पर ऐसे लोगों से जरूर दूरी बना ली है जो खुद को मुझसे ज्यादा महत्वपूर्ण समझते हैं ! यदि ऐसा ही कोई मुझे परास्त ना कर पाने की स्थिति में मानसिक रूप से तोड़ने की खुराफात करता है तो भी मेरी कोशिश ज्यादा से ज्यादा शांत रहने की होती है ! मेरा मानना है कि उसकी करनी खुद उसे सबक सिखाएगी ! अपनी भावनाओं पर काबू पाने की हर संभव कोशिश करने लगा हूँ.............!
#हिन्दी_ब्लागिंग
हमारा मष्तिष्क एक बहुत ही जटिल मशीन है ! यह कब, क्या और कैसे काम करेगा इसका शरीर को यानी हमें कोई अंदाज नहीं होता ! होश संभालने से लेकर मृत्यु पर्यंत यह जीवन की दिनचर्या में तरह-तरह के बदलाव लाता रहता है ! बचपन में सोच कुछ होती है ! युवावस्था में कुछ और ! जो परिपक्वावस्था में बिलकुल ही अलग हो जाती है !
ज्यादातर इंसान जब साठोत्तरी की सीमा पार कर लेते हैं तो अचानक वे दुनियादारी की मोहमाया से छिटक कुछ-कुछ आत्मकेंद्रित से होने लगते हैं ! उन्हें एहसास होने लगता है कि उसने दुनिया भर का जिम्मा नहीं ले रखा ! उनका माता-पिता, पत्नी-बच्चों से ज्यादा खुद से लगाव बढ़ जाता है ! अपनी चिंता, अपना ख्याल प्रमुख हो जाता है ! दूसरों पर बोझ ना पड़े कुछ ऐसा भी बर्ताव हो जाता है !
सठियाने की उम्र की गिरफ्त में आने के बाद कुछ ऐसे ही बदलाव मैं अपने में महसूस करने लगा हूँ ! खुद का ''हिसाब-किताब'' रखने लगा हूँ ! मुझमे अब कुछ दरियादिली ने भी जगह बना ली है ! अब पांच-दस रुपयों के लिए किसी से भी खिच-खिच करना अच्छा नहीं लगता ! बल्कि कुछ ज्यादा दे सामने वाले के चेहरे पर आई मुस्कान से एक आंतरिक खुशी महसूस होने लगी है ! इसीलिए जब भी मौका मिलता है अपनी तरफ से भले ही छोटी या आंशिक रूप से ही सही, किसी की कुछ सहायता कर उसके तनाव को कुछ हद तक कम करने की कोशिश करना अच्छा लगने लगा है ! अपनी इस छोटी सी भेंट से सामने वाले के चेहरे पर आई मुस्कान मुझे ढेर सा सकून दे जाती है !
इसके अलावा एक और बात अपने आप में लक्षित की है कि अब मुझे अपने रहन-सहन की कोई खास फ़िक्र वगैरह नहीं होती ! जो है, जैसा है सब चलता है ! क्योंकि अब मेरे लिए व्यक्तित्व ज्यादा अहमियत अहमियत रखने लगा है ! हाँ, पर ऐसे लोगों से जरूर दूरी बना ली है जो खुद को मुझसे ज्यादा महत्वपूर्ण समझते हैं ! यदि ऐसा ही कोई मुझे परास्त ना कर पाने की स्थिति में मानसिक रूप से तोड़ने की खुराफात करता है तो भी मेरी कोशिश ज्यादा से ज्यादा शांत रहने की होती है ! मेरा मानना है कि उसकी करनी खुद उसे सबक सिखाएगी ! अपनी भावनाओं पर काबू पाने की हर संभव कोशिश करने लगा हूँ !
ऐसा लगता है कि मैं कुछ परिपक्व हो गया हूँ क्योंकि अब मुझे दूसरों की गलतियां भी परेशान नहीं करतीं और ना हीं मैं अब किसी की गलती को पहले की तरह सुधारने की चेष्टा करता हूँ ! जीवन के अनुभवों ने मुझे यह जता दिया है कि दुनिया में कोई भी सम्पूर्ण या पूर्णतया निपुण नहीं होता ! जिंदगी को निपुणता से ज्यादा शांति की जरुरत होती है ! वैसे भी किसी को सुधारने का काम मेरा तो नहीं ही है ! पर एक दूसरा विलक्षण बदलाव अपने आप में महसूसने लगा हूँ कि अब मैं पहले की तरह किसी की प्रशंसा या बड़ाई करने से नहीं कतराता ! उदारता से सबकी तारीफ़ करता हूँ और ऐसी हौसला अफजाई से सामने वाले को मिलने वाली खुशी मुझे भी आह्लादित कर जाती है !
मैंने अब लोगों की बातों में दखल देना और टोका-टाकी करना भी बंद कर दिया है ! खासकर उन उम्रदराज लोगों से जो रोज ही अपने अतीत के किस्सों को बार-बार सुनाना शुरू कर देते हैं और एक ही बात को दसियों बार दोहराने लगते हैं ! इससे अब मुझे पहले जैसी खीझ भी नहीं होती बल्कि ऐसा लगता है कि ये बुजुर्गवार इस तरह अपना समय बिता, अपना मन और गम हल्का कर अपने अतीत को याद कर जीने का हौसला बनाए रख पा रहे हैं ! मैं उनकी बातें सुन उन्हें ख़ुशी देने की कोशिश करने लगा हूँ !
आज के युग में जब अहंकार की वजह से रिश्तों में दरारें आनी शुरू हो गई हैं, रिश्ते बिखरने लगे हैं ! इंसान अकेला पड़ता जा रहा है ! तो मेरा उपक्रम रहता है कि अहंकार को किसी तरह छोड़ टूटते रिश्तों की तुरपाई की जा सके ! रिश्ते रहेंगे तभी अकेलापन दूर होगा ! क्योंकि आज की विभीषिकाओं में अकेलेपन का भी अहम स्थान है ! आने वाले दिनों में अकेलापन युवा पीढ़ी के तनाव-हताशा-निराशा का मुख्य कारण बन सकता है ! इसलिए रिश्तों का पुनर्स्थापन बहुत जरुरी है !
हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने यह नसीहत दी थी कि हर इंसान को रोज ऐसा मान कर चलना चाहिए, जैसे आज का दिन ही उसका आखिरी दिन हो ! सही भी तो है, हमारी जिंदगी का पल भर का भी तो भरोसा नहीं है ! इसीलिए अब मैं वही करता हूँ जिस काम से मैं खुश रह सकूँ ! वैसे यह मेरी जिम्मेवारी भी है अपने मष्तिष्क के प्रति ! खुश रहूँगा तो दिमाग भी दुरुस्त रहेगा ! दिमाग दुरुस्त रहेगा तो शरीर भी स्वस्थ रह पाएगा ! शरीर स्वस्थ रहेगा तो............अब यह तो सबको पता ही है 🙏
संदर्भ, व्हाट्सएप विश्वविद्यालय
9 टिप्पणियां:
अनीता जी
सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद🙏
बहुत सुंदर पोस्ट।
बहुत ही सुंदर
नीतीश जी
हार्दिक आभार आपका🙏
ओंकार जी
अनेकानेक धन्यवाद🙏
अति सुंदर
वाह!गगन जी ,बहुत खूब कहा आपने । साठ के बाद ऐसा ही महसूस होने लगता है ।
हर्ष जी
सदा स्वागत है आप का 🌹
शुभा जी
हार्दिक आभार आपका!
ऐसे बदलाव पहले आ जाऐं तो शायद दुनिया और खूबसूरत हो जाए! आपको, सपरिवार होलीकोत्सव की शुभकामनाएं 🙏🏻
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