मुगल सेनापति बाज बहादुर और रूपमति की प्रेम गाथाओं को अपने दामन में समेटे, मध्यप्रदेश के धार जिले में विंध्य पर्वत की गोद में स्थित 22किमी के क्षेत्र में बसा मांडव या मांडवगढ या मांडू आज भी ऐसी-ऐसी इमारतों और प्राकृतिक दृष्यों को सहेजे खड़ा है, जो वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य की अनुपम मिसाल हैं। 1405-1434 में होशंग शाह के राज्य में यह अपने चर्मोत्कर्ष पर था। उसने ही स्वतंत्र मांडव राज्य की स्थापना की थी। परंतु मुगलों के आगमन से ही इसका पराभव शुरु हो गया था। परंतु आज भी इसका वैभव देख इसकी सुंदरता का अंदाज आसानी से लग जाता है। बरसात के दिनों में तो यहां स्वर्ग उतर आता है। यहां की वादियां, घाटियां, चारों ओर फैली हरियाली मानो जिवंत हो पर्यटकों को एक जादुई दुनियां में ले जाती है।
यहां का सबसे बड़ा आकर्षण, झीलों के बीच बना जहाज महल, सुंदरता का बेजोड़ नमूना है। इस पर बने रानी रूपमती के झरोखे से, जहां पर्वत श्रृंखला खत्म हो जाती है और सामने खुला मैदान नजर आता है। दूर नर्मदा नदी एक लकीर की तरह नजर आती है। कहते हैं कि बिना नर्मदा के दर्शन किये रूपमती जल ग्रहण नहीं करती थी। इसीलिये बाज बहादुर ने यहां नर्मदा के दर्शन हेतु यह झरोखा बनवाया था।
मांडू अपने महलों के लिये विख्यात है यहां देखने लायक बहुत सी इमारतें हैं। जिनमें बाज बहादुर महल, हिंडोला महल, मुंज महल, हाथी महल , जामा मस्जिद, अशर्फी महल, चम्पा बावड़ी, रेवा कुंड इत्यादि किसी को भी अपने मोहपाश में बांधने में सक्षम हैं। इनके अलावा यहां का सनसेट पांइट और ईको पांइट भी महसूस करने लायक स्थान हैं। यहां के नीलकंठ महादेव और जैन मंदिर का अपना अलग ही आकर्षण है।
मांडू घूमने में समय की समस्या भी आड़े नहीं आती। दो दिनों में यहां आराम से घूम, बिना जेब पर ज्यादा बोझ डाले भी पूरी जगहें देखी जा सकती हैं। इंदौर से सड़क के रास्ते इसकी दूरी 100किमी है। यहां से हर तरह के वाहन उपलब्ध हैं। अभी मौसम है, हो सके तो मौका मत चूकीये।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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6 टिप्पणियां:
maandoo ka kudarati saundrya dekhna aur anubhav karna atyant sukhad hota hai.
mujhe bhi iska saubhagya mila hai..
बढिया जानकारी।आभार।
हम तो हर बरसात के सीजन में दस बारह बार हो आते थे जब पढ़ाई करते थे हम धार में अब मुश्किल होता है पर अभी पिछले साल ही गये थे, बरसात में तो वाकई बहुत खूबसूरती निखर आती है।
बढिया जानकारी।आभार।
baj bhadur mugal nah tha . pathan tha.. muglo se ladai me vo maara gaya tha
इस टिप्पणी के माध्यम से आपको, सहर्ष यह सूचना दी जा रही है कि आपके ब्लॉग को प्रिंट मीडिया में स्थान दिया गया है।
अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं।
बधाई।
बी एस पाबला
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