मंगलवार, 10 मार्च 2020

होली के पावन पर्व पर मुस्कुराइए, ठहाके लगाइए

होली है ! 
हंसी, ख़ुशी, मस्ती के पर्व पर सभी को यथायोग्य शुभ व मंगलकामनाएं। सदा स्वस्थ व प्रसन्न रहते हुए हरेक के जीवन में खुशियों के रंग बिखरते रहें। आज के दिन तो बिना हँसे रहना मना है !

 गांव से नये-नये आये नौकर को पानी का गिलास यूंही हाथ में उठा कर लाते देख संताजी चिल्लाए, अरे गधे पानी कहीं इस तरह लाया जाता है ? नौकर ने घबडा कर पूछा, फिर कैसे लाऊं, मालिक ? संताजी बोले, प्लेट में रख कर लाओ। सहमा हुआ नौकर, मालिक चम्मच भी लाऊं या ऐसे ही चाट लेंगे ?

एक दादी मां मरने से बहुत डरती थीं। सो भगवान से सदा प्रार्थना करती रहती थीं। एक बार प्रभू ने तंग आकर उन्हें दर्शन दे ही दिए और बता दिया कि उनकी उम्र अभी चालीस साल और तीन महिने बाकी है। दादी मां खुश। अगले दिन से ही सुखमय जिंदगी की तैयारियां शुरु कर दीं। ब्युटी-पार्लर में जा बाल डाई करवाये, मसाज करवाई, फ़ेशिअल, पैडी और ना जाने क्या-क्या करवा कर जैसे ही बाहर निकलीं एक बस की चपेट में आ स्वर्ग सिधार गयीं। ऊपर जाते ही प्रभू का गला पकड़ लिया, कि तुमने तो मेरी उम्र अभी चालीस साल और बताई थी, तो यह क्या कर दिया। प्रभू भी हड़बड़ा गये, बोले "अरे माई तुम्हें तो मैं पहचान ही नहीं पाया।"

दो चलाकू टाईप के आदमी दिल्ली से, रात में कहीं जाने के लिए ट्रेन के डिब्बे में चढ़े, तो पाया कि कहीं बैठने तक की जगह नहीं है। तभी उनमें से एक चिल्लाने लगा, सांप-साप, भागो-भागो। इतना सुनना था कि सारे यात्री सर पर पैर रख भग लिए। दोंनो ने एक दूसरे को मुस्करा कर देखा और ऊपर की बर्थ पर चादर बिछा कर सो गये। सबेरे नींद खुलने पर उन्होने पाया कि गाड़ी कहीं खड़ी है, उन्होनें बाहर झाड़ु देते आदमी से पूछा कि भाई कौन सा स्टेशन है? उसने जवाब दिया, दिल्ली। अरे दिल्ली तो कल रात में थी, इन्होंने पूछा। तो जवाब मिला, साहब, कल रात इस डिब्बे में सांप निकल आया था तो इस डिब्बे को काट कर अलग कर बाकी गाडी चली गयी थी।
पोता दादा जी से जिद कर रहा था सर्कस दिखाने की। चलिए ना दादा जी सर्कस में नयी-नयी चीजें दिखा रहे हैं। हाथी और गैंडा फुटबाल खेलते हैं। जोकर बहुत हंसाते हैं। पर दादा जी मान ही नहीं रहे थे, क्या बिटवा वही सब पुराने खेल हैं। पोता भी कहां मानने वाला था बोला सुना है इस में ढेर सारे घोड़े ताल में नाचते हैं। दादा जी भी नहीं मान रहे थे बोले देख तो रहे हो मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है। पर पोता भी अड़ा हुआ था, बताने लगा, उपर झूले में एक साथ दस जने झूलते हैं और अबकी चीन से लड़कियां आयीं हैं जो छोटे-छोटे कपड़ों में पोल डांस करती हैं !

दादा जी उठे बोले चल इतनी जिद करता है तो चले चलता हूं। मैने भी घोड़ों को ताल पर नाचते नहीं देखा है।
संता, बंता तथा कंता पुलिस में भर्ती होने गए। उनको अपराधियों की शिनाख्त करने के लिये एक फोटो दिखाई गयी जिसमें एक आदमी का बगल से खिंचा गया चित्र था। पहले कंता से पूछा गया कि इस आदमी की क्या खासियत है ? इसे कैसे पहचानोगे ? कंता बोला, अरे यह तो बहुत आसान है ! इस आदमी का एक ही कान है। इसे तुरंत पहचान लूंगा। 
सामने वाले ने अपना सिर पीट लिया। इसके बाद बंता को बुला कर उससे भी वही सवाल पूछा गया, उसने भी झट से जवाब दिया कि एक आंख वाले को पकड़ने और पहचानने में कोई दिक्कत नहीं है। साक्षात्कार लेने वाला झल्ला कर बोला, कैसे बेवकूफ हो तुम्हें इतना भी नहीं पता कि यह साइड पोज है। चलो भागो यहां से। चले आते हैं पुलिस में काम पाने। 
अब संता की बारी थी। उसको बुला कर भी वही सवाल पूछा गया, कि इस आदमी को कैसे पहचानोगे ? संता ने गौर से फोटो देखी और बोला, मैं इसे पहचान लूंगा, क्योंकि इसने कान्टेक्ट लेंस लगाया हुआ है। साक्षात्कार लेने वाला हैरान। यह बात तो उसे भी मालुम नहीं थी। तुरंत फाइलें खंगाली गयीं तो पाया गया कि संता का कहना सही है। सबने उसकी सूझ-बूझ की बड़ी प्रशंसा की। फिर ऐसे ही उससे पूछ लिया गया कि उसे यह बात कैसे पता चली। संता बोला, जी यह तो कॉमन सेंस की बात है। एक आंख वालों की नज़र कमजोर होती है और इस बेचारे का कान भी एक ही है तो यह चश्मा तो पहन नहीं सकता। जाहिर है यह कांटेक्ट लेंस ही लगाता होगा।
ननकु  ट्रेन में टायलेट जाकर लौटा तो बदहवास था। सहयात्री ने पूछा, क्या हो गया ?
ननकु बोला टायलेट के छेद से मेरा पर्स नीचे गिर गया।
अरे, तो चेन खींचनी थी ना। सहयात्री ने कहा।
दो बार खींची, पर हर बार पानी बहने लगा।
बाहर से आए पर्यटक को गाइड ने बताया कि जब अकबर सिर्फ चौदह साल का था तभी उसने बादशाह बन देश पर राज करना शुरु कर दिया था। पर्यटक बोला तुम्हारा देश भी अजीब है, यहां चौदह साल में देश संम्भालने दिया जाता है पर शादी अठ्ठारह साल के पहले नहीं करने दी जाती।
अब तुम्हें क्या बताएं साहब कि घर चलाना देश चलाने से कितना मुश्किल है। गाइड ने जवाब दिया।
पत्नी खर्च पूरा ना पड़ने और पति की अल्प कमाई से परेशान थी।एक दिन रहा नहीं गया बोली, "मैं शर्म के मारे अपना सर नहीं उठा पाती हूं। मेरी मां हमारे घर का किराया देती है। मेरी मौसी के यहां से कपड़े आते हैं। मेरी बहन हमारा राशन भरती है। कब हमारी हालत सुधरेगी?
" पति बोला, "शर्म तो आनी ही चाहिए। तुम्हारे दो-दो चाचा हैं जो एक पैसा भी नहीं भेजते।"
बाढ़ग्रस्त इलाके में तैनात कर्मचारियों से वायूसेना ने पूछा कि लोगों को निकालने के लिये कितनी ट्रिप लगेंगी। जवाब दिया गया कि तीस-एक ट्रिप में गांव खाली हो जायेगा। बचाव अभियान शुरु हो गया। एक-दो-तीन-पांच-दस-बीस, पचास फेरे लगने के बाद भी लोग नज़र आते रहे, तो सेना ने पुछा कि आपने तीस फेरों की बात कही थी यहां तो पचास फेरों के बाद भी लोग बचे हुए हैं ऐसा कैसे। नीचे से आवाज आयी कि सर, गांव वाले पहली बार हेलिकॉप्टर  में बैठे हैं तो जैसे ही उन्हें बचाव क्षेत्र में छोड़ कर आते हैं, वे फिर तैर कर वापस यहीं पहुंच जाते हैं।
गांव का एक लड़का अपनी नयी-नयी साईकिल ले, शहर मे नये खुले माल में घूमने आया। स्टैंड में सायकिल रख जब काफ़ी देर बाद लौटा तो अपनी साईकिल को काफ़ी कोशिश के बाद भी नहीं खोज पाया। उसको याद ही नहीं आ रहा था कि उसने उसे कहां रखा था। उसकी आंखों में पानी भर आया। उसने सच्चे मन से भगवान से प्रार्थना की कि हे प्रभू मेरी साईकिल मुझे दिलवा दो, मैं ग्यारह रुपये का प्रसाद चढ़ाऊंगा। दैवयोग से उसे एक तरफ़ खड़ी अपनी साईकिल दिख गयी। उसे ले वह तुरंत मंदिर पहुंचा, भगवान को धन्यवाद दे, प्रसाद चढ़ा, जब बाहर आया तो उसकी साईकिल नदारद थी।

8 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 09 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

यशोदा जी
पावन पर्व की मंगलकामनाऐं सपरिवार स्वीकारें

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (11-03-2020) को    "होलक का शुभ दान"    (चर्चा अंक 3637)    पर भी होगी। 
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
 -- 
रंगों के महापर्व होलिकोत्सव की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी
चर्चा मंच परिवार के सभी सदस्यों को पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

Meena Bhardwaj ने कहा…

खुशियों के रंग.. मुस्कुराहटों के संग ..लाजवाब पोस्ट सर! आपको सपरिवार रंगोत्सव की मंगलकामनाएं ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मीना जी
पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत ही सुन्दर हँसी के हँसगुल्ले...
वाह!!!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुधा जी
होली तो हो ली,पर हंसी खुशी उल्लास हम सभी में रचा बसा रहे¡

विशिष्ट पोस्ट

अवमानना संविधान की

आज CAA के नियमों को लेकर जैसा बवाल मचा हुआ है, उसका मुख्य कारण उसके नियम नहीं हैं बल्कि हिन्दू विरोधी नेताओं की शंका है, जिसके तहत उन्हें लग...