शनिवार, 29 अगस्त 2009

पानी बरसाने का ऐसा जादू न कभी देखा न सुना

अपनी एक पुरानी डायरी मे यह रोचक प्रसंग मिला, कैसा रहा बताइयेगा :-

काफी पुरानी बात है। अंग्रेजों का बोलबाला सारे संसार में क्यूं है?  क्या वे लोग भी जादू-टोना जानते हैं ? क्या हमारे काले जादू से उनका सफेद जादू ज्यादा शक्तिशाली है ? ऐसी ही जिज्ञासाओं का उत्तर पाने के लिये सुदूर अफ़्रिका का एक ओझा इंगलैंड जा पहुंचा। उसके स्वदेश लौटने पर लोगों ने उसे घेर कर उसकी यात्रा का परिणाम जानना चाहा। उसने सबकी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिये सबको अपने घर बुलाया और अपनी दास्तान सुनानी शुरु की, वह बोला, निश्चित रूप से उनका सफेद जादू हमारे काले जादू से बेहतर है। यह मैने अपनी आंखों से देखा है। सारे लोगों की आँखें भी कान बन गयीं। सभी ने सिमट कर उसे घेर लिया।   

ओझा ने कहना शुरू किया, घूमते-घूमते मैं गोरों के देश इंग्लैण्ड जा पहुंचा। वहीँ एक दिन देखा कि लोग एक मैदान की ओर जा रहे हैं।  मैं भी उत्सुकतावश वहाँ चला गया, देखा कि मैदान के चारों ओर सैंकड़ों लोग गोल घेरा बना कर बैठे हुए थे। आकाश बिल्कुल साफ था, बादलों का नामोनिशान नहीं था। नीचे सुंदर हरी घास बिछी हुई थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इतने लोग किसका इंतजार कर रहे हैं। तभी कहीं से एक आदमी ने आकर मैदान के बीचो-बीच तीन लकड़ियां गाड़ दीं।  फिर उसने कुछ कदम नाप कर उन लकड़ियों के सामने तीन और लकड़ियां गाड़ दीं। इसके तुरंत बाद एक तरफ से दो आदमी जिन्होंने टोपी और सफ़ेद कोट पहन रखे थे, आये और झुक कर उन गड़ी हुई लकड़ियों पर दो-दो छोटे टुकड़े रख दिये। इसके बाद जिधर से कोट वाले आये
थे उधर से ही कुछ और लोग मैदान में आ जगह-जगह बिखर कर खड़े हो गये। मैने गिना वह ग्यारह की संख्या में थे। तभी उसी दिशा से दो और आदमी अजीब सी चीजों को शरीर पर धारण कर, एक-एक लकड़ी का चौड़ा सा डंडा हाथ में लिए आए और मैदान के बीचो-बीच पहले से दो जगह गड़े ड़ंड़ों के पास एक-एक कर खड़े हो गये।  फिर उन्होंने इधर-उधर, उपर-नीचे देखा और उनमें से एक हाथ की लकड़ी के सहारे झुक कर खड़ा हो गया। अब एक आदमी ने एक लाल गेंद निकाली और अपनी सफेद पैंट पर रगड़ने लगा। फिर उसने दौड़ते हुए आकाश की ओर हाथ उठा अजीबोगरीब तरीके से वह गेंद डंडा ले झुके हुए आदमी की ओर फेंक दी। लकड़ीवाले आदमी ने जोर से अपनी लकड़ी से गेंद को उपर आकाश में उछाल दिया और उसी समय ऐसा पानी बरसना शुरु हुआ जो घंटों बरसता रहा। पानी बरसाने का ऐसा जादू ना कभी मैने देखा था ना सुना था। इसीलिये कहता हूं कि हमारे काले जादू से उनका सफेद जादू ज्यादा बेहतर है। इसी की बदौलत वे संसार पर राज करते हैं। 

33 टिप्‍पणियां:

Chetan ने कहा…

bahut khuub, is baar ke suukhe me isako ajmate hai (-:

Sarjeevan sharma ने कहा…

bohut aacha masha-allah kaash us ball ko thoda aur jor lagakar himachal pradesh ki oor phenk dete to aaj humare ko barish ki kami na hoti aapka choota.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

तब से लेकर आज तक ये लोग अब भी डंडा लिए मैदान में लाल गेंद को मार रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि उस कप में वर्षा आ कर गिरे जो वहां रखी है। यह भी सही है कि जो वर्षा उस कप को भर रही है वह है करोडों का धन:)

लोकेन्द्र विक्रम सिंह ने कहा…

रोचक प्रसंग......
इसीलिए कहा जाता है अल्प ज्ञान खतरों का बुलावा है.....

Gyan Darpan ने कहा…

रोचक प्रसंग !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

चंद्रमौलेश्वर जी,
सही कह रहे हैं आप। बस जब से गेंद का रंग बदल कर लाल से सफेद किया गया है, तब से पानी की जगह कंचन ने ले ली है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

नीम हकीम खतरे जान,
नीम मुल्ला खतरे ईमान।
बहुत सही पोस्ट लगाई है।
बधाई!

राज भाटिय़ा ने कहा…

शर्मा जी सब से ज्यादा यह जादू हम लोगो के सर चढ कर बोल रहा है, काश कोई आये ओर इस जादू से हमे छुडाये...
मान गये आप को बात को कहा से कहा किस रुप मे ले गये.
धन्यवाद

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत रोचक!

36solutions ने कहा…

इस बारिश से तो सारी दुनिंयां भीग रही है.

सुशील छौक्कर ने कहा…

ये वाक्या तो वाकई रोचक है।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

रोचक प्रसंग जिसने अंत तक बाँधे रखा!!!!!!!

Nitish Raj ने कहा…

रोचक और बहुत ही अलग।

विवेक रस्तोगी ने कहा…

वाह क्या टोटका है, पर लगता है कि जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है यह टोटका चलना बंद हो गया है।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

यह टोटका तो बहुत किया लेकिन भारत में पानी नहीं बरसा

विवेक सिंह ने कहा…

टोटका किसी और का और आजकल पानी बरसा रहे हैं इण्डिया वाले !

Anil Pusadkar ने कहा…

रोचक्।ब।ड़ी दूर की कौड़ी ले आये शर्मा जी

नीरज मुसाफ़िर ने कहा…

साहब जी,
इसके बाद क्या हुआ, मैं बताता हूँ. फिर अंग्रेज भारत में आये, भारत है ही देवभूमि. भारतीयों ने उस सफ़ेद जादू को अपने हाथ में लेकर विश्व में डंका बजा दिया. सुनील, कपिल, सचिन जैसे जादूगर इस धरती में पैदा हुए हैं.

शरद कोकास ने कहा…

शर्मा जी कुछ भी कहिये मज़ा आ गया । हमारे चेनल इसके बाद कहते " फिर उसके बाद खेल नही हो सका "

सागर नाहर ने कहा…

जोरदार हंसी आ गई। लेख के साथ टिप्पणियां भी मजेदार हैं।

rahul batra ने कहा…

Nishabd😐😐😐

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

चेतन जी
आजमाया हुआ टोटका है 😃😝

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

राहुल जी
बहुत दिनों से आमद नहीं हुई

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सागर जी
सदा स्वागत है आपका

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

नितीश जी
काफी दिनों से आना नहीं हो रहा है
ऐसा क्यों

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी
हार्दिक आभार

yashoda Agrawal ने कहा…

उव्वाहहहह..
सफेद ज़ादू..
सादर..

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

रोचक

Rupa Singh ने कहा…

बेहद रोचक प्रसंग।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

जीवन जी, देखिए समय के साथ कैसे विचार बदल जाते हैं, कभी आपने बारिश की मांग की थी और आज वही बारिश कहर ढा़ रही है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी,
स्नेह बनाए रहे🙏

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

रूपा जी,
"कुछ अलग सा" पर आपका सदा स्वागत है 🙏

विशिष्ट पोस्ट

इतिहास किसी के प्रति भी दयालु नहीं होता

इतिहास नहीं मानता किन्हीं भावनात्मक बातों को ! यदि वह भी ऐसा करता तो रावण, कंस, चंगेज, स्टालिन, हिटलर जैसे लोगों पर गढ़ी हुई अच्छाईयों की कहा...