बहुत कम लोगों को पता होगा कि अपने ही देश के एक राज्य मणिपुर में बारह सालों से एक महिला भूख हडताल पर बैठी हुई है। पर इसका ना तो प्रशासन और नहीं सरकार अब तक कोई हल निकाल पाए हैं।

अपनी भूख हडताल के कारण सुर्खियों में आई इरोम शर्मिला चनु का जन्म 14.3.1974 में इंफाल में हुआ था। आम आदमी के अधिकारों की सुरक्षा के लिए लडने वाली यह कवियित्री मणिपुर और उत्तरीपूर्व में अर्द्ध सैंनिक बलों को अशांत इलाकों में विशेष अधिकार देने वाले अधिनियम के खिलाफ वर्षों से आवाज उठा रही हैं और अपने इसी अनथक प्रयास के कारण इन्हें अब "लौह महिला" के नाम से भी जाना जाने लगा है।
उपवास शुरु होने के तीसरे दिन उन्हें आत्महत्या के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया था। अनशन के कारण गिरते स्वास्थ्य को देख उन्हें तभी से नाक द्वारा भोजन दिया जा रहा है। अब तो उनकी ख्याति देश की सीमाओं को भी पार कर चुकी है और देश-विदेश की कई हस्तियां उनसे मुलाकात कर चुकी हैं। इसी दौरान उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है।
इरोम का नाम एक संघर्ष का प्रयाय ही नहीं है वह यह भी इंगित करता है कि हमारे इस विशाल लोकतंत्र के कई पक्ष विवादास्पद भी हैं। इसके अलावा इरोम के प्रति देश के लोगों की आधी-अधुरी जानकारी इस बात को भी सामने लाती है कि शेष भारत के लोगों में सीमावर्ती प्रदेशों के बारे में ना तो ज्यादा जानकारी है नही वहां की समस्यायों के प्रति वहां के लोगों से सहानुभूति। जिस दि सारे देश वासी सारे देश को और वहां के वाशिंदों की तकलीफों को अपना समझने लगेंगे तो फिर इस तरह के किसी कानून की जरूरत ही नहीं रह जाएगी।
2 टिप्पणियां:
जय इरोम शर्मिला चनु जी, अनशन बारह साल ।
सत्ता खाना ठूस रही है, डाल नाक में नाल ।
डाल नाक में नाल, नहीं अधिनियम बदलता ।
बोल रही सरकार, यहाँ पर सब कुछ चलता ।
क्षेत्र शुद्ध सीमांत, नहीं जाने यह कोई ।
चर्चा चली विदेश, बुराई जम के होई ।।
रविकर जी, आभार।
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