आखिर पूरे 21 दिन और कुछ घंटों के पश्चात सरकारी फोन में जान आ ही गयी। बड़ी गरीब सी चीज हो गया है यह बेचारा। हो क्या गया है बना दिया गया है इसे। नहीं तो सारी कंपनियों को मिलाने के बाद भी जिसके, चाहे मजबूरी मे ही सही, ग्राहकों की संख्या ज्यादा हो उसका यह हाल है कि उसका नाम सुनते ही या तो लोग मुंह बना लेते हैं या फिर उनके चेहरे पर एक अजीब सी व्यंग्यात्मक मुस्कान आ जाती है। फिर रही-सही कसर चलित फोन ने पूरी कर दी है। ऐसे मे यदि बेचारा एक बार जो बिमार पड़ता है तो पहले तो कोई ध्यान ही नहीं देता। कोशिश दर कोशिश के बाद पांच सात बार याद दिलाने पर एक-दो दिनों का आश्वासन का झुनझुना ठेका दिया जाता है।
पता नहीं संचार व्यवस्था में इतनी तरक्की होने के बाद भी फाल्ट खोजने में ही दसियों दिन क्यों लग जाते हैं। चलिए ठीक है आपकी रफ्तार ऐसी ही है तो "उपभोक्ता" को अंधेरे में ना रख कितने दिन लगेंगे ठीक होने में यह बताने की हिम्मत तो रखिए। जिससे वह रोज सबेरे भगवान का नाम लेने के पहले चोंगा उठा-उठा कर इसके ठीक होने की आशा को निराशा मे ना बदलता रहे।
एक बार चारेक महिने पहले भी ऐसा हुआ था और फोन महीने से कुछ दिन कम के लिए कोमा में चला गया था। इस बार भी 24 जुलाई को जो खटिया पकड़ी तो 14 अगस्त को जाकर बिमारी से आजादी पा सका। सोचता हूं कि किसी प्रायवेट सेक्टर वाले की इतनी "हिम्मत" हो सकती है ऐसी जुर्रत करने की। अरे भाई जब बिल जमा करने मे जरा सी देर-सबेर होने पर कनेक्शन काटने की धौंस देते हो तो महीने भर सर्विस ना देने पर उसका भी हरजाना दो। यदि कोई अड़ ही जाए तो अहसान करते हुए इतनी कम रकम की छूट मिलती है कि लेने वाले को भी शर्म आ जाती है। फिर जले पर नमक छिड़कने वाली बात यह कि रोज ही झिंझोड़-झिंझोड़ कर कहा जाता है "जागो ग्राहक जागो" अरे भैया पहले देख तो लो कि किस खाट पर कोई सोया है ऐसा ना हो कि जागते ही पहले वह खाट ही खड़ी कर दे।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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5 टिप्पणियां:
दुखद स्थिति!
इन के दफ़तर मै जा कर एक बार चिल्ला कर बात करे फ़िर देखे केसे नही दुसरे दिन ही ठीक नही होता... वेसे हम सब आजाद है जी
आपके यहाँ की तस्वीर तो बड़ी गंभीर है और क्यों न हो कोलकता है. हराम खोरी की कोई मिसाल कहीं ढूँढनी हो तो वह बंगाल जाए. सार्वजनिक उपक्रमों में या फिर सरकारी तंत्र में यही हाल हैं. दुसरे प्रदेशों में बीएसएनएल की छवि ऐसी नहीं है. २४ घंटों में शिकायत दूर हो जाती है. वैसे दो दिनों से हमारा फोन भी खराब है परन्तु ब्रोडबेंड दुरुस्त है. गलती हमारी है की हमने शिकायत नहीं की है. शिकायत करने के लिए किसी दूसरे बीएसएनएल लाइन पर जाना होगा. सार्वजनिक उपक्रमों पर भरोसा रख सकते हैं, बंगाल और केरल जैसे राज्यों को छोड़ दें तो.
"जागो ग्राहक जागो" अरे भैया पहले देख तो लो कि किस खाट पर कोई सोया है ऐसा ना हो कि जागते ही पहले वह खाट ही खड़ी कर दे।
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आजाद भारत की सच्ची तसवीर!
खाट खड़ी कादी करणी,फ़ड़ के छित्तर पाओ, तां मामला फ़िट जाणो।
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