रावणग्राम के रावणबाबा |
मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के एक गांव, जिसका नाम ही रावणग्राम है, के किसी भी समारोह के पहले राक्षसराज रावण की पूजा होती है। जो गांव के बाहर लेटी हुई प्रतिमा, जिसकी लम्बाई करीब दस फुट की है तथा जिसे रोज खीर और पूड़ी का भोग लगाया जाता है, के रूप में विराजमान है। यहां की दो-तिहाई आबादी, कान्यकुब्ज ब्राह्मणों की है। जिनकी संख्या करीब 5000 से 6000 तक है. ये सभी गांववासी दशानन के अनन्य भक्त हैं।
रावण गांव के अलावा आस-पास के गांव सेउ, नटेरन आदि में भी जब शादी-ब्याह या कोई शुभ कार्य होना होता है तो रावण गांव के बाहर लेटी रावण की प्रतिमा के चरणों में पहले नैवेद्य अर्पित कर उसकी पूजा की जाती है। दुल्हन के गृह प्रवेश के पूर्व, तथा दुल्हे की बारात जाने से पहले तो पूजा करना बहुत जरूरी समझा जाता है। पहले यहाँ शादी-ब्याह के मौकों पर ही पूजा-अर्चना की जाती थी पर अब दशहरे पर भी आराधना शुरू हो गयी है.
कठोर लाल व सफ़ेद पत्थर से बनी रावण की यह प्रतिमा परमार काल .की मुर्ती कला का अद्भुत नमूना है। इसे रावण का विशाल रूप, दस सिर, बीस हाथ, हाथों में गदा, तलवार, त्रिशूल आदि और भव्य बनाते हैं। पुरातत्वविद इस प्रतिमा की प्राचीनता का अभी आकलन नहीं कर पाये हैं.
ऐसी ही एक जगह कानपुर में भी है जहां रावण की पूजा होती है वहाँ भक्तों की इच्छा है की रावण के जीवन के उज्जवल पक्ष को भी दुनिया के सामने उजागर होना चाहिए.
एक मजे की बात और भी है। दशहरे के दिन गांववासी रावण की प्रतिमा की पूजा अर्चना करते हैं, फिर शाम को कागज के रावण का दहन भी किया जाता है, जो अभी पिछले कुछ बरसों से शुरु हुआ है। हो सकता है कि कान्यकुब्ज ब्राह्मणों के अलावा और जाति के लोगों की बढ़ती आबादी के कारण ऐसा होने लग गया हो।
इसी तरह जोधपुर में भी रावण के एक मन्दिर का निर्माण हो रहा है जिसे अपने आप को रावण की पत्नी मन्दोदरी का वंशज मानने वाले, जोधपुर से कुछ दूर स्थित "मंदोर" नामक जगह के निवासी करवा रहे हैं।
5 टिप्पणियां:
आपकी यह पोस्ट आज के (१३ अक्टूबर, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - बुरा भला है - भला बुरा है - क्या कलयुग का यह खेल नया है ? पर प्रस्तुत की जा रही है | आपको विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनायें और सहर्ष बधाई ।
Aabhaar.
aap ko bhii sapariwaar mangalkamanaen.
bahut rochak jaankari
अपनी अपनी प्रकृति है, अपना अपना चाव।
मैंने सुना भर थ. कुछ लोग कहते थे कि दक्षिण में रावण की पूजा होती है. परन्तु मुझे कोई जानकारी नहीं मिल पायी. वैसे ही देश के अलग अलग भागों से इस परंपरा को आपने ढूंड निकाला और ज्ञान वर्धन किय. अभार.
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