इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सोमवार, 11 अगस्त 2008
बिंद्रा ने कड़वाहट धो दी
सुबह-सुबह ही अखबार मे पढ़ा कि सौ सरकारी पर्यवेक्षकों का एक और काफ़िला तैयारियों का जायजा लेने के बहाने बीजिंग पहुंच गया है और सैर-सपाटे में व्यस्त है, जबकी 98 सदस्यीय भारतीय दल मे पहले से ही 42 अधिकारी मौजूद हैं। तो रहा नही गया और थोडी कडवाहट "ओलिंपिक जाने नहीं ले जाने का त्यौहार" वाले ब्लाग मे उतर आई। पर बिन्द्रा ने जो इतिहास रचा उस पर मुफ़्तखोरों के सौ खून माफ़। इस सपूत ने जो कर दिखाया है, देश का जैसे गौरव बढ़ाया है उसे देख शायद "वैसे" लोगों की आने वाली नस्लें ही कोई सबक ग्रहण कर लें। आईए कड़वाहट भूल ग्यारह अगस्त की इस शानदार शुरुआत को याद रखते हुए आशा कर्रं कि आज की सफ़लता कम से कम तिगुनी-चौगुनी हो कर घर वापस आए। आमीन
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1 टिप्पणी:
जीत की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं!
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