मैं तो वहां आज अपना सारा ज्ञान उड़ेलने को आतुर था, बिना इसकी परवाह किए कि मेरी अनर्गल बातों से सामने वालों के मन में मेरे प्रति गलत धारणा बन सकती है, मैं भड़ास निकालने को आतुर था ! तभी अचानक तेज बारिश शुरू हो गई ! पानी की बौझार से जैसे मुझे होश आ गया ! सामने श्रीमती जी हाथ में खाली लोटा लिए खड़ी थीं, जिसके तरल से मेरा अभिषेक हो चुका था ! बच्चे पीछे खड़े मुस्कुरा रहे थे ! घड़ी दोपहर के दो बजा रही थी.........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
कल होली में एहतियाद बरतने के बावजूद पता नहीं कैसे गलती से भांग वाली ठंडाई का सेवन हो गया ! अब हो गया तो उसने अपना रंग तो दिखाना ही था ! शुक्र है, उसका असर घर पहुंचने के बाद शुरू हुआ ! पता नहीं कब-कैसे बिस्तर पर गिरा और कब किसी और लोक में पहुंच गया ! देखता क्या हूँ कि मुझे बांग्लादेश के कुरीग्राम जिले के चार राजापुर गांव की पंचायत में अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित किया गया है ! बांग्लादेश का सबसे पिछड़ा और गरीबी दर में सबसे निचला इलाका होने के बावजूद मैं कटिंग-फेशियल वगैरह करवा वहां जा पहुंचा हूँ ! विदेश का बुलावा कुछ और ही होता है ! वहां गांव के किनारे एक बरगद के पेड़ के नीचे कुछ बुजुर्ग और निठल्ले टाइप के लोग जमा किए गए थे, मुझे सुनने के लिए ! वे, समय कहीं तो काटना है, यहीं सही, वाली मुद्रा में निर्विकार मुद्रा में बैठे हुए थे !
मैंने उन्हें बताया कि मेरे अपने देश में पानी की बहुत बर्बादी की जाती है ! एक तो हमारे देश में ऐसे ही बहुत सारे त्यौहार होते हैं, सबमें नहाना जरुरी होता है, जिससे पानी की फिजूलखर्ची होती है ! शौच इत्यादि में भी पानी बेकार बहाया जाता है, योरोपियन लोगों से सीख ले, वहां पानी की जगह कागज का इस्तेमाल किया जाना चाहिए ! होली जैसे त्यौहार में तो पानी की एक तरह से लूट ही मच जाती है ! आप लोग बहुत समझदार हैं जो ऐसे त्यौहार नहीं मनाते ! फिर हमारे यहां सब्जी वगैरह को धो कर बनाने का रिवाज है ! मैंने जहां तक शोध किया है, सब्जी को धोने की कोई जरुरत नहीं होती, पकाते समय गर्मी से उसके सारे कीटाणु वगैरह ऐसे ही खत्म हो जाते हैं ! अब जैसे आलू को उबाल कर उसका चोखा वगैरह बनाना है, तो उसे बिना धोए ऐसे ही उबालें ! आपका पानी बचेगा ! जिस पानी में आलू उबाला जाए उसे आप शौच वगैरह जैसे कई कामों में इस्तेमाल कर सकते हैं ! सोचिए दुनिया भर में यदि सिर्फ आलू को बिना धोए उबाल लिया जाए तो कितने पानी की बचत होगी !
मैं अपने सामने बैठे लोगों से तालियों की आशा लगाए बैठा था पर वे सब निर्जीव मूर्तियों की तरह वैसे ही प्रतिक्रियाहीन, मुँह उठाए मुझे ताकते बैठे हुए थे ! यह देख वह झंटू टाइप शख्स, जिसने मुझे बुलवाया था, ताली बजाते हुए मेरी तरफ मुखातिब हुआ और पूछने लगा कि इतना ज्ञान मैंने कहां से प्राप्त किया....! मुझे एक और मौका मिल गया, अपनी बड़ाई करने का ! मैं गांव वालों की तरफ मुड़ा और उन्हें बताया कि मैंने ग्रंथ, वेद, पुराण और उपनिषद् सब पढ़ रखे हैं ! आज उन्हीं का निचोड़ आपको बता रहा हूँ ! निचोड़ने से याद आया कि रोज-रोज कपड़े ना धो कर भी पानी की बचत की जा सकती है ! वैसे पानी से धोने के बदले आप कपड़ों को ड्राइक्लीन करवा लें तो बहुत ही बढ़िया रहेगा, कपड़े भी निखर जाएंगे और पानी भी बच जाएगा.....!
7 टिप्पणियां:
यशोदा जी
सम्मिलित कर सम्मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद 🙏
बहुत खूब
विवेक जी
आभार आपका🙏
रोचक
अनीता जी
अनेकानेक धन्यवाद🙏
रोचक...
विकास जी
अनेकानेक धन्यवाद🙏
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