बुधवार, 1 जनवरी 2025

फौवारे और तालियों की जुगलबंदी

अब वहां उपस्थित सभी लोग फौवारे पर दिए गए अपने-अपने समझदारी भरे आकलनों पर खिसियानी हंसी हंस रहे थे ! राज और माली की इस युगलबंदी ने सभी का जो मनोरंजन किया उसके लिए माली का पारितोषिक पर हक तो बनता ही था, इसके अलावा उद्यान से निकलते समय सभी का ख्याल था कि ''राजू'' गाइड को दी गई रकम फिजूल नहीं गई............!

#हिन्दी_ब्लागिंग

कभी-कभी कुछ पेचीदा से लगने वाले वाकये का यथार्थ जब सामने आता है तो हंसी छूट जाती है कि लैsss, यह ऐसा था ! अभी पिछले दिनों दल-बल के साथ झीलों के सुंदर शहर उदयपुर जाने का मौका फिर हासिल हुआ था ! घूमते-घामते हम सब पहुँच गए वहां के प्रसिद्ध उद्यान सहेलियों की बाड़ी ! पहले तो जरुरत नहीं समझी गई पर फिर सर्वसम्मति से एक हंसमुख, मिलनसार, नवयुवक 'गाइड', राज मेवाड़ी जी की सेवाएं ले ली गईं। उनके अनुसार बाड़ी में एक संग्रहालय के साथ ही फवारों के पांच विभिन्न विषयों पर हिस्से बने हुए हैं ! जैसे वेलकम फाउंटेन, रासलीला, बिन बादल बरसात, सावन भादों और कमल तलाई या कमल कुंड !

राणा संग्राम सिंह ने सन 1710 में अपनी पत्नी की खुशी और उनके साथ विवाहोपरांत आईं उनकी सेविकाओं की तफरीह के लिए फतेह सागर झील के तट पर इस उद्यान का निर्माण कराया था। इसीलिए इसका नाम सहेलियों की बाड़ी पड़ा !  इस बाड़ी या उद्यान में तकरीबन दो हजार छोटे-बड़े सुंदर फवारे हैं जो आज भी चल रहे हैं, इन्हें फ़तेह सागर झील से पानी मिलता है ! भारत के इतिहास में यह उन दुर्लभ और आश्चर्यजनक स्थानों में से एक है, जिनका निर्माण महिलाओं के लिए किया गया हो ! रानी को बारिश के मौसम से बहुत लगाव था उनके इस शौक को पूरा करने के लिए इंग्लैंड से बारिश के फव्वारों को आयात कर यहां लगाया गया था ! उद्यान में बहुत ही सुन्दर संगमरमर के मंडप और हाथी के आकार के फव्वारे है जो कि देखते ही मन मोह लेते हैं ! कमल के ताल एवं विभिन्न तरह के सैंकड़ों फूलों के पौधों के साथ ही  इसमें उन सभी प्रकृति के पहलुओं को शामिल किया गया है जो कि रानी को पसंद थे। 


उद्यान के अलग-अलग हिस्सों के इतिहास-भूगोल, उसकी विशेषताओं को बताते, समझाते, दिखलाते, राज ने एक जगह झाड़ियों से घिरे चलते फव्वारों के पास रुक कर कहा, चलिए आपको तालियों का एक चमत्कार दिखाता हूँ। आप सब मेरे साथ ताली बजाएंगे तो फौवारे का पानी बंद हो जाएगा और फिर जब दुबारा मेरी तालियों के साथ लय मिलाएंगे तो फिर फौव्वारे चलने शुरू हो जाएंगे ! सभी विस्मित थे कि ताली की आवाज से पानी कैसे नियंत्रित हो सकता है ! सब उत्सुकता के साथ फौव्वारों के पास इकट्ठे हो गए। 
140 साल का मोरपंखी पौधा 
राज
ने सबको कहा कि मेरे पांच गिनते ही पानी के पास खड़े लोग मेरे साथ तालियां बजाएंगे। पांच गिनते ही जैसे ही तालियां बजीं, कुछ ही सेकेंडों में चार-पांच फिट तक उठती फौवारे की धार नीचे जाते हुए बंद हो गईं ! राज ने कहा चलिए इसे फिर चालू करते हैं और इधर जैसे ही लयबद्ध तालियां बजीं उधर फौवारा फिर अपनी लय में आ गया ! सभी चकित थे कि ऐसा कैसे हो सकता है ! कोई कहने लगा कि सेंसर लगा होगा ! कोई अपने पुराने ग्रंथों के ज्ञान का हवाला दे रहा था कोई विज्ञान का चमत्कार बता रहा था, पर इस करामात पर कोई निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कह पा रहा था ! 

मनोहारी परिवेश 
तभी राज ने मुस्कुराते हुए कहा कि हम ज्यादातर इस राज को उजागर नहीं करते पर आप सब सीनियर सिटीजन का मान रखते हुए इसकी पोल खोल देता हूँ, मेरे साथ आइए ! वह हमें वहां से हटा कर कुछ दूर कोने में खड़े एक इंसान के पास ले गया, जो शायद उस हिस्से के बाग का माली था ! वहां जा राज ने कहा कि फौवारे का रहस्य तालियों में नहीं इनके पास है ! जब हम लोग फिर भी नहीं समझे तो राज ने वहीं ताली बजाई, उसके ताली बजाते ही माली ने अपने पास की घुंडी घुमा पानी का प्रवाह बंद कर दिया और दुबारा ताली बजाने पर फिर शुरू कर दिया ! अब वहां उपस्थित लोग सभी फौवारे पर दिए गए अपने-अपने समझदारी भरे आकलनों पर खिसियानी हंसी हंस रहे थे ! राज और माली की इस युगलबंदी ने सभी का जो मनोरंजन किया उसके लिए माली का पारितोषिक पर हक तो बनता ही था, इसके अलावा उद्यान से निकलते समय सभी का ख्याल था कि ''राजू'' गाइड को दी गई रकम फिजूल नहीं गई !

6 टिप्‍पणियां:

Digvijay Agrawal ने कहा…

व्वाहहहहह
सुंदर
आभार
वंदन

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर | शुभकामनाएं नववर्ष पर |

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 04 जनवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

दिग्विजय जी,
हार्दिक आभार, आने वाला समय शुभ व मंगलमय हो

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

यशोदा जी,
बहुत-बहुत आभार ! सपरिवार शुभकामनाएं स्वीकारें 🙏

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी,
सपरिवार शुभकामनाएं स्वीकारें, आने वाला समय भी मंगलमय हो

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