शनिवार, 20 नवंबर 2010

केले के पेड़ से अब कपडे भी बनेंगे.

रूई और जूट के बाद अब केले के पेड़ से धागा बनाने पर शोध जारी है।
नेशनल रिसर्च सेंटर फ़ार बनाना {एन आर सी बी} में केले के पेड़ की छाल से धागा और कपड़ा बनाने पर काम जारी है। केले के तने की छाल बहुत नाजुक होती है, इसलिए उससे लंबा धागा निकालना मुश्किल होता है। सेंट्रल इंस्टीट्युट आफ़ काटन टेक्नोलोजी के सहयोग से केले की छाल मे अहानिकारक रसायन मिला कर धागे को लंबा करने की कोशिश की जा रही है। अभी संस्थान ने फ़िलीपिंस और मध्य पूर्व देशों से केले के पौधों की खास प्रजातियां मंगाई हैं, जिनसे केवल धागा ही निकाला जाता है। इनसे फ़लों और फ़ूलों का उत्पादन नहीं किया जाता है। धागे से तैयार कपड़े को बाजार मे पेश करने से पहले उसकी गुणवत्ता को परखा जाएगा। वैज्ञानिक पहले देखेंगे कि धागा सिलाई के लायक है या नहीं या उस पर पक्का रंग चढ़ता है कि नहीं, इस के बाद ही उसका व्यावसायिक उत्पादन हो सकेगा।
तब तक के लिए इंतजार। आने वाले दिनों में केले का पेड़ बहुपयोगी सिद्ध होने जा रहा है।
एन आर सी बी, केले के तने के रस से एक खास तरह का पाउड़र बना रहा है, जो किड़नी स्टोन को खत्म करने के काम आएगा। इसके पहले इस संस्थान का केले के छिलके से शराब बनाने का प्रयोग सफ़ल रहा है और उसका पेटेंट भी हासिल कर लिया गया है।
केले के इतने सारे उपयोगों से अभी तक दुनिया अनजानी थी जो अब सामने आ रहे हैं।

7 टिप्‍पणियां:

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

वैज्ञनिकों से अनुरोध है कि ठीक से रिसर्च कर लें नहीं तो पहनने वाले को गाय, बकरियों से कौन बचाएगा ? :-)

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

मसला गंभीर है.

PN Subramanian ने कहा…

यह तो कई दशकों से हो रहा है. दक्षिण में साड़ियाँ उन्हीं रेशों से बनती भी थीं. चिन्नालम पट्टू कहते थे. काफी सस्ती भी हुआ करतीं थीं. दिखने में कांजीवरम की साडी सी.उनमें से एक अजीब बू आया करती थीं जो अब भी हमें याद है.

सुज्ञ ने कहा…

इन्सान वैसे भी आदिम युग की और लौट रहा है
खाना आदिम, अब यह पहनावा भी आदिम
रहनें में अब इतनी गुफ़ाएं कहां?

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

अच्छी खबर है!
काश इससे नंगापन ढक जाए!

anshumala ने कहा…

गाय बकरी तो फिर भी ठीक कही केले की महक से बन्दर पीछे पड़ गये तो क्या होगा | :-)

मनोज कुमार ने कहा…

तब तक के लिए इंतजार।

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