शुक्रवार, 19 जनवरी 2024

वही हो रहा है जो राम जी चाह रहे हैं

जिसने सारी कायनात बनाई है ! समय-काल बनाया है ! धर्म-ज्ञान बनाया है ! जिसके चाहे बिना पत्ता तक नहीं हिल पाता ! सूर्य-शनि जैसे ग्रह जिसके इशारे पर संचरण करते हैं ! जिसका नाम ही भवसागर पार करवा सकता है ! जो खुद अमंगलहारी हैं ! जिनके पिता के नाम का स्मरण ही दुःख दूर करने के लिए पर्याप्त है ! तुम उसके लिए मुहूर्त और इमारत में खामियां दिखलवा कर भ्रमित करना चाहते हो लोगों को ? वह भी अपनी तुच्छ कामनाओं के लिए ? तुम हो क्या ? तुम्हारा वजूद क्या है ? औकात क्या है तुम्हारी ! तुम.... तुम मुहूर्त बनाओगे उसके लिए जो खुद मुहूर्त बनाता है ! जो इतना शुभ है कि शुभ उसके चरणों में अपना शीश झुकाता है 

#हिन्दी_ब्लागिंग 

अयोध्या जाने से इंकार करने वालों की फोटो, उनके ब्यान मीडिया रोज ऐसे दिखा-बता रहा है जैसे कोई बहुत बड़ी घटना हो गई हो, यह बात तो देश की गलियों के कुत्ते-बिल्लियों को भी पता थी कि ये लोग मंदिर नहीं जाएंगे ! सारा देश जानता है कि ऐसे लोगों का ना कोई धर्म है, ना ईमान, ना नैतिकता है ना कोई विवेक ! इनका एक ही ध्येय है कुर्सी ! है तो बचाए रखो नहीं है तो उसको पाने के लिए देश तक की परवाह ना करो ! 

इनको अपने दंभ में पता ही नहीं चला कि यह कब एक इंसान से बैर के चक्कर में कैसे समाज, धर्म, देश और अब तो राम विरोधी भी बनते चले गए ! पर प्रभु की बेआवाज लाठी की चोट पर बिलबिलाते हुए आँख खुली तो एक एक तरफ तो खाई थी ही दूसरी तरफ और भी गहरी घाटी ! आसन्न संकट देख लगे चिल्लाने हम जाएंगे...हम जाएंगे..... ! पर 22 जनवरी के बाद ! क्यों भई ! तब क्या राम बदल जाएंगे ? स्थान बदल जाएगा ? मंदिर बदल जाएगा ? पूजा-अर्चना बदल जाएगी ? या जिन्होंने स्थापना करवाई उनके नाम बदल जाएंगे ?

एक और तरह के दादुर हैं जिन्होंने कुंठित मठाधीशों को भी बरगला दिया है ! वे मुहूर्त तथा मंदिर पर सवाल उठा रहे हैं ! कल एक चैनल पर एक ऐसे ही परपोषित मौलाना को भी लपेट लाए जिनका सनातन से कोई वास्ता नहीं है, वे भी मुहूर्त, आस्था, वास्तु पर अपना ज्ञान उगले जा रहे थे !

जिसने सारी कायनात बनाई है ! समय-काल बनाया है ! धर्म-ज्ञान बनाया है ! जिसके चाहे बिना पत्ता तक नहीं हिल पाता ! सूर्य-शनि जैसे ग्रह जिसके इशारे पर संचरण करते हैं ! जिसका नाम ही भवसागर पार करवा सकता है ! जो खुद अमंगलहारी हैं ! जिनके पिता के नाम का स्मरण ही दुःख दूर करने के लिए पर्याप्त है ! तुम उसके लिए मुहूर्त और इमारत में खामियां दिखलवा कर भ्रमित करना चाहते हो लोगों को ? वह भी अपनी तुच्छ कामनाओं के लिए ? तुम हो क्या ? तुम्हारा वजूद क्या है ? औकात क्या है तुम्हारी ! तुम.... तुम मुहूर्त बनाओगे उसके लिए जो खुद मुहूर्त बनाता है ! जो इतना शुभ है कि शुभ उसके चरणों में अपना शीश झुकाता है ! तुमने या तुम्हारे खानदान में भी किसी ने गीता पढ़ी है, जिसमें उसने ने खुद कहा है कि मैं इस सम्पूर्ण जगत का धारण-पोषण करने वाला हूं। पिता, माता, पितामह मैं ही हूं। देवताओं का गुरू भी मैं ही हूं। सबका स्वामी भी मैं ही हूं और तुम चले हो उसके लिए शुभ मुहूर्त की गणना करने .....! 

अविवेक, अहम्, घमंड, सत्तामद जब सर पर सवार होते हैं, तो मनुष्य अधमावस्था को प्राप्त हो जाता है ! मदांधता में  पतन अवश्यंभावी है चाहे वह कोई सम्राट हो, ऋषि हो, ज्ञानी हो, रावण हो या फिर शंकराचार्य ही क्यों ना हो ! आदि शंकराचार्य जी को यह कल्पना जरूर रही होगी कि भविष्य में मेरी धरोहर अयोग्य हाथों में भी जा सकती है पर उस वक्त पीठों का निर्माण भी अति आवश्यक था ! 

आज कल के विवाद में पामर लोगों द्वारा जिन प्रतिष्ठित नामों को भी घसीट लिया गया है उन आदरणीयों को भी तो एक बार जांच लेनी चाहिए थी कि हमारे नाम का कौन, कैसा, किस नियति से प्रयोग कर रहा है ? धर्म के बारे में उनका इतिहास क्या रहा है ? इतिहास ना खंगाल पाते तो सिर्फ तीन -चार महीनों का ही लेखा-जोखा देख लेते ! वर्षों की कमाई इज्जत, नाम, मर्यादा, प्रतिष्ठा दो दिनों में भू-लुंठित हो गई ! आज तो आम जनता यही समझ रही है कि पांच सौ सालों से भी ज्यादा समय तक महाराज ने प्रभु की सुध नहीं ली ! ठंड-गर्मी-आंधी-तूफान में एक टेंट में पड़े राम का ख्याल ना आया ! जबकि उसी राम की बदौलत खुद सोने के सिंहासनों पर विराजमान हो दुनिया भर की सुविधाओं का लाभ लेते रहे ! आज उन्हें निमत्रंण पर मान-अपमान नजर आ रहा है ! दुनिया को ज्ञान बांटने वाले खुद कैसे ऐसे अज्ञानी हो गए ! जब सारा देश राममय हुआ पड़ा है ! जड़-चेतन कोई भी विरोध का कोई स्वर सुनना नहीं चाहता तब ऐसा रवैया......! सब प्रभु की इच्छा है, वे यही चाहते होंगें !

जय श्री राम, जय-जय राम 

10 टिप्‍पणियां:

Abhilasha ने कहा…

एकदम सटीक सौ फीसदी खरी-खरी यथार्थ परक

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अभिलाषा जी
सदा स्वागत है आपका
जय श्रीराम🙏🙏🙏

शुभा ने कहा…



वाह! बहुत खूबसूरत सृजन गगन जी ।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर | जो जा रहे हैं वो सब कुर्सी की छाया से भी दूर हैं | सलाम है |

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शुभा जी
सदा प्रसन्नचित्त रहें

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी
😀🙏

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत सटीक एवं सारगर्भित...

Kamini Sinha ने कहा…

सही कहा आपने गगन जी"वहीं हो रहा है जो राम जी चाह रहे हैं"
ये भी सही है कि जाने वालों में कुर्सी के पुजारी भी शामिल हैं मगर.... राम भक्तों के आगे उनकी संख्या इतनी नग्नय है कि वो राम जी को नजर ही नहीं आएंगे ☺️
वैसे भी अब सबको अपनी कुर्सी की पेंटी कसकर बांध लेनी चाहिए क्योंकि राम की लहर इतनी तेज है कि उनका समभलना मुश्किल हो जाएगा, राम लल्ला के आगमन की अनन्त शुभकामनाएं आपको 🙏

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुधा जी
इस नव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं सपरिवार स्वीकारे

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कामिनी जी
सत्ता, धन-बल की चाह ही तो अब राजनीती की ओर आकृष्ट करती है ! उँगलियों पर गिने जाने लायक कुछ एक को छोड़ बाकी, हर तरफ से नकारे गए, सभी सिर्फ इसी उद्देश्य से इस तरफ आते हैं ! ऐसा नहीं है कि वे प्रभु को नजर नहीं आते, वह तो सर्वज्ञ है ! यदि वैसा होता तो अब तक ''सीजनल भक्त'' कहाँ के कहाँ पहुँच गए होते, पर उनका हश्र जग जाहिर है ! प्रभु तो क्या अब तो आम जनता भी उनका नाटक समझ चुकी है !

जय श्रीराम !

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