनो फिर पति-पत्नी बन गये।
सुप्रसिद्ध हालिवुड़ अभिनेत्री एलिजाबेथ टेलर और अभिनेता रिचर्ड़ बर्टन एक दूसरे से तीन-तीन बार तलाक लेने के बाद फिर-फिर आपस में शादी के बंधन में बंधते रहे थे।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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7 टिप्पणियां:
शर्मा जी पहले तो कुल्लू मनाळी मै घुमा दिया, अब तलाक के किस्से, वेसे यह मुक्ति दिवस तो जरुर मनाना चाहिये:)
ऐसी मुक्ति क्या काम की जो फ़िर से गुलामी की ओर ले जाए।
और अगर गुलामी ही करनी है तो एक ही मालिक की करों।
एक स्थान पर पड़ा हुआ पत्थर भी कुछ काल के बाद भगवान हो जाता है।
:):):)
दुनिया अजब गजब । शुभकामनायें
अजी बुढ़ापे में स्वभाव कहाँ मेल खाते हैं ....पचास के बाद दरकन शुरू हो जाती है फिर तो चुहत्तर की बात है ....
लतीफा सुखान्त रहा!
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पढ़कर आशा ने अँगड़ाई ली!
विचारणीय पोस्ट। ये तो सोचना ही होगा कि आखिर ऐसा होता क्यों रहा। अपने देश में भी ये समस्या अब जरूरत से ज्यादा बढ़ गई है।
sch khaa aaaapne tlaq aek mzaaq bn gyaa he iske liyen szza kaa qaanun honaa chaahiye. akhtar khan akela kota rajsthan
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