शनिवार, 18 अप्रैल 2009

कैसी रही

पाकिस्तान में अनाज की भारी कमी हो जाने से सरकार ने फरमान निकाला कि अनाज की बर्बादी रोकी जाए। जिनके पास जानवर हैं वे भी उन्हें खिलाने में एहतियात बरतें। नियम का पालन करवाने के लिए सैनिकों की टुकड़ियां घूम-घूम कर जायजा लेने लग गयीं। ऐसे में सैनिकों का दस्ता एक गांव से गुजरा, उन्होंने देखा कि एक आदमी अपने घोड़े को चने खिला रहा है। सैनिक अदालत ने उस पर भारी जुर्माना कर दिया। कुछ दिनों बाद फिर सैनिक उधर से गुजरे उन्होंने फिर गांव वाले को अपने घोड़े को कुछ खिलाते देख पूछा, अब क्या खिला रहे हो? घोड़े वाले ने कहा घास। उस पर फिर जुर्माना ठोक दिया गया। कुछ दिनों बाद फिर सैनिकों ने उसी गांव का मुआयना किया और उस गांव वाले से पूछा आजकल घोड़े को क्या खिलाते हो? गांव वाला बोला हुजूर अब तो घोड़े को मैं पैसे दे देता हूं। उसकी जो इच्छा होती है बाजार जा खुद ही खा आता है।

6 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

अभी-अभी सूचना मिली है कि उस घोडे़ को तालिबानियों ने पकड़ लिया है:)

Gyan Darpan ने कहा…

एक बार ताऊ के साथ भी ऐसा ही हुआ था !

Shikha Deepak ने कहा…

बहुत खूब :)

aarti ने कहा…

a bitter truth of today.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया!!!

Urmi ने कहा…

पहले तो मै आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हू कि आपको मेरी शायरी पसन्द आयी !
मै औसट्रेलिया मे ज़रूर रहती हू पर मै पली बडी हू झाडखन्ड जमशेदपुर मे और मै हिन्दी शायरी और कविता लिखने मे बहुत दिलचस्पी रखती हू !
बहुत बढिया!! इसी तरह से लिखते रहिए !

विशिष्ट पोस्ट

रणछोड़भाई रबारी, One Man Army at the Desert Front

सैम  मानेक शॉ अपने अंतिम दिनों में भी अपने इस ''पागी'' को भूल नहीं पाए थे। 2008 में जब वे तमिलनाडु के वेलिंगटन अस्पताल में भ...