रविवार, 23 अप्रैल 2023

फोन से लगाव, रिश्तों में अलगाव (मोबिकेट)

आज मोबाइल शिष्टाचार पर बात करना  करना ठीक ऐसा ही है जैसे किसी कॉलेज के छात्र को पांचवीं क्लास का कोर्स समझाया जा रहा हो ! अधिकाँश लोग इन सब बातों को जानते भी हैं, पर फिर भी जाने-अनजाने चूक हो ही जाती है ! आज की दुनिया में यह भले ही एक वरदान है, लेकिन इसका अनुचित प्रयोग कभी-कभी दूसरों की परेशानी का सबब बन जाता है ! खास कर तब, जब यह बिना एहसास दिलाए आपकी लत में बदल चुका हो ! आज खुद को भोजन मिले ना मिले पर इसका 'पेट'भरे रहना, इसकी चार्जिंग की ज्यादा चिंता रहती है ! इसलिए यह जरुरी  हो गया है कि अभिभावक बचपन से ही अपने बच्चों को "मोबिकेट" से अवगत कराते रहें............!     

#हिन्दी_ब्लागिंग 

कल मेरे एक मित्र घर आए ! मैं लैप-टॉप पर अपना कुछ काम कर रहा था ! उनके आते ही मैंने उसे बंद कर उनका अभिवादन किया ! अभी आधे मिनट की दुआ-सलाम भी ठीक तरह से नहीं हुई थी कि उनका फोन घनघना उठा और वे उस पर व्यस्त हो गए ! बात खत्म होने के बाद भी वे उसमें निरपेक्ष भाव से अपना सर झुकाए कुछ खोजने की मुद्रा बनाए रहे ! इधर मैं उजबक की तरह उनको ताकता बैठा था ! बीच में एक बार मैंने एक मैग्जीन उठा उसके एक-दो पन्ने पलटे कि शायद भाई साहब को मेरी असहजता का कुछ एहसास हो ओर पर वे वैसे ही निर्विकार रूप से अपने प्रिय के साथ मौन भाव से गुफ्तगू में व्यस्त बने रहे ! हार कर मैं भी अपने कम्प्यूटर को दोबारा होश में ले आया ! हालांकि मुखातिब उनकी ओर ही रहा ! पर पता नहीं उन्हें क्या लगा या क्या याद आ गया कि वे अचानक उठ कर बोले, अच्छा चला जाए ! मैंने कहा, बस ! बैठो ! बोले, नहीं फिर कभी आऊंगा !   

मोबाइल फोन, आज हर आम और खास के लिए यह कितना महत्वपूर्ण बन गया है, इसके बारे में बात करना समय बर्बाद करना है ! आज खुद को भोजन मिले ना मिले पर इसका ''पेट'' भरे रहना, इसकी चार्जिंग, जरुरी है ! आज की दुनिया में यह भले ही एक वरदान है, लेकिन इसका अनुचित प्रयोग कभी-कभी दूसरों की परेशानी का सबब बन जाता है ! और खास कर तब, जब यह बिना एहसास दिलाए आपकी लत में बदल चुका हो ! सोचिए आप किसी के घर गए हैं, तो वह अपने दस काम छोड़ आपकी अगवानी करता है और आप हैं कि आपका फोन आपको छोड़ ही नहीं रहा ! मान लीजिए इसका उल्टा हो जाए, आप किसी के यहां जाएं और वह अपने फोन पर व्यस्त रहे, तो.......! इस लत के तहत, अनजाने ही सही, यदि किसी के साथ बात करते या सामने बैठे हुए आप अपने फोन पर ''अन्वेषण'' करते हैं तो सामने वाला अपने को उपेक्षित समझ, भले ही मुंह से कुछ न बोले, बुरा मान बैठता है !  

जानकारों ने, मनोवैज्ञानिकों ने, इस लत के लिए कुछ सुझाव दिए हैं ! उन पर अमल करना तो हमारा काम है, जिससे फिजूल की परिस्थितियां या माहौल पनपने ना पाएं ! इन सुझावों पर बात करना फिलहाल ऐसा ही है जैसे किसी कॉलेज के छात्र को पांचवीं क्लास का कोर्स समझाया जाए ! पर यह जरुरी भी है कि अभिभावक शुरू से ही अपने बच्चों को "मोबिकेट" की जानकारी से अवगत कराते रहें ! 

सबसे पहले तो फोन आने या करने पर अपना स्पष्ट परिचय दें ! ''पहचान कौन'' या ''अच्छा ! अब हम कौन हो गए'' जैसे वाक्यों से सामने वाले के धैर्य की परीक्षा ना लें ! हो सकता है कि आपने जिसे फोन किया हो उसके बजाए सामने कोई और हो, जो आपकी आवाज ना पहचानता हो !फोन करते समय सामने वाले का गर्मजोशी और खुशदिली से अभिवादन करें ! आपका लहजा ही आपकी छवि घडता है ! स्पष्ट, संक्षिप्त और सामने वाले की व्यस्तता को देख बात करें ! बात करते समय किसी का भी तेज बोलना या चिल्लाना अच्छा नहीं माना जाता, फिर भले ही वह आपका लहजा हो या फिर फोन की रिंग-टोन ! हमेशा विनम्र रहें और अभद्र भाषा के प्रयोग तथा किसी को कभी भी फोन करने से बचें। गलती से गलत नंबर लग जाए तो क्षमा जरूर मांगें !

जब भी आपसे कोई आमने-सामने बात कर रहा हो तो मोबाईल पर बेहद जरुरी कॉल को छोड़ ना ज्यादा बात करें नाहीं स्क्रॉल करें ! वहीं ड्राइविंग के वक्त, खाने की टेबल पर, बिस्तर या टॉयलेट में तो खासतौर पर मोबाइल न ले जाएं । इसके अलावा अपने कार्यस्थल या किसी मीटिंग के दौरान फोन साइलेंट या वाइब्रेशन पर रखें और मेसेज भी न करें ! कुछ खास जगहों या अवसरों, जैसे धार्मिक स्थलों, बैठकों, अस्पतालों, सिनेमाघरों, पुस्तकालयों, अन्त्येष्टि इत्यादि पर बेहतर है कि फोन बंद ही रखा जाए  !

इन सब के अलावा कुछ बातें और भी ध्यान देने लायक हैं ! कईयों की आदत होती है दूसरों के फोन में ताक-झांक करने की जो कतई उचित नहीं है नाहीं बिना किसी की इजाजत उसका फोन देखने लगें ! बिना वजह कोई भी एसएमएस दूसरों को फारवर्ड ना करें, जरूरी नहीं कि जो चीज आपको अच्छी लगे वह दूसरों को भी भाए ! आजकल मोबाइल में कैमरा, रिकॉर्डर और ऐसी अनेक सुविधाएं होती हैं। इन सुविधाओं का बेजा इस्तेमाल न कर जरूरत के वक्त ही इस्तेमाल करें !  

आज ध्यान में रखने की बात यह है कि यदि आधुनिक यंत्रों का आविष्कार यदि हमें तरह-तरह की सुख-सुविधा प्रदान कर रहा है, तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हमारी सहूलियतें दूसरों की मुसीबत या असुविधा ना बन जाएं !  

8 टिप्‍पणियां:

शुभा ने कहा…

बात तो एकदम सही है आपकी ।
सुंदर और सटीक सृजन ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हार्दिक आभार, शुभा जी🙏🏻

Anita ने कहा…

बहुत आवश्यक जानकारी

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अनीता जी🙏🏻
आज जानकारी तकरीबन सभी कोई है पर अधिकांश लोग ध्याऩ नहीं रखते

कविता रावत ने कहा…

सबकुछ जानते हुए भी अनजान बना देता है ये मोबाइल। एक जहाँ एक और वरदान हो सकता है वहीँ दूसरी और यह एक किसी बीमारी से कम नहीं है.. बहुत अच्छी प्रेरक जानकारी

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सदा स्वागत है, कविता जी 🙏

घनश्याम स्वरूप सारस्वत ने कहा…

धन्यवाद भाई साहब 🙏,बहुत अहम जानकारी ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

घनश्याम जी
सदा स्वागत है आपका🙏🏻

विशिष्ट पोस्ट

विलुप्ति की कगार पर पारंपरिक कलाएं, बीन वादन

आए दिन कोई ना कोई कलाकार, स्टैंडिंग कॉमेडियन या कोई संस्था अपने साथ कुछ लोगों को साथ ले विदेश में कार्यक्रमों का आयोजन करते रहते हैं, ऐसे लो...