पुराने दोस्त कंचन यानि सोने की तरह होते हैं और नये दोस्त हीरे की तरह। पर यदि हीरे जैसे दोस्त मिलें तो भी पुराने दोस्तों को नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि हीरा भी सोने में ही जड़ा जा कर शोभा पाता है।
जब हम दूसरों के लिए प्रार्थना करते हैं तो भगवान हमारी पुकार सुन उनकी मदद करते हैं। इसलिए जब हम सुख-शांतिमय समय बिताते हैं तो याद रखना चाहिए कि कोई हमारे लिए प्रार्थना कर रहा है।
चिंता आने वाले कल की मुसीबतें तो दूर नहीं ही करती उल्टे आज की शांति भी छीन लेती है।
कार का आगे का शीशा काफी बड़ा होता है, जबकि पीछे देखने वाला बहुत छोटा, जो बताता है कि भूतकाल में जो हो चुका उसे भूल कर भविष्य सुधारने का प्रयास करो।
"बीती ताही बिसार दे, आगे की सुध ले"
जब भगवान हमारी परेशानियां दूर करते हैं तो हमारा उनकी सक्षमता पर विश्वास और ज्यादा पुख्ता हो जाता है। पर जब वे हमारी परेशानियां दूर नहीं करते तो इसका सीधा अर्थ है कि उन्हें हमारी सक्षमता पर विश्वास है।
दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है यह सभी जानते हैं। इसलिए जब सुख, स्मृद्धी का दौर चल रहा हो तब उसका भरपूर आनंद उठाएं क्योंकि वह स्थायी नहीं है। पर जब सामने मुसीबतें आ खड़ी हों तब भी हौसला बनाए रखें क्योंकि वह भी कहां स्थायी हैं।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
ठेका, चाय की दुकान का
यह शै ऐसी है कि इसकी दुकान का नाम दूसरी आम दुकानों की तरह तो रखा नहीं जा सकता, इसलिए बड़े-बड़े अक्षरों में ठेका देसी या अंग्रेजी शराब लिख उसक...
-
कल रात अपने एक राजस्थानी मित्र के चिरंजीव की शादी में जाना हुआ था। बातों ही बातों में पता चला कि राजस्थानी भाषा में पति और पत्नी के लिए अलग...
-
शहद, एक हल्का पीलापन लिये हुए बादामी रंग का गाढ़ा तरल पदार्थ है। वैसे इसका रंग-रूप, इसके छत्ते के लगने वाली जगह और आस-पास के फूलों पर ज्याद...
-
आज हम एक कोहेनूर का जिक्र होते ही भावनाओं में खो जाते हैं। तख्ते ताऊस में तो वैसे सैंकड़ों हीरे जड़े हुए थे। हीरे-जवाहरात तो अपनी जगह, उस ...
-
चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें :) 1, ट्रेन में बैठे श्रीमान जी काफी परेशान थे। बार-बार कसमसा कर पहलू बदल रहे थे। चेहरे...
-
हनुमान जी के चिरंजीवी होने के रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए पिदुरु के आदिवासियों की हनु पुस्तिका आजकल " सेतु एशिया" नामक...
-
युवक अपने बच्चे को हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से परिचित करवा रहा था। आजकल के अंग्रेजियत के समय में यह एक दुर्लभ वार्तालाप था सो मेरा स...
-
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। हमारे तिरंगे के सम्मान में लिखा गया यह गीत जब भी सुनाई देता है, रोम-रोम पुल्कित हो जाता ...
-
"बिजली का तेल" यह क्या होता है ? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि बिजली के ट्रांस्फार्मरों में जो तेल डाला जाता है वह लगातार ...
-
कहते हैं कि विधि का लेख मिटाए नहीं मिटता। कितनों ने कितनी तरह की कोशीशें की पर हुआ वही जो निर्धारित था। राजा लायस और उसकी पत्नी जोकास्टा। ...
-
अपनी एक पुरानी डायरी मे यह रोचक प्रसंग मिला, कैसा रहा बताइयेगा :- काफी पुरानी बात है। अंग्रेजों का बोलबाला सारे संसार में क्यूं है? क्य...
15 टिप्पणियां:
सच्चा हितैषी मित्र सुख दुःख में हमेशा साथ रहता है वही चोखा हीरा है ... आभार
सच्चा हितैषी मित्र सुख दुःख में हमेशा साथ रहता है वही चोखा हीरा है ... आभार
बहुत ज्ञानवर्धक पोस्ट लगी धन्यवाद|
अरे भाई जिस ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हो वा होगा तब ही न सुनेगा
जरा सोचिये कि किसी के घर मे गये और गेट मे खड़े हो कर घंन्टी
बजा रहे हो । अन्दर कोई रहता ही नही है घर वर्षाें से खाली पड़ा
है। ऐसे मे कौन आपकी सुनेगा और अन्दर से उत्तर देगा।
मगर आप ने ये नही जानना चाहा कि अन्दर कोई है ही नही आप ने
अपने मन को तसल्ली दे दी कि शायद वो हमसे मिलना ही नही
चाहते।
अरे भईया आप जब ढूंढेगे कि सही ईश्वर कौन है कौन से ईश्वर से
प्रार्थना करुं जो मेरी सुने बाहर निकलो ढूंढोगे तो क्या नही मिल
सकता है।
धर्म मनुष्यों ने ही बनाये है मनुष्यों ने ही लिखे हैं। धर्म का मार्ग दिखाने वाले लिखने वालों का क्या हुआ क्या इनको स्वर्ग की प्राप्ती हुई उन्होने जो लिखा है उसने कितनी सच्चाई है या जो उसमे चमत्कार बताये हैं क्या ये संम्भव है आज भी होते है। या काल्पनिक कपोल कल्पना है ।
मगर आंधों की तरह उसके मानने वाले अपने धर्म को श्रेष्ठ बताने की होड़ में लगे है।अपने धर्म को श्रेष्ठ बताने के लिये दूसरे धर्म की कमी
निकालते है। ताकि अपने धर्म को श्रेष्ठ बता सकें।हर कोई अपने आपको बुद्धीजीवी ज्ञानवान समझाता है।हमारे बाप दादाओं से हम मानते आ रहे है अब हम मान रहे है सही है।
प्रश्न हैरू. ये बताये आप खाना आंख बन्द करके खाते है
या खाते समय आपकी नजर थाली पर रहती है कि कही
कीड़ा या बाल तो नही है निवाले मे कंकंड़ आ जाता है
तो आप उसे खा लेते है या उगल देते है। जरा सोचें।
मेरा मानना है कि हम खाना देख कर खाते हैं कि कुछ
गलत पेट मे न चला जाये । तो जब हम अपने शरीर के
लिये ख्याल रखते हैं।
तो धर्म के लिये आंख क्यो बन्द करे है।
हमे खुद अपने धर्म के बारे मे पता नही है ईश्वर के बारे
मे पता नही है। हमने खुद ईश्वर को पाया नही है और
दूसरे को मनवा रहे है। हम हिन्दू और मुसलमान आपस
मे एक दूसरे को नीचा दिखाने मे लगे है।
मनुष्यों ही ने धर्म शास्त्रो को लिखा है हम कैसे मान लें
की उन्होने जो लिखा है वो सही ही लिखा है अगर सही
लिखा है तो हम उसे परखेंगें। सही पायेगे तो मानेगे भी।
अरे हम 10रु का घड़ा या मटका खरीदते है तो 20 बार ठोक
बजा कर दखते है अंन्दर झांक कर देखते हैं।
अत्यन्त बहुमूल्य कीमती अपने जीवन के लिये और मरने के बाद क्या होगा हम जिस रास्ते पर हम चल रहे है वो सही है कि नही हमने और आपने अपने धर्मो को झांक कर देखा है ठोक बजा कर देखा है
अरे इतनी मेहनत और ताकत ईश्वर को ढूंढने मे लगा दो
तो ईश्वर मिल जाये और हमारा आपका और सब का जीवन
सफल हो जाये।
राजनैतिक दल और सम्प्रदायिक संगठन राजनैतिक लाभ पाने के लिये धर्माे
को आपस मे लड़ा रहे हैं। सारे नेता डकैत है और सहयोगी संगठन भी चोर हैं।
चोर से कहें चोरी करो साहूकार से कहें जागते रहो।
जनता के सामने सबसे धार्मिक प्रवत्ती के ये लोग जब पावर मे आते हैं तो सबसे भ्रष्ट हो जाते है कंहा रही धार्मिकता। और अपनी पीढ़ियो के लिये धन इकठ्ठा कर लेते है। नेता अपने बच्चो को कानवेंन्ट मे पढ़ाये।
और हमे धर्म का पाठ पढ़ाते है हमे कहते है कि सरस्वती स्कूल मे बच्चो को पढ़ाओ संस्कृत पढ़ाओ ताकि हमारे बच्चे अंग्रेजी न पढ़ पायें क्योकि दुनिया का ज्ञान लिटरेचर और कम्प्यूटर सब अंग्रेजी मे है।
अगर हमारे बच्चे ज्ञानी हो गये तो इनकी धकियानूसी कहां चलेगी
आपको मालूम होगा कि चीन अंग्रेजी को कितना महत्व दे रहा है इंग्लिश टीचरो को बुला कर सारी सुविधायें और तगड़ी पेमेन्ट दे रहा है। उसको मालूम है कि अंग्रेजी कितनी महत्व पूर्ण है।
तो फिर, चांदी ही चांदी है :)
संस्कृत पढ़ने वाले पढ़ सकते है देश का साहित्य संस्कृत मे है। लेकिन ये तो सोंचें कि देश दुनिया आगे बढ़ रही है और हम अपने बच्चों को 1000 साल पीछे ले जा धकेल रहे है।
बहुत ही अच्छी बात कही आप ने पर वास्तव में हम सब ये बाते समझते हुए भी हमेसा याद नहीं रख पाते है |
ये बेनामी भाई साहब कौन है ये अपना नाम लिखते तो इनको जवाब देना आसान होता .. एक कमेंट में ये लिखते है है कि ईश्वर तो है ही नही.. वो मेरे पास आए तो मै उन्हें साक्षात ईश्वर के दर्शन करवा सकता हूँ वो भी ग्यारंटी के साथ.
अगले कमेंट में ये इंग्लिश के इमायति लगते है.. इनका आसय है कि दुनिया इंग्लिश पढ़ के आगे निकाल रही है और हम हिंदी पढ़कर पीछे ही है.. हा हा हा हा हा
भाई साहब मेरा तो सीधा फंदा ये है कि आप में दम है तो दुनिया को अपने ओर मोड़ क्यों नही लेते? जिनमें दम नही होता वो लोग आपकी तरह होते है जो सिर्फ़ मुँह चला सकते है और घर जाकर बीवी कि दाँत खाकर चुपचाप सो जाते है.. अरे ये जो दुनिया आज आगे बढ़ रही है उसमें लगभग 60 % भारतीय योगदान है.. अमेरिका के 35% इंजिनिअर भारतीय है ऑस्ट्रेलिया में चीन में रेसाइ में हर जगह हमारे दिमाग वाले लोग इंग्लिश कि गुलामी कार रहे है ... अगर बाहर के ही 60% में से 30 % इंजिनिअर अगर हिन्दी में कम करना चालू करदे तो झक मारकर दुनिया वालों को हिन्दी कि ट्यूशन लगानी पड़ेगी.. जैसे तुम इंग्लिश सीखा रहे हो ना अपने बच्चों को वैसे वो हिन्दी सिखयेंगे.. ये जो इंटरनेट है ना जिस्पर आप इंग्लिश कि के तलवे चाट रहे हो.. इसमे भी बहुत बड़ा योगदान है भारतीयों का कभी समय मिलें तो बताऊँगा..
हमारे भारत में तुम जैसे कमजोर, हीन दिन और ग़ुलाम लोगो कि कोइ जरूरत नही है.. हमें जरूरत है महात्मा गाँधी कि, हमें जरूरत है स्वामी राम्देव कि हमें जरूरत है उस विश्व गुरु भारत कि जिसके हर कदम का दुनिया इंतज़ार करती है ताकि उसके कदम के बाद वो कदम रख सके ..
हमें फिरसे विश्व गुरु बनना है ..
अच्छी बात कही आपने....बहुत ज्ञानवर्धक पोस्ट आभार
पहले तो मै आपको बता दू कि मै एक कट्टर भारतीय हूं
आप अमीरी का चश्मा लगा कर विदेश मे पढ़ने वालो को देख रहें हैं
हमारे भारत मे गरीब और मध्यम वर्गीय एक बहुत बड़ा हिस्सा है मै
उनकी बात कर रहा हूं। पहले आप अच्छे से पढ़े क्या लिखा है
विदेश मे पढ़ने और नौकरी करने वाले ज्यादातर घूसखोर नेताओ और
घूस खोर अधिकारियो के बच्चे हैं।
ये नेता और अधिकारियो की ही मिली भगत है कि हमारे बच्चे
उच्चशिक्षा प्राप्त करने से वच्चिंत रह जाये तो हम संस्कृत और हिन्दी
की राह दिखाते है।
ज्यादा पढ़ लिख लेगे तो इनकी क्या बखत करेगें
गवांरो को बराबर मे बैठाना पड़ेगा।
मुझे तो आपकी सोच मे ऐसे ही किसी नेता या अधिकारी की बू
आरही है।
पुराने दोस्त सोने जैसे होते हैं और नए दोस्त चांदी की तरह
नए दोस्त मिलने पर पुराने को नहीं भूलना चाहिए ...
सही !
आपकी पोस्ट लिन्कित है
1. ब्लाग4वार्ता :83 लिंक्स
2. मिसफ़िट पर बेडरूम
3. प्रेम दिवस पर सबसे ज़रूरी बात प्रेम ही संसार की नींव है
लिंक न खुलें तो सूचना पर अंकित ब्लाग के नाम पर क्लिक कीजिये
एक टिप्पणी भेजें