मनुष्यों के लिए तो शहर-शहर, गांव-गांव मे चिकित्सालय खुले होते हैं। बड़े शहरों में जानवरों की सेहत के लिए भी इंतजाम होता है। पर क्या आपने पक्षियों के अस्पताल के बारे में सुना है ?
जी हां! इन मासूम परिंदो के लिए देश का पहला चिकित्सालय दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में स्थित जैन मंदिर में खोला गया था। यहां पर लोग अपने बीमार तथा घायल पक्षियों को ला कर उनका उपचार करवाते हैं। यहां अधिकतर पंख कटे पक्षी लाए जाते हैं। बिल्ली-कुत्ते या बड़े शिकारी पक्षियों के शिकार होने से बचे या पतंग की डोर से घायल परिंदों की यहां बच्चों के समान देख-भाल की जाती है। यहां उनकी मरहम-पट्टी कर उन्हें एंटीबायटिक दवाएं दे कर उनकी जान बचाने की कोशिश की जाती है। यहां की सफाई तथा पक्षियों के आहार का विशेष ध्यान रखा जाता है। घायल पक्षी को अलग पिंजरे में रखा जाता है, जिससे अन्य पक्षी उसे नुकसान ना पहुंचा सकें। कुछ ठीक होने पर उसे एक जाली लगे कमरे में छोड़ दिया जाता है। पूर्ण रूप से ठीक होने पर उसे आजाद कर दिया जाता है।
इसी तरह का एक और अस्पताल जयपुर के सांगानेरी गेट के पास भी है। यहां आर्थिक लाभ की अपेक्षा त्याग की भावना से पूरी निष्ठा के साथ इन मूक, मासूम जीवों की निस्वार्थ सेवा कर उन्हें रोग मुक्त करने की चेष्टा की जाती है। यहां कोई भी अपने पालतु पक्षी का इलाज मुफ्त में करा सकता है।
महान थे वे लोग जिन्होंने इस बारे में सोचा और अपनी सोच को अमली जामा पहनाया। साथ ही धन्य हैं वे लोग जो निस्वार्थ रूप से जुड़े हुए हैं इस परोपकारी काम से।
*********************************************
ब्लादिमीर इलिस उलयानोव ने अपने करीब ड़ेढ सौ उपनाम रखे। इन्हीं मे से एक उपनाम से वे विश्व्विख्यात भी हुए।
वह उपनाम था "लेनिन"।
*********************************************
एक समय मैडम क्यूरी को फ्रेंच एकादमी ने अपना सदस्य बनाने से इंकार कर दिया था। कारण था उनका महिला होना।
उसी महिला ने दो-दो बार नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया और ऐसा करने वाली विश्व की पहली महिला बनीं।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
ठेका, चाय की दुकान का
यह शै ऐसी है कि इसकी दुकान का नाम दूसरी आम दुकानों की तरह तो रखा नहीं जा सकता, इसलिए बड़े-बड़े अक्षरों में ठेका देसी या अंग्रेजी शराब लिख उसक...
-
कल रात अपने एक राजस्थानी मित्र के चिरंजीव की शादी में जाना हुआ था। बातों ही बातों में पता चला कि राजस्थानी भाषा में पति और पत्नी के लिए अलग...
-
शहद, एक हल्का पीलापन लिये हुए बादामी रंग का गाढ़ा तरल पदार्थ है। वैसे इसका रंग-रूप, इसके छत्ते के लगने वाली जगह और आस-पास के फूलों पर ज्याद...
-
आज हम एक कोहेनूर का जिक्र होते ही भावनाओं में खो जाते हैं। तख्ते ताऊस में तो वैसे सैंकड़ों हीरे जड़े हुए थे। हीरे-जवाहरात तो अपनी जगह, उस ...
-
चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें :) 1, ट्रेन में बैठे श्रीमान जी काफी परेशान थे। बार-बार कसमसा कर पहलू बदल रहे थे। चेहरे...
-
हनुमान जी के चिरंजीवी होने के रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए पिदुरु के आदिवासियों की हनु पुस्तिका आजकल " सेतु एशिया" नामक...
-
युवक अपने बच्चे को हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से परिचित करवा रहा था। आजकल के अंग्रेजियत के समय में यह एक दुर्लभ वार्तालाप था सो मेरा स...
-
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। हमारे तिरंगे के सम्मान में लिखा गया यह गीत जब भी सुनाई देता है, रोम-रोम पुल्कित हो जाता ...
-
"बिजली का तेल" यह क्या होता है ? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि बिजली के ट्रांस्फार्मरों में जो तेल डाला जाता है वह लगातार ...
-
कहते हैं कि विधि का लेख मिटाए नहीं मिटता। कितनों ने कितनी तरह की कोशीशें की पर हुआ वही जो निर्धारित था। राजा लायस और उसकी पत्नी जोकास्टा। ...
-
अपनी एक पुरानी डायरी मे यह रोचक प्रसंग मिला, कैसा रहा बताइयेगा :- काफी पुरानी बात है। अंग्रेजों का बोलबाला सारे संसार में क्यूं है? क्य...
9 टिप्पणियां:
क्या आप मुझे दिल्ली के पक्षी अस्पताल का नम्बर दे सकते हैं?
दीप्ति
क्या आप मुझे दिल्ली के पक्षी अस्पताल का नम्बर दे सकते हैं?
दीप्ति
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने. आज के समय मे यह अनुकरणिय कार्य है. बिना किसी स्वार्थ के इन की सेवा करना.
रामराम.
अच्छी बात है पशु और पक्षियों के लिए अस्पताल बन रहे हैं । कुछ इंसान आज भी चिकित्सा के अभाव में मर जाते हैं
इस अस्पताल के बारे में मैने पहले भी सुना है लेकिन कभी जा न सका। आपने बहुत अच्छी पोस्ट लिखी है।
निरीह प्राणियों की सेवा के बारे में इतना जानकर बहुत खुशी हुई।
हाँ हमने दिल्ली में ही लगभग ३० वर्ष पूर्व देखा था. ऐसा ख्याल आ रहा है कि गुरूद्वारे के सामने की तरफ कहीं है. उस समय भी हमें बड़ा आश्चर्य हुआ. जयपुर के बारे में आज ही जाना. आभार.
यह पक्षी चिकित्सालय लाल किले के सामने चांदनी चौक पर स्थित जैन मंदिर में बना हुआ है।
फोन : 23280942
mai bhee ek baar apne tote ko yahaa le jaa chuka hoon.
एक टिप्पणी भेजें