अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से जुडा सोमपुरा परिवार एक ऐसा अनोखा परिवार है, जो पिछली सोलह पीढ़ियों से मंदिर निर्माण कार्य में जुटा हुआ है। नागर शैली में मंदिरों की रचना में इस परिवार को महारथ हासिल है। इसी शैली में अयोध्या में राममंदिर का निर्माण भी होना है। सोमपुरा परिवार का मानना है कि उनके पुरखों ने मंदिरों की रचना और उनकी बनावट की कला दैव्य वास्तुकार विश्वकर्मा से सीखी थी । उनके दादा प्रभाशंकर जी ने जगत-प्रसिद्ध गुजरात के सोमनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था.......................!
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राम मंदिर ! सदियों से करोड़ों-करोड़ लोगों की आँखों में पलता एक सपना ! जिसे पूरा होता देखने की चाह में अनगिनत पीढ़ियां दिवंगत हो गईं। जिसको साकार करने की चाह में हजारों लोगों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए ! जिसकी राह में अपनों ने ही रोड़े अटकाए ! तुच्छ राजनीती के तहत श्री राम के अस्तित्व पर ही सवाल उठाए गए ! बेबुनियाद तर्कों का माया जाल रचा गया ! कुछ अवसरवादियों ने अपने मतलब के लिए इसे राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक विवाद बना दिया ! अमन-शान्ति के नाम पर रुकावटें खड़ी की गईं ! पर आखिरकार अनगिनत पीढ़ियों का संघर्ष, प्रभु के भक्तों का बलिदान और करोड़ों लोगों की आस्था रंग लाई और सारी बाधाओं को पार कर अब वह सपना साकार होने की ओर अग्रसर हो गया है।
अब ऐसे महान, चिरप्रतीक्षित, देश की बहुसंख्यक आबादी के साथ-साथ देश-विदेश के करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक को साकार करने हेतु कुछ ऐसा रूप देना, जो संसार में अप्रतिम, अनूठा, नायाब और अपने आप में मिसाल हो, कोई आसान काम नहीं था ! वह भी तब, जबकि सारे संसार की नजर इस घटनाक्रम पर टिकी हुई थीं ! कमोबेस सभी देशों को इस फैसले का उत्सुकतापूर्वक इन्तजार था ! इसकी भव्यता, विशालता और सुंदरता के लिए कौतूहल था ! सभी बड़ी आतुरता के साथ इसका निर्माण होते देखना चाहते थे ! इसे सभी की अपेक्षाओं पर खरा उतरना था। एक उदाहरण स्थापित करना था ! एक ऐसा निर्माण जिसे देश की पहचान बनना था ! बहुत कठिन परीक्षा की घडी थी। ऐसे में खोज जा कर ख़त्म हुई, महान शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा के पास !
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चंद्रकांत सोमपुरा |
गुजरात राज्य के भावनगर जिले के पालिताणा नगर में रहने वाला सोमपुरा परिवार एक ऐसा अनोखा परिवार है, जो पिछली सोलह पीढ़ियों से मंदिर निर्माण कार्य में जुटा हुआ है। नागर शैली में मंदिरों की रचना में इस परिवार को महारथ हासिल है। इसी शैली में अयोध्या में राममंदिर का निर्माण भी होना है। सोमपुरा परिवार का मानना है कि उनके पुरखों ने मंदिरों की रचना और उनकी बनावट की कला दैव्य वास्तुकार विश्वकर्मा से सीखी है। गुजरात के इस परिवार के द्वारा अब तक 200 से भी ज्यादा मंदिरों के डिजाइन तैयार किए जा चुके हैं। उनके दादा प्रभाशंकर जी ने जगत-प्रसिद्ध गुजरात के सोमनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। देश-विदेश में बिरला परिवार के लिए कई मंदिर इस परिवार ने बनवाए हैं। अक्षरधाम और अंबाजी जैसे कई आस्था स्थल सोमपुरा परिवार के डिजाइन पर ही बने हैं। मथुरा के मंदिर के निर्माण में भी इनका योगदान रहा है।
बड़ी अनोखी बात है कि भव्य राम मंदिर का मॉडल तैयार करने वाले श्री चंद्रकांत सोमपुरा के पास वास्तुकला की कोई औपचारिक डिग्री नहीं है ! इन्होंने जो भी सीखा, अपने पिता से ही सीखा है। इसके बावजूद इनके हुनर के बल पर इन्हें देश-दुनिया से बड़े-बड़े मंदिरों का मॉडल बनाने के लिए बुलाया जाता रहा है। खुद सोमपुरा अपने-आप को मंदिर का वास्तुविद कहलाना पसंद करते हैं। इन्होने ना सिर्फ अपने देश बल्कि दुनिया में भी नागर शैली के मंदिरों का नक्शा तैयार किया है। लंदन के सुप्रसिद्ध अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण मंदिर, जो अपने स्थापत्व और भव्यता के लिए दुनिया में सर्वोपरि माना जाता है, उसका नक्शा भी इन्होंने ही बनाया था।
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अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण मंदिर, लंदन |
अपने परिवार के मुखिया श्री चंद्रकांत सोमपुरा बताते हैं कि घनश्यामदास बिरला जी ने उन्हें विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंघल जी से मिलवाया था। जिनके आग्रह पर 1987 में उन्होंने राम मंदिर की रूप-रेखा तैयार की थी और उनके साथ मिल कर मंदिर पर काम शुरू किया था। इसमें लगने वाले पत्थरों के लिए बंसी पहाड़पुर के बलुआ-पत्थरों का चुनाव किया गया था, जिनकी उम्र 1500 साल मानी जाती है। बंसी पहाड़पुर, राजस्थान के भरतपुर जिले की एक तहसील रूपबास के रुदावल क्षेत्र का छोटा सा गांव है। जो अपने गुलाबी पत्थरों के लिए विश्वप्रसिद्ध है। इस पत्थर की उम्र हजारों साल की मानी जाती है। इसके अलावा इसकी खासियत है कि ना तो यह चटकता है, नाहीं इसमें सीलन आती है और तो और जैसे-जैसे इस पर पानी पड़ता है, वैसे-वैसे इसकी चमक और भी बढती जाती है। इसीलिए इसका चुनाव इस ऐतिहासिक मंदिर के निर्माण हेतु किया गया। हालांकि मंदिर के मुख्य द्वार पर जगत्प्रसिद्ध मकराना का सफ़ेद संगमरमर लगाया जाएगा।
अब 77 साल के हो चुके चंद्रकांत सोमपुरा ने अपनी उम्र और कोरोना संकट के चलते अपने बेटे आशीष को यह भार सौंपा है। जो अनुबंध प्राप्त कंपनी लार्सन एंड टर्बो के साथ मिलकर अयोध्या में राम मंदिर पर काम कर रहे हैं। इस महान और ऐतिहासिक कार्य में उनके छोटे भाई निखिल उनके सहायक हैं। आशीष को यह कला अपने पिता और दादा से मिली है। पूरा परिवार ही बहुत रोमांचित और उत्साहित है। उनका मानना है कि आदिकाल से ही उनके परिवार पर सदा ईश-कृपा बनी रही है। यह प्रभु का आशीर्वाद ही है कि श्री राम मंदिर के साथ ही उनका नाम भी जुड़ गया है। अब राम मंदिर के निर्माण के साथ ही उनके जीवन में एक और नए अध्याय की शुरुआत होगी।
@अंतर्जाल का आभार
26 टिप्पणियां:
सुन्दर आलेख
रोचक जानकारी देता आलेख। वाकई सोमपुरा परिवार के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है और उनके विषय में जानकर लगता है कि यह वो बाखूबी निभा भी देंगे।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 03 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुशील जी
अनेकानेक धन्यवाद
विकास जी
प्रभु की कृपा है इस परिवार पर
यशोदा जी
सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
सादर नमस्कार,
आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 04-09-2020) को "पहले खुद सागर बन जाओ!" (चर्चा अंक-3814) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
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"मीना भारद्वाज"
बहुत सुन्दर और जानकारीपरक आलेख।
बेहद खूबसूरत रचना।सचमपच अलग हटकर।
मीना जी
सम्मिलित कर सम्मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
शास्त्री जी
अनेकानेक धन्यवाद
सुजाता जी
''कुछ अलग सा'' पर आपका सदा स्वागत है
बहुत ही अच्छी, अनजानी जानकारी
कदम जी
हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
सुन्दर प्रस्तुति
ओंकार जी
हार्दिक आभार
अनोखी जानकारी
चेतन जी
प्रभु-कृपा से इनका नाम भी अमर हो गया
आदरणीय गगन शर्मा जी, आपने अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर के शिल्पकार, का परिचय देते हुए बहुत सी जानकारियाँ साझा की हैं। इसके लिए हार्दिक साधुवाद!--ब्रजेन्द्रनाथ
सार्थक लेखन, रोचक जानकारी
जानकारी युक्त रोचक लेख ।
साधुवाद।
ब्रजेंन्द्रनाथ जी
इस परिवार के बारे में पढ कर लगा कि इनके बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानकारी होनी चाहिए सो......
अनीता जी
बहुत-बहुत आभार
कुसुम जी
प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
रोचक जानकारी
@hindiguru
नमस्कार!
स्नेह बना रहे
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