बुधवार, 24 जनवरी 2024

समय चक्र पर लगती छाप

कुछ लोग अपने लोगों को दरकिनार कर कुछ लोगों को उनका हितैषी बता अपना पीढ़िया तार लिया ! कभी एक ठो कमरा में रहने वाले पूरे परिवार के कुकुर के लिए आज अलग कमरा है ! उन्हीं लोग के बलबूते कई लोग राजा बन बैईठे हैं ! जिनके पास बाइसिकिल भी नहीं था आज वो हव्वाइए जहाज में घूमता है ! और इधर ये लोग टुकुर-टुकुर ताकते हुए उन्हीं लोगों का पक्ष लिए जा रहा है ! ई मनई लोग समझता क्यूँ नहीं है कि जो लोग अपना सवारथ के लिए अपना लोगों का नहीं हुआ वो सब, इनका कैसे होगा ?''

#हिन्दी_ब्लागिंग 

भइया जी, नमस्ते !''    

अरे ! आओ बिनोद ! का हाल है ''

ठीक हूँ, आप की किरपा है''

चाय पीओगे ?''

पी लूंगा भइया जी !''

मैंने अंदर चाय का कहलवा, पूछा और बताओ कैसा चल रहा है ?''

हम तो ठिक्के हैं पर कभी-कभी माथा सटिकिया जाता है !''

मैं समझ गया फिर कोई गुलगपाड़ा इसको परेशान किए है। 
पूछा, का हुआ कुछ बताओगे ?''

नहीं, का है कि हम सोच रहे थे कि कुछ लोग एकदम्मे बुड़बक होता है का ? ऊ लोग को सुझाई नहीं देता है कि कोई तुम को बोका बनाए जा रहा है वर्षों से, अऊर तुम बने जा रहे हो !''

मैं समझ गया कि इसे फिर कीड़ा काटा है ! बोला नहीं, सिर्फ उसे देखता रहा ! वह कुछ ज्यादा ही गमगीन लग रहा था ! जैसे उसीको कोई धोखा दिए जा रहा हो !

भईया जी, आप भी तो देख रहे हो, कुछ लोग अपने लोगों को दरकिनार कर कुछ लोगों को उनका हितैषी बता अपना पीढ़िया तार लिया ! कभी एक ठो कमरा में रहने वाले पूरे परिवार के कुकुर के लिए आज अलग कमरा है ! उन्हीं लोग के बलबूते कई लोग राजा बन बैईठे हैं ! जिनके पास बाइसिकिल भी नहीं था आज वो हव्वाइए जहाज में घूमता है ! और इधर ये लोग टुकुर-टुकुर ताकते हुए उन्हीं लोगों का पक्ष लिए जा रहा है ! ई मनई लोग समझता क्यूँ नहीं है कि जो लोग अपना सवारथ के लिए अपना लोगों का नहीं हुआ वो सब, इनका कैसे होगा ?''

मैं भौच्चक बिनोद का मुंह देख रहा था ! पर जवाब तो देना था ही ! मैंने कहा, ऐसा नहीं है कि उनको समझ नहीं है ! उनमें भी समझदार, पढ़े-लिखे, अक्लमंद लोगों की कोई कमी नहीं है ! वे भी ऐसे लोगों की नस-नस पहचानते हैं ! वे भी जानते हैं कि उनका सिर्फ उपयोग हो रहा है ! पर पचासों साल के आश्वासन, वादे, दिलासे दिलो-दिमाग में गहरे पैठे हुए हैं ! वर्ष दर वर्ष की निराशा के बावजूद एक झिझक बनी हुई है ! एक अनदेखा, अनजाना डर समाया रहता है कि पता नहीं हमारे साथ क्या हो जाए ! पर अपने-पराए-गैरों सभी की असलियत से वाकिफ हो आज का युवा बैरियर तोड़ने को तैयार है ! अब वह थोथे जुमलों से नहीं बहलता ! वह सच्चाई देख रहा है कि देश-समाज में होने वाले बदलाव में उससे कोई भेद-भाव नहीं हो रहा ! यदि लियाकत है तो उसके लिए भी मौकों के दरवाजे खुले हैं ! वह भी समय के चक्र पर अपनी छाप छोड़ सकता है ! इस मानसिक बदलाव के असर का आभास होने भी लगा है, जल्द ही देश-समाज-दुनिया को दिखने भी लगेगा !
तुम चिंता छोड़ो, आने वाला समय निश्चित रूप से सभी के लिए मंगलमय होगा ! तुम चाय लो, मेथी के पकौड़े भी तुम्हारा ही इंतजार कर रहे हैं !    

बिनोद कुछ रिलैक्स लग रहा था...........!   

4 टिप्‍पणियां:

नूपुरं noopuram ने कहा…

जितना उत्तरदायित्व उनका है.
उतनी ही ज़िम्मेदारी हमारी भी है .

रोचक अंदाज़ !
कह दी बड़ी बात !

अभिनन्दन !

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

नूपुरम 🙏
सदा स्वागत है !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी
हार्दिक आभार, आपका 🙏

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