अगली बॉल को बॉलर ने अपनी तर्जनी और मध्यमा में फंसा कर जबरदस्त फिरकी डाली ! बॉल ने तेज घूर्णित अवस्था में जा बैट के बाहरी किनारे को छूआ और उछाल खा हवा में जा टंगी ! दोनों तरफ की सांसें थमी और निगाहें बॉल पर जमी हुईं ! सामने वाला खिलाड़ी फर्श को भूल अर्श को ताकता हुआ बॉल की ओर तेजी से लपका ! बॉल के नजदीक पहुंच, उँगलियों और हथेली को कटोरे का रूप दे उसे लपकने ही वाला था कि........
#हिन्दी_ब्लागिंग
इस कोरोना कालखंड में हमारी छत पर अक्सर संध्या समय करीब आधे घंटे का, टेनिस गेंदी, दर्शक विहीन, एक सदस्यी, त्रिकोणी क्रिकेट मुकाबले का आयोजन हो जाता है। इसकी पॉपुलर्टी इतनी है कि घरवाले ही ध्यान नहीं देते। फिर भी कभी-कभी घर की वरिष्ठ महिला सदस्य अनुग्रहित करने हेतु आ तो जाती हैं पर उनकी रुचि खेल में नहीं, अपने फोन पर प्रसारित होते पचासवें और साठवें दशक के गानों में ही ज्यादा रहती है। खैर !
बात है, पिछले रविवार की! इस दिन मुकाबला द्विपक्षीय ही था। आखिरी मैच के अंतिम ओवर में एक टीम को तीन बॉलों में सिर्फ एक रन की जरुरत थी। तभी चौथी बॉल खाली गयी। अगली बॉल को बॉलर ने अपनी तर्जनी और मध्यमा में फंसा कर एक जबरदस्त फिरकी डाली ! बॉल ने तेज घूर्णित अवस्था में जा बैट के बाहरी किनारे को छूआ और उछाल खा हवा में जा टंगी ! दोनों तरफ की सांसें थमी और निगाहें बॉल पर जमी हुईं ! सामने वाला खिलाड़ी फर्श को भूल अर्श को ताकता हुआ बॉल की ओर तेजी से लपका ! बॉल के नजदीक पहुंच, उँगलियों और हथेली को कटोरे का रूप दे उसे लपकने ही वाला था कि........धम्म......थड्ड.....!
20 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (10-06-2020) को "वक़्त बदलेगा" (चर्चा अंक-3728) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शास्त्री जी
सादर नमस्कार व आभार !
बहुत बढ़िया पोस्ट।
नीतीश जी
अनेकानेक धन्यवाद
सही कहा है .
बढ़िया पोस्ट
बिल्कुल सही। क्षमता के अनुसार ही खतरे उठाने चाहिए।
प्रतिभा जी
''कुछ अलग सा'' पर आपका सदा स्वागत है
@hindiguru
आपका ''कुछ अलग सा'' पर सदा स्वागत है
मीना जी
बिल्कुल सही ! पर कभी-कभी गफलत हो ही जाती है
.............सुन रहे हैं ना...हां जी , सुन लिया तकाजों की पोटली से बहुत कुछ गुन भी लिया शर्मा जी
बहुत सटीक अनुभव से लिखा स्तरीय दुखदाई तो हैज्ञपर रोचक भी है ।
अप्रतिम।
Bahut badhiya post, aabhar
अलकनंदा जी
कोशिश तो सभी की रहती है ठीक-ठाक रहने की पर गफलत हो ही जाती है
कुसुम जी
कभी-कभी अतिरेक हो ही जाता है ¡
यह भी जिंदगी का अभिन्न अंग है
@unknown जी
कभी खुल कर मिलें, खुशी होगी
वाह ... मजेदार और व्यंग के पुट से भरपूर ... अच्छा न्य्भव साझा किया है ...
बढ़िया पोस्ट ,अच्छा अनुभव सांझा किया है,खेलने से तन मन दोनो स्वस्थ रहते है ।
नासवा जी
स्नेह यूंही बना रहे
ज्योति जी
सावधानी के बावजूद कभी-कभी गफलत हो ही जाती है
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