एकश्लोकि रामायणम् :
आदौ रामतपोवनादिगमनं हत्वा मृगं कांचनं,
वैदेहीहरणं जटायुमरणं सुग्रीवसम्भाषणम् ।
बालीनिग्रहणं समुद्रतरणं लकांपुरीदाहनं,
पश्चाद्रावणकुम्भकर्णहननमेतद्धि रामायणम् ।।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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11 टिप्पणियां:
सारगर्वित प्रस्तुति..... आभार
रामायण अभी तक नहीं बांची थी. आज आपने पूरा सार बता दिया. इसका अनुवाद भी देते तो अच्छा होता. आभार.
सुब्रमनियन जी,
आप तो खुद ज्ञानी हैं। फिर भी सार शायद यही कहता है कि श्रीराम जी का वनागमन हुआ, सोने के मृग का अंत हुआ। सीता जी के हरण और जटाऊ के स्वर्गारोहण के बाद सुग्रीव से मिलना हुआ। तत्पश्चात बाली वध के बाद सागर लांघा गया। और फिर लंका दहन के पश्चात रावण तथा कुम्भकर्ण का वध हुआ।
यही रामायण का सार है।
जी हाँ बहुत सही!
यही तो है पूरी रामायण!
उम्दा प्रस्तुति
nice post
... और फिर विलेन दुर्वासा का आगमन हुआ ,
लक्ष्मण जी का निर्वासन हुआ
राम जी का सरयू में रमण हुआ
ब्राह्मण के हाथों यूं रामराज्य का अंत हुआ
अब हुई रामायण पूरी
आप सुना रहे थे अधूरी
विचित्र ज्ञान पहेली
क्या आप जानना चाहेंगे कि मैंने निम्न सिद्धांत किसके ब्लाग पर प्रतिपादित किया ?
1, भारतीय नागरिक जी से पूरी तरह सहमत ।
2, कमी कभी धर्म नहीं होती इसीलिए धर्म में कभी कमी नहीं होती । कमी होती है इनसान में जो धर्म के बजाए अपने मन की इच्छा पर या परंपरा पर चलता है और लोगों को देखकर जब चाहे जैसे चाहे अपनी मान्यताएँ खुद ही बदलता रहता है ।
3, जिसके पास धर्म होगा वह न अपने मन की इच्छा पर चलेगा और न ही परंपरा पर , वह चलेगा अपने मालिक के हुक्म पर , जिसके हुक्म पर चले हमारे पूर्वज ।
4, धर्म बदला नहीं जा सकता क्योंकि यह कोई कपड़ा नहीं है ।
5, जो बदलता है उस पर धर्म वास्तव में होता ही नहीं है ।
6, अब आप बताइए कि नित्य और हर पल आप उस मालिक के आदेश पर चलते हैं या अपनी इच्छाओं पर ?
तब पता चलेगा कि वास्तव में आपके पास धर्म है भी कि नहीं ?
Sari Ramayan aaj hi padh li
मुफ्त के उपदेश कुशल बहुतेरे।
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