देश की दुर्दशा और उसके तथाकथित कर्णधारों की हरकतों से यहां की जनता ही नहीं विदेशों में रह रहे भारतीय भी विक्षुब्ध हैं। ऐसे ही एक भाई ने अपना आक्रोश शब्दों में ढाल कर इ-मेल से भेजा है।
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी घपलिस्तान की इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है बेईमान की बंदों में है दम, राडिया-विनायकम् बंदों में है दम, राडिया-विनायकम् उत्तर में घोटाले करती मायावती महान है दक्षिण में राजा-कनिमोझी करुणा की संतान हैं जमुना जी के तट को देखो कलमाडी की शान है घाट-घाट का पानी पीते चावला की मुस्कान है. देखो ये जागीर बनी है बरखा-वीर महान की इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है बेईमान की बन्दों में है दम...राडिया-विनायकम्. ये है अपना जयचंदाना नाज़ इसे गद्दारी पे इसने केवल मूंग दला है मजलूमों की छाती पे ये समाज का कोढ़ पल रहा साम्यवाद के नारों पे बदल गए हैं सभी अधर्मी भाडे के हत्यारे में हिंसा-मक्कारी ही अब पहचान है हिन्दुस्तान की इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है हैवान की बन्दों में है दम...राडिया-विनायकम्. देखो मुल्क दलालों का, ईमान जहां पे डोला था. सत्ता की ताकत को चांदी के जूतों से तोला था. हर विभाग बाज़ार बना था, हर वजीर इक प्यादा था. बोली लगी यहाँ सारे मंत्री और अफसरान की. इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है शैतान की. बन्दों में है दम... नंगे-बेशरम....! |
12 टिप्पणियां:
किसी दिन गाने के लिये यही गीत बचेगा।
बहुत बढ़िया
गुनगुनाना सार्थक ||
हर-हर बम-बम, बम-बम धम-धम |
तड-पत हम-हम, हर पल नम-नम ||
अक्सर गम-गम, थम-थम, अब थम |
शठ-शम शठ-शम, व्यर्थम - व्यर्थम ||
दम-ख़म, बम-बम, चट-पट हट तम |
तन तन हर-दम *समदन सम-सम || *युद्ध
*करवर पर हम, समरथ सक्षम | *विपत्ति
अनरथ कर कम, झट-पट भर दम ||
भकभक जल यम, मरदन मरहम |
हर-हर बम-बम, हर-हर बम-बम ||
राहुल उवाच : कई देशों में तो, बम विस्फोट दिनचर्या में शामिल है |
चिदंबरम उवाच: इक्तीस माह तो बचाया मुंबई को |
देश को कब तक बचाओगे ????
दुश्मनों से बड़ी नरमी
पकडे गए इन दुश्मनों ने,
भोज सालों है किया |
मारे गए उन दुश्मनों की
लाश को इज्जत दिया ||
लाश को ताबूत में रख
पाक को भेजा किये |
पर शिकायत यह नहीं कि
आप कुछ बेजा किये ---
राम-लीला हो रही |
है सही बिलकुल सही ||
रेल के घायल कराहें,
कर्मियों की नजर मैली |
जेब कितनों की कटी,
लुट गए असबाब-थैली |
तृन-मूली रेलमंत्री
यात्री सब घास-मूली
संग में जाकर बॉस के
कर रहे थे अलग रैली |
राम-लीला हो रही |
है सही बिलकुल सही ||
नक्सली हमले में उड़ते
वाहनों संग पुलिसकर्मी |
कूड़ा गाडी में ढोवाये,
व्यवस्था है या बेशर्मी |
दोस्तों संग दुश्मनी तो
दुश्मनों से बड़ी नरमी ||
राम-लीला हो रही |
है सही बिलकुल सही ||
बहुत बढ़िया
अत्यंत सार्थक रचना.
रामराम.
pura aakorsh bahra hua hai ....
सही समय का सही गान..
आदमी मज़े में मौत को भूल जाता है।
फ़िरंगी हो या जंगी, अंजाम भूल जाता है।।
आपकी रचना अच्छी है लेकिन कुछ सेना और पुलिस के बारे में भी बता देते तो और भी अच्छी हो जाती।
मज़ा आ गया पढ़कर और हंसी भीं.
शुक्रिया !
समलैंगिकता और बलात्कार की घटनाएं क्यों अंजाम देते हैं जवान ? Rape
मुझे ऎसी रचनाएँ गाने में रोना आता है... मुझे ऐसे गीत बिलकुल पसंद नहीं जिसमें मेरे भारत देश' के लिये इतने घटिया शब्द प्रयुक्त हों.
गगन जी,
आँखों में अभी तक आँसू हैं ... जिसने भी इस गीत की रचना की होगी वह भी जरूर रोया होगा...
ये गीत हँसी-ठिठोली करने के लिये नहीं रचा गया... आत्म-मंथन करने के लिये रचा गया है..
वर्तमान भारत का वास्तविक चित्र उकेरता है यह पेरौडी गीत ... इस गीत से देश के गद्दार अमर हो गये.
गीतकार को इस बात के लिये शुक्रिया कि उसने कहीं सीधे तोर पर 'भारत' नाम नहीं लिया.
किन्तु 'घपलिस्तान' और 'धरती है बेईमान की' जैसे शब्दों से शर्मसार हुआ हूँ.
जायज है यह आक्रोश।
------
जीवन का सूत्र...
NO French Kissing Please!
प्रतुलजी, यह पैरोड़ी नहीं आमजन का आक्रोश है जो अपने सामने बेकसूर, दीन-हीन की नृशंस हत्या देख मन को उद्वेलित कर देता है।
उसके बाद इन तथाकथित कर्णधारों के बेशर्मी भरे बयान और आचरण जले पर तेजाब जैसा असर छोड़ते हैं। शांत से शांत प्रवृति के इंसान का भी आपा खो नहीं जाएगा जब उसे पता चलेगा है कि जनता की सुरक्षा के जिम्मेदार घोर मुसीबत के समय घटना का समाचार जानने के बावजूद फैशन शो जैसे कार्यक्रम को ज्यादा अहमियत देते हैं।
यह सब और कुछ नहीं घड़ा भरने के संकेत ही है।
राष्ट्र, देश, वहां की जनता से ही बनते हैं। जैसी अधिकांश प्रजा होगी वैसी ही देश की छवि बनेगी। कैसा लगता है जब दुनिया कहती है कि भारत संसार के दस भ्रष्ट देशों में से एक है। तन-बदन में आग नहीं लग जाती, पर आज की सच्चाई भी यही है। अमेरिका ताकतवर है, क्योंकि वहां के लोगों ने उसे वैसा बनाया है। जापान का नाम इमानदारी का प्रतीक है क्योंकि वहां के लोग इमानदार हैं। चीन मेहनती कहलाता है अपने मेहनतकश कामगारों की वजह से। और हम हैं कि किसी भी तरह इस कलंक को शेर बन धोने की बजाय भूत काल की चिड़िया की याद लिए बैठे रहते हैं।
एक टिप्पणी भेजें