प्राचीन काल से ही यह मान्यता चली आ रही है कि किसी के प्रति मन की बुरी भावनाएं यथा द्वेष, ईर्ष्या, जलन इत्यादि नकारात्मक ऊर्जा के रूप में आँखों के जरिए बाहर आ दूसरों का अहित कर सकती हैं ! जिसे आम बोल-चाल की भाषा में नजर लगना कहा जाता है ! इसके प्रतिकार के लिए नजरबट्टू का उपयोग किया जाता रहा है ! यह एक पाम या ताड़ प्रजाति के वृक्ष के काले रंग का फल है जो दक्षिण भारत में प्रचुरता के साथ पाया जाता है, जिसकी माला लोग अपने बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिये पहनाते हैं.........!
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इंसान की फितरत है कि वह किसी अनजाने डर से सदा त्रस्त रहता है ! इसीलिए विश्वास-अंधविश्वास उस पर सदा हावी रहते हैं ! तर्क और अंधविश्वास की मुठभेड़ में सदा अंधविश्वास ही भारी पड़ता है ! वैसे भी सभी को लगता है कि जरा सा टोटका करने से शायद, यदि अनहोनी टल ही जाए तो इसमें नुक्सान या बुराई क्या है ! यह भी देखा गया है कि इससे एक संबल, एक सुरक्षा की भावना भी मिलती है, जिससे दिलो-दिमाग को कुछ राहत का एहसास हो जाता है ! यही कारण है कि सदियों से दुनिया भर में टोन-टोटके आजमाए जाते रहे हैं !
नजरबट्टू के फल |
प्राचीन काल से ही यह मान्यता चली आ रही है कि किसी के प्रति मन की बुरी भावनाएं यथा द्वेष, ईर्ष्या, जलन इत्यादि नकारात्मक ऊर्जा के रूप में आँखों के जरिए बाहर आ दूसरों का अहित कर सकती हैं ! जिसे आम बोल-चाल की भाषा में नजर लगना कहा जाता है ! इसके प्रतिकार के लिए नजरबट्टू का उपयोग किया जाता रहा है ! यह एक पाम या ताड़ प्रजाति के वृक्ष के काले रंग का फल है जो दक्षिण भारत में प्रचुरता के साथ पाया जाता है, जिसकी माला लोग अपने बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिये पहनाते हैं ! ऐसी मान्यता है कि आँखों की नकारात्मक तरंगों से इस फल में दरार आ जाती है और पहनने वाला विपरीत प्रभाव से बच जाता है !
नजरबट्टू को बजर बट्ट या बिजूका भी कहा जाता है। अक्सर अधिकांश नए और सुंदर बने भवनों पर किसी हांडी या तख्ती पर बना एक ड़रावना काले रंग का चेहरा, छत के पास टंगा नजर आता है। जिसमें बड़ी-बड़ी मूंछें, लाल-लाल आंखें और बाहर निकले दांत दर्शाए गए होते हैं। ऐसी सोच है कि यह नये बने भवन को बुरी नजर से बचाता है। कुछ किसान अपने खेतों की फसल को पक्षियों से बचाने के लिए जो बिजूका लगाते हैं। वह भी एक तरह से बजरबट्टू ही है जो जानवरों को इंसान का भ्रम दे उन्हें फसल से दूर रखता है ! इसी का एक रूप ट्रकों या गाड़ियों के पीछे लटकते जूते भी हैं। वैसे इस उद्देश्य के लिए कई चीजों को काम में लाया जाता रहा है जो मुख्य वस्तु पर दृष्टि पड़ने के पहले ही नज़र को भटका दें !
क्या या कौन है, यह बजरबट्टू और कैसे यह बचाता है बुरी नजर से, यदि होती है तो ! इसके बारे में पुराणों में एक कथा या विवरण मिलता है !
जालंधर नाम का एक दैत्य था। उसने ब्रह्माजी को अपने तप द्वारा प्रसन्न कर असीम बल प्राप्त कर लिया था। जिसकी बदौलत उसने देवताओं को भी पराजित कर स्वर्ग पर अपना अधिकार जमा लिया जिससे उसे अत्यधिक घमंड़ हो गया और वह अपने समक्ष सबको तुच्छ समझने लग गया ! अहंकारवश वह नीति अनीती सब भुला बैठा था। हद तो तब हो गई जब उसने अपने दूत के द्वारा भगवान शिव को पार्वतीजी को अपने हवाले कर देने का संदेश भिजवाया ! स्वभाविक ही था कि शिवजी भयंकर रूप से क्रुद्ध हो उठे और उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोल दिया ! नेत्र से भीषण तेज की ज्वाला निकली जिससे एक भयंकर दानव की उत्पत्ति हुई ! उस ड़रावनी आकृति ने जैसे ही दूत पर आक्रमण किया, वह तुरंत शिवजी की शरण में चला गया, इससे उसकी जान तो बच गई पर उस दानव की जान पर बन आई जो भूख से बुरी तरह व्याकुल था ! उसने भगवान शिव से अपनी क्षुधा शांत करने की विनती की ! तत्काल कोई उपाय ना हो पाने के कारण शिवजी ने उसे अपने ही अंगों को खाने का कह दिया ! भूख से विचलित उस दानव ने धीरे-धीरे अपने मुख को छोड़ अपना सारा शरीर खा ड़ाला।
वह आकृति शिवजी से उत्पन्न हुए थी इसलिए प्रभू को बहुत प्रिय थी। उन्होंने उससे कहा, आज से तेरा नाम कीर्तीमुख होगा और तू सदा मेरे द्वार पर रहेगा। इसी कारण पहले कीर्तीमुख सिर्फ शिवालयों पर लगाया जाता था। धीरे-धीरे फिर इसे अन्य देवालयों पर भी लगाया जाने लगा। समयांतर पर इसे बुराई दूर करने का प्रतीक मान लिया गया और यह आकृति बुराई या बुरी नजर से बचने के लिए भवनों पर भी लगाई जाने लगी। पता नहीं कब और कैसे यह मुखाकृति हांड़िंयों या तख्तियों पर उतरती चली गई। जैसा कि आजकल मकानों पर टंगी दिखती हैं। जिनकी ओर अनायास ही पहले नजर चली जाती है। इनके लगाने का आशय भी यही होता है।
बिजुका |
4 टिप्पणियां:
अंधविश्वास की जड़े गहरी है पर विवेक से ही खुरपी से उन्हें हटाया जा सकता है।
बढ़िया लेख सर।
सादर।
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १४ अप्रैल २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
श्वेता जी
सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार🙏
वाह!बहुत खूब।
शुभा जी
हार्दिक आभार आपका🙏
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