हमारे यहां तो लम्बी कतार है उदाहरणों की, श्री कृष्ण, नचिकेता से शरू करें तो आधुनिक युग में भी लक्ष्मी बाई, चंद्रशेखर, खुदीराम बोस, विवेकानंद, जतिंद्र नाथ, भगत सिंह, उमाकांत कड़िया, करतार सिंह सराभा, गिनते-गिनते थक जाएंगे पर इन शूरवीरों के नाम खत्म नहीं होंगे.........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
युवा वर्ग को ले कर अचानक एक गढ़ा गया शब्द ''जेन-जी'' उमड़ता है और दुनिया भर पर वितान सा छा जाता है ! ऐसे शब्द पहले भी बनते-बिगड़ते रहे हैं, तरह-तरह के बदलावों से उन्हें जोड़ा जाता रहा है ! आज इसे यदि युवाओं की क्रांति से जोड़ा जा रहा है तो, युवा तो हर युग में हुआ है ! क्रांतियां तो युवाओं द्वारा ही होती हैं ! उन्हीं के द्वारा सदा गलत के विरोध में विद्रोह और प्रतिरोध हुए हैं !
सत्ता के विरुद्ध पहली क्रांति |
हमारे यहां तो यह चिर काल से होता आया है ! यदि अपने पूर्वाग्रह और कुंठा छोड़, सभी लाल-नीले-पीले, गोल-चपटे-तीरछी विचारधारा वाले, श्री कृष्ण चरित्र को पढ़ें तो ज्ञात हो जाएगा कि इस बारे में भी सनातन सबसे आगे है और उसका कोई सानी, कोई उदाहरण, कोई दृष्टांत, कोई मिसाल दुनिया में और कहीं नहीं मिलती !
जन-क्रांति |
अपने देश में तो लम्बी कतार है उदाहरणों की, श्री कृष्ण, नचिकेता से शरू करें तो आधुनिक युग में भी लक्ष्मी बाई, चंद्रशेखर, खुदीराम बोस, विवेकानंद, जतिंद्र नाथ, भगत सिंह, उमाकांत कड़िया, करतार सिंह सराभा गिनते-गिनते थक जाएंगे पर इन शूरवीरों के नाम खत्म नहीं होंगे !
पर इतिहास इस बात का भी गवाह रहा है कि यदि भौतिक बदलावों को छोड़ दें तो जो क्रांतियां, तानाशाही, भ्रष्टाचार, वंश, भाई-भतीजावाद के विरोध में की गईं वे तात्कालिक रूप से तो सफल रहीं, परंतु समय के साथ फिर उनके परिणामों में बदलाव आता चला जाता है ! फिर वही पुरानी बुजुर्वा ताकतें हावी होती चली जाती हैं ! पर अब अच्छी बात यह है कि आज का युवा तकनिकी तौर पर पहले से ज्यादा सक्षम ज्ञानवान तथा जागरूक है, उसे ना तो ''नेरेटिवों'' से बहकाया जा सकता है ना हीं उससे सच्चाई छिपाई जा सकती है ! देश का भविष्य सुरक्षित है और रहेगा !
जय हिन्द 🙏
@चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से
3 टिप्पणियां:
सहमत 100 आना | कलयुगी किशन |
रोचक... अरे सर ये जेन जी कम आफत जी ज्यादा हैं इनकी एनर्जी को सकारात्मक और रचनात्मक रखना आसान नहीं।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २६ सितंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
कृष्ण का उदाहरण हमेशा खास रहता है, बचपन से अन्याय का विरोध करना और सत्ता को चुनौती देना, ये आज भी प्रासंगिक है। आपने सही कहा, इतिहास बार-बार दिखाता है कि क्रांतियां आती हैं, जीतती भी हैं, लेकिन वक्त के साथ पुरानी ताकतें लौट आती हैं। फर्क अब यही है कि आज का युवा ज्यादा जागरूक है। वो झूठे नैरेटिव पर भरोसा नहीं करता और जानकारी छिपाना भी आसान नहीं रहा।
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