रविवार, 17 अगस्त 2008

एक सैम्नार ऐसा भी

रायपुर के मोतीबाग से आयकर विभाग की तरफ आने वाली सड़क पर घने इमली के पेड़ हैं। जिनकी शाखाओं पर ढेरों तरह-तरह के परिंदे वास करते हैं। शाम होते ही पक्षी जब अपने घोंसलों की ओर लौटते हैं तब शरारती लडके अपनी गुलेलों से उनको निशाना बनाते रहते हैं। इसी को देख यह ख्याल आया था ।

पर्यावरणविदों और पशू-पक्षी संरक्षण करने वाली संस्थाओं ने मेरे सोते हुए कस्बाई शहर को ही क्यूं चुना अपने वार्षिक सैम्नार के लिए, पता नहीं। इससे शहरवासियों को कोई फ़ायदा हुआ हो या ना हुआ हो पर शहर जरूर धुल पुछ गया। सड़कें साफ़-सुथरी हो गयीं। रोशनी वगैरह की थोड़ी ठीक-ठाक व्यवस्था कर दी गयी। गहमागहमी काफ़ी बढ़ गयी। बड़े-बड़े प्राणीशास्त्री, पर्यावरणविद, डाक्टर, वैज्ञानिक, नेता, अभिनेता और भी ना जाने कौन-कौन बड़ी-बड़ी गाड़ियों मे धूल उड़ाते आने लगे।
नियत दिन, नियत समय पर, नियत विषयों पर बहस शुरू हुई। नष्ट होते पर्यावरण और खास कर लुप्त होते प्राणियों को बचाने-सम्भालने की अब तक की नाकामियों और अपने-अपने प्रस्तावों की अहमियत को साबित करने के लिए घमासान मच गया। लम्बी-लम्बी तकरीरें की गयीं। बड़े-बड़े प्रस्ताव पास हुए
यानि कि काफी सफल आयोजन रहा।
दिन भर की बहस बाजी, उठापटक, मेहनत-मसर्रत के बाद जाहिर है, जठराग्नि तो भड़कनी ही थी, सो खानसामे को हुक्म हुआ, लज़िज़, बढिया, उम्दा किस्म के, व्यंजन बनाने का। खानसामा अपना झोला उठा बाजार की तरफ चल पड़ा। शाम का समय था। पेड़ों की झुरमुट मे अपने घोंसलों की ओर लौट रहे परिंदों पर कुछ शरारती बच्चे अपनी गुलेलों से निशाना साध रहे थे। पास आने पर खानसामे ने तीन-चार घायल बटेरों को बच्चों के कब्जे में देखा। अचानक उसके दिमाग की बत्ती जल उठी और चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी। उसने बच्चों को डरा धमका कर भगा दिया। फिर बटेरों को अपने झोले में ड़ाला और गुनगुनाता हुआ वापस गेस्ट हाउस की तरफ चल दिया।

खाना खाने के बाद, आयोजक से ले कर खानसामे तक, सारे लोग बेहद खुश थे, अपनी-अपनी जगह, अपने-अपने तरीके से। सैम्नार की अपार सफलता पर।

2 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

सेमीनार की अपार सफलता पर आप को भी बधाई, क्या लेख लिखा हे मजा आ गया धन्यवाद

Nitish Raj ने कहा…

बहुत बढिया कटाक्ष लिखा है आपने। सबने बटेरों का लुत्फ लिया और अपने अपने तरीके से सेमीनार को सफल बताया। खूब लिखा है। जिन को बचाने की मुहिम साधे सेमीनार किया उसी का भोज उड़ाया।

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