गुरुवार, 7 अगस्त 2025

रक्षाबंधन, कई रिश्ते गुथे हैं इसमें

रक्षाबंधन, एक जुड़ाव जिसका उपयोग अपनी सुरक्षा या किसी चीज की अपेक्षा करने वाले का, अपने सहायक को, अपनी याद दिलाते रहने के लिए एक प्रतीक चिन्ह के रूप में किया जाता रहा है। अनादिकाल से चले आ रहे इस मासूम से त्यौहार पर भी, आज के आधुनिकरण  के इस युग में अन्य भारतीय त्योहारों की तरह बाजार की कुदृष्टि पड़ चुकी है ! जो सक्षम लोगों को मंहगे-मंहगे उपहार, खरीदने को उकसा कर इस पुनीत पर्व की गरिमा और पवित्रता को ख़त्म करने पर उतारू है..........!!   

#हिन्दी_ब्लागिंग 

क्षाबंधन, आज भले ही यह त्यौहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते तक सिमट कर रह गया है, पर हमारे पौराणिक ग्रंथों और ऐतिहासिक कथाओं व लेखों में इस कच्चे सूत के बंधन का विवरण उपलब्ध है। जिनमें इस रक्षा-सूत्र का उपयोग अन्य परिस्थितियों में भी किए जाने का उल्लेख मिलता है। जहां अपनी सुरक्षा या किसी चीज की अपेक्षा करने वाले का, सहायता करने वाले को, अपनी याद दिलाते रहने के लिए एक प्रतीक चिन्ह प्रदान किया जाता रहा है। अनादिकाल से चले आ रहे इस रिवाज ने धीरे-धीरे अब एक पर्व का रूप ले लिया है ।  
देवी लक्ष्मी और दैत्यराज बलि 
पौराणिक काल पर नजर डालें तो राजा बलि की कथा में इसका विवरण मिलता है, जो शायद इसका सबसे पहला उल्लेख है। जब राजा बलि को वरदान स्वरूप भगवान विष्णु उसकी रक्षार्थ स्वर्ग छोड़ पाताल में रहने लगे थे, तब लक्ष्मी जी ने राजा बलि की कलाई पर सूत का धागा बांध उससे उपहार स्वरूप अपने पति को वापस मांग लिया था।
भाई-बहन का स्नेह 
पुराणों के अनुसार देवासुर संग्राम में देवताओं के पक्ष को कुछ कमजोर देख इन्द्राणी ने इंद्र की सुरक्षा के लिए उसकी कलाई पर एक मंत्र पूरित धागा बांधा था। जो रक्षा बंधन ही था।

रक्षासूत्र 
एक बहुचर्चित कथा श्रीकृष्ण और द्रौपदी की है जब द्रौपदी ने अपनी साड़ी के टुकड़े से श्रीकृष्ण की घायल उंगली पर पट्टी बांधी थी, जिसके फलस्वरूप भरी सभा में चीरहरण के समय उसकी रक्षा हो पाई थी।
श्रीकृष्ण, द्रौपदी  
एक अप्रचलित कथा श्री गणेश के साथ जुडी हुई है। इसके अनुसार जब गणेश के पुत्रों शुभ और लाभ ने मनसा माता को गणेश जी को राखी बांधते देखा तो उन्होंने भी खुद को राखी बंधवाने के लिए बहन की मांग की तो श्री गणेश ने अग्नि की सहायता से एक कन्या को उत्पन्न किया, जिसे संतोषी माता का नाम मिला।
पर्व 
तिहास के दर्पण में झांकें तो राणा सांगा के देहावसान के बाद गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर हमला किया तो रानी कर्णावती ने  हुमायूँ को अपनी सुरक्षा की गुहार के साथ राखी भिजवाई थी। यह अलग बात है कि हुमायूँ की सेना के देर से पहुंचने के कारण उन्हें जौहर करना पड़ गया था।
रक्षा बंधन 
आज भी ब्राह्मण पुरोहित इस दिन अपने यजमानों को मौली बांध कर दक्षिणा प्राप्त करते हैं। जो एक तरह से उन्हें मिलने वाली सुरक्षा का ही एक रूप है। जनेऊ धारण करने वाले लोग भी इसी दिन अपना पुराना जनेऊ त्याग नया धारण करते हैं।   
यज्ञोपवीत धारण 
जो भी हो सावन की पूर्णिमा को मनाए जाने वाले इस त्यौहार का भाई-बहनों को साल भर इन्तजार रहता है। जो दूर-दराज रहने वालों को इसी बहाने मिलने का अवसर मुहैय्या करवा रिश्तों में फिर गर्माहट भर देता है। पर आज कहां बच पा रहा है "ये राखी धागों का त्यौहार'',  आधुनिकीकरण के इस युग में बाजार की कुदृष्टि हर भारतीय त्यौहार की तरह इस पर भी पड़ चुकी है जो सक्षम लोगों को मंहगे-मंहगे उपहार, जिनकी कीमत करोड़ों रुपये लांघ जाती है, खरीदने को उकसा कर इस पुनीत पर्व की गरिमा और पवित्रता को खत्म करने पर उतारू है। जरुरत है जागरूक होने की, इन विसंगतियों को रोकने की !

@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 🙏  

10 टिप्‍पणियां:

Priyahindivibe | Priyanka Pal ने कहा…

रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌸🌸

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

प्रियंका जी,
''कुछ अलग सा'' पर सदा स्वागत है आपका 🙏

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी,
हार्दिक आभार, स्नेह बना रहे 🙏

Sweta sinha ने कहा…

त्योहार विशेष सदैव संस्कृति के कहार होते है
जो अपने कंधे पर पुरखों के दृष्टिकोण, नैतिक मूल्यों और बहुमूल्य विचारों का खज़ाना एअ पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाते है।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ अगस्त २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

हरीश कुमार ने कहा…

बहुत सुंदर, रक्षाबंधन की अग्रिम बधाईयाँ 🙏

Admin ने कहा…

आपने बिलकुल सच कहा है की यह सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक नहीं, बल्कि सुरक्षा, भरोसे और प्यार के भाव से जुड़ा हुआ है। आपने पुराने समय की कहानियों जैसे राजा बलि, श्रीकृष्ण-द्रौपदी और रानी कर्णावती की मिसालें दी, जो दिखाती हैं कि राखी सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि एक गहरा रिश्ता है।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

श्वेता जी,
बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हरीश जी,
आपको भी पुनीत पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

Admin ji
आने वाला समय सभी के लिए मंगलमय हो 🙏

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