खबर बिल्कुल सच्ची है। पर विश्वास नही होगा कि ऐसा कैसे हो सकता है। पर अब तो वैज्ञानिकों ने भी इस पर अपनी मोहर लगा दी है। खबर आपके सामने है और फ़ैसला आपके हाथ में।
देव उठनी अमावस्या के समय मेघा नक्षत्र के उदय होने के पूर्व एक मुहूर्त बनता है जिसमे प्रभू का दरबार धरती वासियों के लिए कुछ देर के लिये खोला जाता है। इसका पता अभी-अभी साईंस दानों को लगा है । पहले सिर्फ पहुंचे हुए साधू-महात्मा लोग ऊपर जा अपना जीवन धन्य कर लेते थे. पर अब कोई भी इस अवसर का फ़ायदा उठा सकता है। पर यह बात खुल जाने से भीड़ इतनी बढ़ गयी कि संभालना मुश्किल हो गया । तब लाटरी का सहारा लेना पडा।
इस बार भारत, अमेरीका तथा जापान के तीन नुमांईदों को उपर जाने का वीसा मिला था। वहाँ तीनों को एक जैसा ही सवाल पूछने की इजाजत थी। पहले अमेरीकन ने पूछा कि मेरे देश से भ्रष्टाचार कब खत्म होगा, प्रभू ने जवाब दिया कि सौ साल लगेंगे। अमेरीकन की आंखों मे आंसू आ गये। फिर यही सवाल जापानी ने भी किया उसको उत्तर मिला कि अभी पचास साल लगेंगे। जापानी भी उदास हो गया कि उसके देश को आदर्श बनने मे अभी समय लगेगा। अंत मे भारतवासी ने जब वही सवाल पूछा तो पहले तो प्रभू चुप रहे फिर फ़ूट-फ़ूट कर रो पड़े।
अब आज के जमाने मे कौन ऐसी बात पर विश्वास करता है, पर जब सर्वोच्च न्यायालय की ओर से कहा गया कि इस देश को भगवान भी नही बचा सकते, तो आप क्या कहेंगे ? देख, पढ़ और सुन तो रहे ही हैं न रोज-रोज।
देव उठनी अमावस्या के समय मेघा नक्षत्र के उदय होने के पूर्व एक मुहूर्त बनता है जिसमे प्रभू का दरबार धरती वासियों के लिए कुछ देर के लिये खोला जाता है। इसका पता अभी-अभी साईंस दानों को लगा है । पहले सिर्फ पहुंचे हुए साधू-महात्मा लोग ऊपर जा अपना जीवन धन्य कर लेते थे. पर अब कोई भी इस अवसर का फ़ायदा उठा सकता है। पर यह बात खुल जाने से भीड़ इतनी बढ़ गयी कि संभालना मुश्किल हो गया । तब लाटरी का सहारा लेना पडा।
इस बार भारत, अमेरीका तथा जापान के तीन नुमांईदों को उपर जाने का वीसा मिला था। वहाँ तीनों को एक जैसा ही सवाल पूछने की इजाजत थी। पहले अमेरीकन ने पूछा कि मेरे देश से भ्रष्टाचार कब खत्म होगा, प्रभू ने जवाब दिया कि सौ साल लगेंगे। अमेरीकन की आंखों मे आंसू आ गये। फिर यही सवाल जापानी ने भी किया उसको उत्तर मिला कि अभी पचास साल लगेंगे। जापानी भी उदास हो गया कि उसके देश को आदर्श बनने मे अभी समय लगेगा। अंत मे भारतवासी ने जब वही सवाल पूछा तो पहले तो प्रभू चुप रहे फिर फ़ूट-फ़ूट कर रो पड़े।
अब आज के जमाने मे कौन ऐसी बात पर विश्वास करता है, पर जब सर्वोच्च न्यायालय की ओर से कहा गया कि इस देश को भगवान भी नही बचा सकते, तो आप क्या कहेंगे ? देख, पढ़ और सुन तो रहे ही हैं न रोज-रोज।
15 टिप्पणियां:
एकदम सही कहा भाई साहब !!!
सटीक सार्थक पोस्ट...
नहीं श्रीमान इतनी जल्दी दिल छोटा न करे ,
इंशाअल्लाह
एक दिन अवश्य अपने देशवासी सुधरेंगे
dabirnews.blogspot.com
अरे साहब बिलकुल शक नहीं है !
इस सार्थक पोस्ट के लिए साधुवाद !
बहुत बढ़िया व्यंग्य !
बेशक़ फ़िर भी भगवान को यही देश प्यारा है
वाकई सत्य है..
सार्थक व्यंग. आभार.
भाई साहब कृपया प्रेम की परिभाशा बतायें प्रेम के क्याा गुण होते हैं मै मानवप्रेम की बात कर रहा हूं
सत्यता पर भला कौन सन्देह कर सकता है!
भगवान ने दुखी हो कर कहा की भारत से तो भ्रष्टाचार जाने का दूर दूर तक कोई आसार नहीं नजर आ रहा है तो भारत की तरफ से गये नेता की तो बाछे ही खिल गई प्रफुल्लित ही कर सोच की चलो अच्छा है अब मेरी सातपुस्ते वहा आराम से कमा खा सकती है |
anshumala जी से सहमत...
मुझे भी लग रहा था कि भारतीय प्रितिनिधि को जवाब मिला होगा की कभी समाप्त नहीं होगा और वह बहुत अधिक खुश हुआ होगा... :-)
प्रभू चुप रहे फिर फ़ूट-फ़ूट कर रो पड़े।
JAB TAK SURAJ CHAND RAHEGA ,,,, TAB TAK BHRASHTACHAR RAHEGA.......
FIR SABKO HI LAG JANA CHAHIYE IS SUBH KAM MAIN
कोई शक नही है ……………सच कब बदला है फिर चाहे किसी भी रूप मे प्रस्तुत किया जाये।
व्यंग्य सटीक ठोका आपने !!
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गोदियाल जी,
आजकल जैसे आरोप-प्रत्यारोप, शिकायतें, कुंठाएं, आलोचनाएं ब्लाग जगत में पल, बढ, पनप रही हैं, वैसे में आपका सोचना ठीक है। पर यह तो एक सहज सुख है एक दुसरे से मिलने-जुलने, समझने का इसमें त्तुम दो तो मैं दूं वाली बात तो आनी ही नहीं चाहिए। पर 'मुण्ड़े-मुण्ड़े मतिर्भिन्ना'।
आपका सदा स्वागत है।
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