चलो देर से ही सही नींद तो खुली। वैसे इसे देर भी नहीं कह सकते क्योंकी जब-जब, जो-जो, होना है। तब-तब सो-सो होता है। आखिर में सागर के अथाह जल की ओर ध्यान गया ही सरकार का। वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धी हासिल कर ही ली। रोज दिल दहलाती, जी जलाती, आग उगलती खबरों के बीच ठंड़ी हवा का झोंका बन कर आयी यह खबर कि समुद्री पानी को पीने योग्य बना लिया गया है।
ऐसा नहीं है कि इससे पहले सागर से पीने का पानी बनाने की बात नहीं सोची गयी पर उस पर खर्च इतना आता था कि उसका वहन सब के बस का नहीं था। और तब ना ही इतना प्रदुषण था ना ही बोतलबंद पानी का इतना चलन। अब जब पानी दूध से भी मंहगा होता जा रहा है, तो कोई उपाय तो खोजना ही था। फिलहाल लक्षद्वीप के कावारती द्वीप के रहने वालों को सबसे पहले इसका स्वाद चखने को मिल गया है। और यह संभव हो पाया है "राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान" के अथक प्रयासों के कारण। आशा है साल के खत्म होते-होते तीन संयत्र काम करना शुरु कर देंगे। एक लाख लीटर रोज की क्षमता वाले एक संयत्र ने तो 2005 से ही काम करना शुरु कर दिया है।
शुरु-शुरु में समुद्र तटीय इलाकों में इस पानी को पहुंचाने की योजना है। समुद्री पानी को पेयजल में बदलने के लिये निम्न ताप वाली "तापीय विलवणीकरण प्रणाली (L.T.T.D.) का उपयोग किया जाता है। यह प्रणाली सस्ती तथा पर्यावरण के अनुकूल है। इस योजना के सफल होने पर सरकार बड़े पैमाने पर बड़े संयत्रों को स्थापित करने की योजना बना रही है। अभी एक करोड़ लीटर रोज की क्षमता वाले संयत्र की रुपरेखा पर काम चल रहा है। सारे काम सुचारू रूप से चलते रहे तो दुनिया में कम से कम पानी की समस्या का तो स्थायी हल निकल आयेगा।
16 जून की अपनी एक पोस्ट में मुझे लगा था कि सागर की इतनी जल राशि के रहते पानी के लिये उतनी चिंता की आवश्यकता नहीं है जितनी की खोज की । सही भी है विज्ञान के इस युग में जब टायलेट का पानी साफ कर उपयोग में लाया जा सकता है तो फिर समुद्री पानी को क्यों नहीं । रही बात खर्चे की तो आज जो कीमत हम बोतलों में बंद पानी की दे रहे हैं, जिसके पूर्ण शुद्ध होने पर भी शक विद्यमान है, उससे तो सस्ता ही पड़ेगा सागर के पानी को साफ करना। आखिर अरबों लोगों, जीव-जंतुओं की प्यास का सवाल है।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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13 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया यह तो सबसे बड़ी समस्या थी |
लेकिन जो पानी अब हमारे पास है पहले उसे ही साफ़ कर ले काफ़ी होगा.... लेकिन कोन सुनता है मेरी, यह तो पंगा लेगे समूंदर के पानी से ही
सुखद समाचार है. समुद्री जल के पीने योग्य उपयोग से हमारी बहुत बड़ी समस्या का हल मिलेगा.
राज भाटिया जी की बातों पर भी ध्यान देना आवश्यक है, अभी पिछले दिनों ही किसी विदेशी नगर के सीवरेज के संबंध में टीवी में कार्यक्रम आ रहा था उसमें इस पानी को शुद्ध करने की बात कही गई थी, मैं कार्यक्रम पूरा नहीं देख पाया किन्तु इतना तो अवश्य है इस पर भी आन नहीं तो कल कार्य होगा और जल का एक एक बूंद उपयोग में आयेगा.
तो गोया अब समुद्र भी सूखने के कगार पर है:)
यानि कि अब समुद्र देवता की वाट लगने वाली है:)
वारिधि का उपयोग होगा अब पीने योग्य जल के लिये ! समाचार सुखद है । आभार ।
शायद समस्या समाधान इसी से हो.
ल है तो कल है
पानी की कमी समस्या नही बल्कि उसका सदुपयोग करना हम सीख जाये तो , धरती पर ही पानी बहुत है . वर्षा जल संरक्षण , बूँद सिंचाई , ओवरफ्लो को रोकना पानी की हर बूँद का महत्व समझे तो बात बनेगी . वरना जैसे धरती सुखा di वैसे सागर भी सुखा देंगे हम. खैर अच्छी खबर ke liye बधाई !!
paani ki kami nahi hai....hame rainwater harvesting apnaane ke zaroorat hai....kachree ko nadi naale me na faike...paani ko intelligently use kare to paani ki problem hi nahi hogi....
isi post ko newspaper amar ujala ke blog kone me padhte hue yaad aaya ki aisa hi kuchh "alag sa " me bahut pehle dekha tha....phir neeche dekha to blog ka naam "alag sa" hi likha tha.....is blog se mijhe kai rochak jaankaariyaa mili hai....gagan chachaji(sambodhan sweekare) ko dhanyawaad...
समस्या पानी की नही बल्कि
उसका सदुपयोग की है,
धरती पर पानी बहुत है
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C.M. is waiting for the - 'चैम्पियन'
प्रत्येक बुधवार
सुबह 9.00 बजे C.M. Quiz
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क्रियेटिव मंच
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अरे, ये तो बहुत उत्साह जनक समाचार है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
देर से पढ़ी लेकिन यह खबर अच्छी खबर है ।
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