बुधवार, 27 जनवरी 2016

फ्रांस के राष्ट्रपति के भोज में ऐश्वर्या ही क्यों ?

इसमें अमिताभ बच्चन की दखल या रसूख की कोई भूमिका नहीं थी। ऐश्वर्या की फांस में उसकी छवि और पहचान ने ही यह सम्मान जुटाया था।

कल काफी दिनों बाद 26 जनवरी की छुट्टी पर ठाकुर जी मेरे यहां आए। कुशल-क्षेम की जानकारी तो फोन पर हासिल हो जाती थी पर आमने-सामने बैठ वार्तालाप हुए एक अरसा हो गया था। इधर-उधर की बातचीत के बाद अपनी आदत के अनुसार उन्होंने एक सवाल दाग ही दिया कि, शर्मा जी ये बताइये कि इतनी नामचीन, कुशल, अभिनय-प्रवीण अन्य अभिनेत्रियों के होते हुए भी कल फ्रांस के राष्ट्रपति के भोज में अभिनेत्री ऐश्वर्या राय को ही क्यों आमंत्रित किया गया ? क्या अमिताभ बच्चन की पहुँच के कारण ?

सवाल जायज था, समीचीन भी और प्रासंगिक भी। यह बात बहुत से लोगों के जेहन में उठी भी होगी। पर आम-जन के हित-अहित से कोई सरोकार ना होने के कारण कोई ख़ास तवज्जो नहीं मिल पायी और आम खबर की तरह आई-गयी हो गयी थी। पर सवाल तो सवाल था जिसका सही उत्तर भी होना चाहिए ! तो जहां तक मेरा अंदाज था और मुझे समझ में आया, इसमें अमिताभ बच्चन की दखल या रसूख की कोई भूमिका नहीं थी। ऐश्वर्या की फांस में उसकी छवि और पहचान ने ही यह सम्मान जुटाया था। पहली बात तो यह कि वहाँ की सरकार द्वारा उसे वहाँ के सबसे बड़े नागरिक सम्मान "Knight of the Order of Arts and Letters" से नवाजा जा चुका है। दूसरे वह वहाँ, दुनिया के प्रतिष्ठित फिल्म समारोह, "केन्स फिल्म फेस्टिवल" की तकरीबन नियमित मेहमान रही है। वहीँ उसकी दूसरी पारी की फिल्म "जज्बा" सबसे पहले फ्रांस में ही दर्शकों के सामने पेश की गयी थी। तीसरे वह फ़्रांस की मशहूर कॉस्मेटिक कंपनी "L’Oral Paris" की भी ब्रांड एबेंस्डर है। फिर पेरिस में उसने कई फिल्मों की फिल्मांकन में भाग लेकर वहाँ अपनी पहचान बना रखी है। वैसे भी एक सौम्य, गरिमामय, बुद्धिजीवी, विवादहीन, प्रतिष्ठित परिवार का सदस्य होने का फायदा तो होता ही है। 

यही सब वे वजहें हैं जो उसे दूसरी अभिनेत्रियों की बनिस्पत तरजीह दी गयी होगी। 

1 टिप्पणी:

HARSHVARDHAN ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - भारत भूषण जी की पुण्यतिथि में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

विशिष्ट पोस्ट

दीपक, दीपोत्सव का केंद्र

अच्छाई की बुराई पर जीत की जद्दोजहद, अंधेरे और उजाले के सदियों से चले आ रहे महा-समर, निराशा को दूर कर आशा की लौ जलाए रखने की पुरजोर कोशिश ! च...