दर्शनीय स्थानों में सबसे महत्वपूर्ण कण्व ऋषि का आश्रम है जो पहाड़ की तलहटी में, शहर से करीब 35 किमी की दूरी पर स्थित है। यही वह जगह है जहां शकुंतला-दुष्यंत के यशस्वी पुत्र भरत का जन्म और शैशव काल बीता था। जिनके नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। सुनसान-बियाबान में यह शांत जगह सकून प्रदायी तो है पर भीतर ही भीतर कुछ विवाद समेटे, बहुत ही ज्यादा देखरेख की मांग भी करती है.............!
#हिन्दी_ब्लागिंग
जीवन में कभी-कभी कुछ ऐसा घट जाता है, जिसकी पहले दूर-दूर तक संभावना होती नहीं लगती। शायद इस लिए भी इसे अनिश्चित कहा गया है। कुछ ऐसा ही हुआ जब विभिन्न परिस्थितियों के चलते उत्तराखंड के एक शांत से शहर कोटद्वार जाने का मौका हासिल हो गया। यह उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे गढ़वाल मंडल के पौड़ी जिले का खोह नदी के तट पर बसा, प्रमुख नगर है। इतिहास में इसका उल्लेख 'खोहद्वार' के रूप में उपलब्ध है। इसे गढ़वाल का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है। यहां करीब 150000 लोगों की बसाहट है।
झंडा चौक, कोटद्वार |
देश भर से रेल द्वारा जुड़े, कोटद्वार की भौगोलिक स्थिति कुछ ऐसी है कि यहां से कुछ धार्मिक व पर्यटन के विश्वप्रसिद्ध स्थल बहुत नजदीक पड़ते हैं। जैसे हरिद्वार और ऋषिकेश यहां से लगभग 70 से 90 किमी की दूरी पर पश्चिम की ओर, कॉर्बेट नेशनल पार्क करीब 150 किमी दूर पूर्व की ओर, तक़रीबन 40 किमी उत्तर-पूर्व में लैंसडाउन, जहां प्राकृतिक गोद में गढ़वाल राइफल्स का रेजिमेंटल सेंटर है तथा करीब 85 किमी पूर्व में रामगंगा नदी पर बना दर्शनीय कालागढ़ बाँध स्थित है। वहीं बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के लिये भी सीधी बस और टैक्सी सेवा उपलब्ध है। उतनी ही आसानी से पौड़ी, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग भी जाया जा सकता है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून यहां से करीब सवा सौ किमी है। जबकि देश की राजधानी दिल्ली की दूरी तकरीबन सवा दो सौ किमी पड़ती है।
दुष्यंत-शकुंतला विवाह स्थली |
सिद्धबली हनुमान जी |
अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थलों में दुर्गा देवी मंदिर जो कोटद्वार से लगभग 9 किलोमीटर दूर खोह नदी के तट पर तथा शक्ति पीठ, सुखरी देवी मंदिर दर्शनीय स्थान हैं।
हमारा देश ऐसी असंख्य जगहों से भरा पड़ा है जो अपने आप में हर दृष्टि से समृद्ध, मनोभावन, ऐतिहासिक और धार्मिक जानकारियों का खजाना समेटे हैं ! जरुरत है तो सिर्फ अन्वेषण की !!
20 टिप्पणियां:
शास्त्री जी
सम्मिलित कर मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
गढ़वाल का द्वार कोटद्वार का बहुत ही सुन्दर सचित्र वर्णन।
सुंदर ।
वाकई दर्शनीय स्थल।
सुधा जी
अनेकानेक धन्यवाद
सधु जी
हार्दिक धन्यवाद
"हमारा देश ऐसी असंख्य जगहों से भरा पड़ा है जो अपने आप में हर दृष्टि से समृद्ध, मनोभावन, ऐतिहासिक और धार्मिक जानकारियों का खजाना समेटे हैं ! जरुरत है तो सिर्फ अन्वेषण की !!"
ये बात बिलकुल सही है अगर घूमने निकले तो अपने देश की ही सुंदरता देखते रह जायेगे। मगर नशा देश को देखने से ज्यादा विदेश देखने का हो गया है। कोटद्वार का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है आपने, मुझे भी कोटद्वार देखने का सौभाग्य मिला है, सादर नमन आपको
कामिनी जी
सदा स्वागत है,आपका
सुन्दर रही आपकी यह यात्रा....
विकास जी
जी! आभार
बेहतरीन और ज्ञानवर्धक यात्रावृत
जानकारी युक्त सुंदर यात्रा वृतांत।
सार्थक पोस्ट।
अभिलाषा जी
आपका सदा स्वागत है
सुमन जी
अनेकानेक धन्यवाद
कुसुम जी
हौसलाअफजाई के लिए हार्दिक आभार
वाह शर्मा जी, अब तो काटद्वारा जाना ही पड़ेगा...बहुत खूब... #Travelportal शुरू करने के आसार लग रहे हैं
अलकनंदा जी
आस-पास की महत्वपूर्ण जगहों, खासकर कण्वाश्रम के कारण, इसकी महत्ता बढ गई है नहीं तो यह एक कस्बाई नगर ही है
Behtarin Jankari
अनेकानेक धन्यवाद, कदम जी
चित्रों के साथ कोटद्वार की समुचित जानकारी देने के लिए धन्यवाद, गगन जी मैं तो बेटे से कहने भी लगी कि कोटद्वार चलते हैं,बहुत बढ़िया।
जिज्ञासा जी
आस-पास के धार्मिक स्थलों के कारण ही इसकी अहमियत है। अपने आप में तो साधारण कस्बाई शहर ही है।
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