छुटपन से पढ़ते आ रहे हैं की चतुर कौवे ने कंकड़ ला-ला कर घडा भरा और अपनी प्यास बुझाई। पर सोचने की बात है की क्या सचमुच थके-बेहाल कौवे ने इतनी मेहनत की होगी, या कुछ और बात थी। कहीं ऐसा तो नहीं हुआ था ------------
बात कुछ पुरानी है। कौआ सभी पशु-पक्षियों में चतुर सुजान समझा जाता था। उसकी बुद्धिमत्ता की धाक चारों ओर फैली हुई थी। ऐसे ही वक्त बीतता रहा। समयानुसार गर्मी का मौसम भी आ खड़ा हुआ, अपनी पूरी प्रचंडता के साथ। सारे नदी-नाले -पोखर-तालाब सूख गए। पानी के लिए त्राहि- त्राहि मच गई। ऐसे ही एक दिन हमारा कौवा पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था। उसकी जान निकली जा रही थी। पंख जवाब दे रहे थे। कलेजा मुहँ को आ रहा था। तभी अचानक उसकी नजर एक झोंपडी के बाहर पड़े एक घडे पर पड़ी। वह तुरंत वहां गया, उसने घड़े में झांक कर देखा, उसमे पानी तो था पर एक दम तले में। उसकी पहुँच के बाहर। कौवे ने अपनी अक्ल दौडाई और पास पड़े कंकडों को ला-ला कर घडे में डालना शुरू कर दिया। परन्तु एक तो गरमी दुसरे पहले से थक कर बेहाल ऊपर से प्यास। कौवा जल्द ही पस्त पड़ गया । अचानक उसकी नजर झाडी के पीछे खड़ी एक बकरी पर पड़ी जो न जाने कब से इसका क्रिया-कलाप देख रही थी। यदि बकरी ने उसकी नाकामयाबी का ढोल पीट दिया तो ? कौवा यह सोच कर ही काँप उठा। तभी उसके दिमाग का बल्ब जला और उसने अपनी दरियादिली का परिचय देते हुए बकरी से कहा कि कंकड़ डालने से पानी काफी ऊपर आ गया है तुम ज्यादा प्यासी लग रही हो सो पहले तुम पानी पी लो। बकरी कौवे की शुक्रगुजार हो आगे बढ़ी पर घडे से पानी ना पी सकी। कौवे ने फिर राह सुझाई कि तुम अपने सर से टक्कर मार कर घडा उलट दो इससे पानी बाहर आ जायेगा तो फिर तुम पी लेना। बकरी ने कौवे के कहेनुसार घडे को गिरा दिया। घडे का सारा पानी बाहर आ गया, दोनों ने पानी पी कर अपनी प्यास बुझाई।
बकरी का मीडिया में काफी दखल था। उसने कौवे की दरियादिली तथा बुद्धिमत्ता का जम कर प्रचार किया। सो आज तक कौवे का गुणगान होता आ रहा है। नहीं तो क्या कभी कंकडों से भी पानी ऊपर आता है ?
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
ठेका, चाय की दुकान का
यह शै ऐसी है कि इसकी दुकान का नाम दूसरी आम दुकानों की तरह तो रखा नहीं जा सकता, इसलिए बड़े-बड़े अक्षरों में ठेका देसी या अंग्रेजी शराब लिख उसक...
-
कल रात अपने एक राजस्थानी मित्र के चिरंजीव की शादी में जाना हुआ था। बातों ही बातों में पता चला कि राजस्थानी भाषा में पति और पत्नी के लिए अलग...
-
शहद, एक हल्का पीलापन लिये हुए बादामी रंग का गाढ़ा तरल पदार्थ है। वैसे इसका रंग-रूप, इसके छत्ते के लगने वाली जगह और आस-पास के फूलों पर ज्याद...
-
आज हम एक कोहेनूर का जिक्र होते ही भावनाओं में खो जाते हैं। तख्ते ताऊस में तो वैसे सैंकड़ों हीरे जड़े हुए थे। हीरे-जवाहरात तो अपनी जगह, उस ...
-
चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें :) 1, ट्रेन में बैठे श्रीमान जी काफी परेशान थे। बार-बार कसमसा कर पहलू बदल रहे थे। चेहरे...
-
हनुमान जी के चिरंजीवी होने के रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए पिदुरु के आदिवासियों की हनु पुस्तिका आजकल " सेतु एशिया" नामक...
-
युवक अपने बच्चे को हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से परिचित करवा रहा था। आजकल के अंग्रेजियत के समय में यह एक दुर्लभ वार्तालाप था सो मेरा स...
-
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। हमारे तिरंगे के सम्मान में लिखा गया यह गीत जब भी सुनाई देता है, रोम-रोम पुल्कित हो जाता ...
-
"बिजली का तेल" यह क्या होता है ? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि बिजली के ट्रांस्फार्मरों में जो तेल डाला जाता है वह लगातार ...
-
कहते हैं कि विधि का लेख मिटाए नहीं मिटता। कितनों ने कितनी तरह की कोशीशें की पर हुआ वही जो निर्धारित था। राजा लायस और उसकी पत्नी जोकास्टा। ...
-
अपनी एक पुरानी डायरी मे यह रोचक प्रसंग मिला, कैसा रहा बताइयेगा :- काफी पुरानी बात है। अंग्रेजों का बोलबाला सारे संसार में क्यूं है? क्य...
11 टिप्पणियां:
kya baat kahi ,waah ye nazariya socha na tha kabhi,magar sach yahi hai:)
बहुत सोचना पड़ेगा.
बहुत बढिया कल्पना की उड़ान लगाई है।बधाई स्वीकारें।
मजेदार प्रसंग बुना आपने:)
कहानी को भी अलग सा कर दिया ... बधाई।
ये सब तो बस कलपना ही है, परन्तु सच अच्छी कल्पना की उड़न लगाई आपने ......
मजेदार प्रसंग
जबर्दस्त. बहुत ही जबरदस्त
रामराम.
शर्मा जी यह बकरी जरुर गोरे रंग की ही होगी, ओर यह कोव्वा भी कही गाय भेंसो के चारे का शोकीन होगा !! चलिये दोनो ने मिल कर साथ मै मीडीयाम को मिला कर अपने जंगल का राज चला लिया... मजा आ गया.... धन्यवाद
waah.
neta aise hi banate aur banaye jate hain.
Ab famous hone ke liye sabhi ko bakriyo se dosti karni chahiye
एक टिप्पणी भेजें