इतिहास नहीं मानता किन्हीं भावनात्मक बातों को ! यदि वह भी ऐसा करता तो रावण, कंस, चंगेज, स्टालिन, हिटलर जैसे लोगों पर गढ़ी हुई अच्छाईयों की कहानियां ही हम सुन रहे होते ! पर इतिहास तो इतिहास है ! इस मामले में वह निस्पृह होने के साथ-साथ निर्मम भी बहुत है ! ऐसे में अपने कर्मों को जानते हुए भी यदि कोई कहे कि इतिहास उसके प्रति दयालु होगा या दयालुता बरतेगा, तो यह तो उसकी नासमझी ही होगी.............!
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हमारे पुराणों में शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है ! मान्यता है कि वह संसार के सभी प्राणियों को बिना किसी किसी भेदभाव, बिना किसी पक्षपात, बिना किसी दया-माया के उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं ! उनकी इसी न्याय प्रक्रिया के कारण डरते हैं लोग उनसे ! उन्हें क्रूर माना जाता है। इतिहास भी कुछ-कुछ वैसा ही है। यह भले ही कर्मों का फल ना देता हो, पर हर हाल में उनको उजागर जरूर करता है, बिना कुछ छिपाए ! इस मामले में वह बड़ी निर्ममता से शल्य चिकित्सा करता है ! किसी की नहीं सुनता। इसीलिए कहा जाता है कि उससे सबक लेना चाहिए ! सीखना चाहिए उससे !
इतिहास कभी भी भेदभाव नहीं करता, नाहीं वह किसी का पक्ष लेता है ! सत्ताधीश उसे विकृत करने की कितनी भी कोशिश कर लें ! कुछ समय के लिए भले ही उस पर अपना मुखौटा मढ़ दें ! उसे जमींदोज कर उस पर झूठ का प्लास्टर चढ़ा दें, पर उसके सच का बीज इतना ताकतवर है कि वह हर विपरीत परिस्थिति को दरकिनार कर अंकुरित हो कर ही रहता है, कुछ समय भले ही लग जाए !
हमारी अच्छी या बुरी जो भी कह लें परंपरा रही है कि किसी के निधन के बाद उसकी बुराई नहीं करनी चाहिए, पर इतिहास तो नहीं ना मानता ऐसी भावनात्मक बातों को ! यदि वह भी ऐसा करता तो रावण, कंस, चंगेज, स्टालिन, हिटलर जैसे लोगों पर गढ़ी हुई अच्छाईयों की कहानियां ही हम सुन रहे होते ! पर इतिहास तो इतिहास है ! इस मामले में वह निस्पृह होने के साथ-साथ निर्मम भी बहुत है ! ऐसे में अपने कर्मों को जानते हुए भी यदि कोई कहे कि इतिहास उसके प्रति दयालु होगा या दयालुता बरतेगा, तो यह तो उसकी नासमझी ही होगी !
आज यानी वर्तमान में जो लिखा-बोला जा रहा है वही समयानुसार इतिहास बनेगा ! परंपरानुसार दो-चार दिन की बात छोड़ दें, भले ही मजबूरीवश, तो उसके बाद शालीनता, मृदु भाषा, सहनशीलता की पूरी विवेचना तो होगी ही, साथ ही साथ लिप्सा, कमजोरी, लियाकत, आत्म सम्मान हीनता का भी पूरा लेखा-जोखा लिया जाएगा ! देश, समाज का कितना भला हुआ और कितना नुक्सान उसका आकलन होगा और फिर जो निर्मम सत्य सामने आएगा, वही आगे चल कर इतिहास बनेगा जो ना किसी के साथ दयालुता बरतता है ना हीं बिना बात कठोरता.........!
9 टिप्पणियां:
इतिहास के भूगोल को बदलने का प्रयास तो चल ही रहा है :)
सच तो यही कि इतिहास अपने आप को कभी दोहराता नहीं ,,एक दिन सब इतिहास बन जाता है,,बहुत अच्छी प्रस्तुति
कुंजी पंक्ति
वर्तमान में जो लिखा-बोला जा रहा है वही समयानुसार इतिहास बनेगा
सादर वंदन
सुशील जी,
हो सकता है भूगोल का इतिहास सामने आ जाए 🙏
हार्दिक आभार, कविता जी 🙏
दिग्विजय जी,
अनेकानेक धन्यवाद 🙏
इतिहास ,भूगोल तो पढ़ने वाले बाँचते हैं पर समय बहुत निर्मोही है इतना समझ आता है।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ३१ दिसम्बर २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
श्वेता जी,
अनेकानेक धन्यवाद 🙏
बहुत सटीक...
परन्तु जिन्हें आज की परवाह नहीं उन्हें इतिहास का क्या डर ।
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