सोमवार, 13 अप्रैल 2009

ये पक्षियों की देख-भाल करते हैं

मनुष्यों के लिए तो शहर-शहर, गांव-गांव मे चिकित्सालय खुले होते हैं। बड़े शहरों में जानवरों की सेहत के लिए भी इंतजाम होता है। पर क्या आपने पक्षियों के अस्पताल के बारे में सुना है ?
जी हां! इन मासूम परिंदो के लिए देश का पहला चिकित्सालय दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में स्थित जैन मंदिर में खोला गया था। यहां पर लोग अपने बीमार तथा घायल पक्षियों को ला कर उनका उपचार करवाते हैं। यहां अधिकतर पंख कटे पक्षी लाए जाते हैं। बिल्ली-कुत्ते या बड़े शिकारी पक्षियों के शिकार होने से बचे या पतंग की डोर से घायल परिंदों की यहां बच्चों के समान देख-भाल की जाती है। यहां उनकी मरहम-पट्टी कर उन्हें एंटीबायटिक दवाएं दे कर उनकी जान बचाने की कोशिश की जाती है। यहां की सफाई तथा पक्षियों के आहार का विशेष ध्यान रखा जाता है। घायल पक्षी को अलग पिंजरे में रखा जाता है, जिससे अन्य पक्षी उसे नुकसान ना पहुंचा सकें। कुछ ठीक होने पर उसे एक जाली लगे कमरे में छोड़ दिया जाता है। पूर्ण रूप से ठीक होने पर उसे आजाद कर दिया जाता है।

इसी तरह का एक और अस्पताल जयपुर के सांगानेरी गेट के पास भी है। यहां आर्थिक लाभ की अपेक्षा त्याग की भावना से पूरी निष्ठा के साथ इन मूक, मासूम जीवों की निस्वार्थ सेवा कर उन्हें रोग मुक्त करने की चेष्टा की जाती है। यहां कोई भी अपने पालतु पक्षी का इलाज मुफ्त में करा सकता है।

महान थे वे लोग जिन्होंने इस बारे में सोचा और अपनी सोच को अमली जामा पहनाया। साथ ही धन्य हैं वे लोग जो निस्वार्थ रूप से जुड़े हुए हैं इस परोपकारी काम से।

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ब्लादिमीर इलिस उलयानोव ने अपने करीब ड़ेढ सौ उपनाम रखे। इन्हीं मे से एक उपनाम से वे विश्व्विख्यात भी हुए।
वह उपनाम था "लेनिन"।

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एक समय मैडम क्यूरी को फ्रेंच एकादमी ने अपना सदस्य बनाने से इंकार कर दिया था। कारण था उनका महिला होना।
उसी महिला ने दो-दो बार नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया और ऐसा करने वाली विश्व की पहली महिला बनीं।

9 टिप्‍पणियां:

Dipti ने कहा…

क्या आप मुझे दिल्ली के पक्षी अस्पताल का नम्बर दे सकते हैं?

दीप्ति

Dipti ने कहा…

क्या आप मुझे दिल्ली के पक्षी अस्पताल का नम्बर दे सकते हैं?

दीप्ति

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी दी आपने. आज के समय मे यह अनुकरणिय कार्य है. बिना किसी स्वार्थ के इन की सेवा करना.

रामराम.

Unknown ने कहा…

अच्छी बात है पशु और पक्षियों के लिए अस्पताल बन रहे हैं । कुछ इंसान आज भी चिकित्सा के अभाव में मर जाते हैं

Hari Joshi ने कहा…

इस अस्‍पताल के बारे में मैने पहले भी सुना है लेकिन कभी जा न सका। आपने बहुत अच्‍छी पोस्‍ट लिखी है।

संगीता पुरी ने कहा…

निरीह प्राणियों की सेवा के बारे में इतना जानकर बहुत खुशी हुई।

P.N. Subramanian ने कहा…

हाँ हमने दिल्ली में ही लगभग ३० वर्ष पूर्व देखा था. ऐसा ख्याल आ रहा है कि गुरूद्वारे के सामने की तरफ कहीं है. उस समय भी हमें बड़ा आश्चर्य हुआ. जयपुर के बारे में आज ही जाना. आभार.

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

यह पक्षी चिकित्सालय लाल किले के सामने चांदनी चौक पर स्थित जैन मंदिर में बना हुआ है।
फोन : 23280942

Chetan ने कहा…

mai bhee ek baar apne tote ko yahaa le jaa chuka hoon.

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