मनुष्य प्रकृति का वह अजूबा है जिसे कोई भी रुकावट रोक नहीं सकती। उसके धड़ के ऊपर स्थित कारखाने में छोटी से छोटी अड़चनों से लेकर बड़ी से बड़ी मुश्किलों के हल निरंतर निकलते रहते हैं।
विश्वास ना हो तो देख लें -
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सैम मानेक शॉ अपने अंतिम दिनों में भी अपने इस ''पागी'' को भूल नहीं पाए थे। 2008 में जब वे तमिलनाडु के वेलिंगटन अस्पताल में भ...
7 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
काम का ब्लाग है आपका तो,
अजब गजब सब गजब
good...
भई वाह शर्मा जी! अच्छे चित्र समेटे हैं॥
स्वीमिंग पुल कमाल का है जी।
अच्छा आईडिया है।
कभी इस्तेमाल किया जा सकता है:)
सही बात है।
computer wala to shuru kar hi deta hoon
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