राजस्थान के कुशल कारीगर तो सदा पाषाण में प्राण फूँकते रहे हैं। उनके द्वारा निर्मित एक से एक उत्कृष्ट कलाकृतियां देश-विदेश में सराहना पाती रही हैं। ऐसी ही एक 2013 में निर्मित एक शानदार, विलक्षण, अद्भुत, वृहदाकार प्रतिमा राजस्थान के कोटा शहर के महावीर नगर 3 और रंगबाड़ी इलाके के एक चौराहे पर स्थित है। जिसमें महाभारत के उस पल को अतीत की गहराइयों से निकाल यादगार बना दिया गया है, जब कर्ण ने घटोत्कच के युद्ध-तांडव से कौरव सेना को बचाने के लिए, अर्जुन के वध के लिए संभाल कर रखे "शक्ति बाण" का प्रयोग कर वीर घटोत्कच का वध किया था।
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पूरी की पूरी मूर्ति ही अद्भुत है। जिसके एक-एक इंच पर कारीगरों की कला सजीव हो उठी है। इसकी भव्यता तो सिर्फ देख कर ही महसूस की जा सकती है उसका वर्णन करना मुश्किल है। ऎसी ही एक प्रतिमा बाली, इंडोनेशिया में भी स्थापित की गयी है।
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पूरी की पूरी मूर्ति ही अद्भुत है। जिसके एक-एक इंच पर कारीगरों की कला सजीव हो उठी है। इसकी भव्यता तो सिर्फ देख कर ही महसूस की जा सकती है उसका वर्णन करना मुश्किल है। ऎसी ही एक प्रतिमा बाली, इंडोनेशिया में भी स्थापित की गयी है।
5 टिप्पणियां:
शुभकामनाएं ।seetamni. blogspot. in
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-01-2016) को "सुब्हान तेरी कुदरत" (चर्चा अंक-2224) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सच में अद्भुत
सचमुच अनोखा और सुंदर शिल्प।
इसकी भव्यता सिर्फ देख कर ही महसूस की जा सकती है
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