करवा चौथ, हिंदू विवाहित महिलाओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार। जिसमें पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए दिन भर कठोर उपवास रखती हैं। यह खासकर उत्तर भारत में खासा लोकप्रिय पर्व है, वर्षों से मनता और मनाया जाता हुआ पति-पत्नी के रिश्तों के प्रेम के प्रतीक का एक त्योहार। सीधे-साधे तरीके से बिना किसी ताम-झाम के, बिना कुछ या जरा सा खर्च किए, सादगी से मिल-जुल कर मनाया जाने वाला एक छोटा सा उत्सव, जो कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है ! करवा उस मिटटी के पात्र को कहते हैं, जो इस व्रत का एक अहम हिस्सा है, इसमें पानी की निकासी के लिए एक टोंटी बनी होती है, व्रत पश्चात् करवे से ही चन्द्रमा को अर्घ्य दिया जाता है ! इसलिलिए दोनों को मिला कर करवाचौथ नामकरण हुआ !
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
बुधवार, 1 नवंबर 2023
बाजार की गिद्ध दृष्टि एक मासूम से त्योहार पर
करवा चौथ, हिंदू विवाहित महिलाओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार। जिसमें पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए दिन भर कठोर उपवास रखती हैं। यह खासकर उत्तर भारत में खासा लोकप्रिय पर्व है, वर्षों से मनता और मनाया जाता हुआ पति-पत्नी के रिश्तों के प्रेम के प्रतीक का एक त्योहार। सीधे-साधे तरीके से बिना किसी ताम-झाम के, बिना कुछ या जरा सा खर्च किए, सादगी से मिल-जुल कर मनाया जाने वाला एक छोटा सा उत्सव, जो कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है ! करवा उस मिटटी के पात्र को कहते हैं, जो इस व्रत का एक अहम हिस्सा है, इसमें पानी की निकासी के लिए एक टोंटी बनी होती है, व्रत पश्चात् करवे से ही चन्द्रमा को अर्घ्य दिया जाता है ! इसलिलिए दोनों को मिला कर करवाचौथ नामकरण हुआ !
गुरुवार, 5 अगस्त 2021
छाता-छतरी-अम्ब्रेला
बरसात का मौसम है ! ऐसे में छातों के बारे में बात ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता ! हालांकि बारिश से बचाव के लिए बरसाती यानी रेन कोट भी उपलब्ध है, पर छाते का रोमांस ही कुछ अलग होता है ! सबसे ज्यादा सुंदर, कलात्मक और आधुनिक छाते चीन में बनाए जाते हैं जहां इसको बनाने वाले हजारों कारखाने दिन-रात काम करते हैं. पर इसकी इसकी बिक्री में अमेरिका सबसे आगे है जहां लाखों छाते हर साल खरीदे-बेचे जाते हैं ! हमारे यहां बंगाल में बंगाली भद्र लोक का इस मौसम में छाता अभिन्न अंग होता है............!
#हिन्दी_ब्लागिंग
काफी इंतजार करवाने के बाद दिल्ली में बरखा रानी मेहरबान हुई हैं। अब जब वह अपना जलवा बिखेर रही है तो हमें अपनी बरसातियां, छाते याद आने लगे हैं। बरसातियां तो खैर बहुत बाद में मैदान में आईं, पर छाते तो सैंकड़ों सालों से हम पर छाते रहे हैं। छाता, जिसे दुनिया में ज्यादातर "Umbrella" के नाम से जाना जाता है, उसे यह नाम लैटिन भाषा के "Umbros" शब्द, जिसका अर्थ छाया होता है, से मिला है। समय के साथ इसका चलन कुछ कम जरूर हुआ है। क्योंकि पहले ज्यादातर लोग पैदल आना-जाना किया करते थे ! तब धूप और बरसात में इसकी सख्त जरुरत महसूस होती थी। पर फिर बरसातियों के आगमन से या कहिए कि मोटर गाड़ियों की सर्वसुलभता के कारण इसकी पूछ परख कुछ कम हो गयी। वैसे मौसम साफ होने पर यह एक भार स्वरूप भी तो लगने लगता था। फिर भी हजारों सालों से यह हमारी आवश्यकताओं में शामिल रहने के लिए जी-तोड़ कोशिश करता रहा और इसमें सफल भी रहा ही है।

मंगलवार, 7 जुलाई 2020
सब का अपना चेहरा है और अपनी नजर है ! सानूं की !!
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अपनी एक पुरानी डायरी मे यह रोचक प्रसंग मिला, कैसा रहा बताइयेगा :- काफी पुरानी बात है। अंग्रेजों का बोलबाला सारे संसार में क्यूं है? क्य...