पोर्टब्लेयर और दिल्ली, दोनों जगहों के तापमान में बहुत ज्यादा अंतर था। वहां एक टी शर्ट भी भारी लगती थी तो यहां सब कुछ ठंड की चपेट में था ! पर जो है वह तो हइए है ! शुक्र इस बात का रहा कि उम्र-दराज होने के बावजूद किसी भी सदस्य को कोई खास तकलीफ नहीं हुई जबकि पूरा दौरा कुछ थका देने वाला ही था ! पर हरेक सदस्य ने यह सिद्ध कर दिया कि उम्र सिर्फ एक अंक ही है ! तन पर भले ही समय की छेनी अपना असर दिखा रही हो, दिमाग युवा और मन अभी भी बच्चा ही है ! हम वे लोग हैं जो केक पर की मोमबत्तियों की संख्या से विचलित ना हो कर उनके बढ़ते अलोक का आनंद लेते हैं..............!
#हिन्दी_ब्लागिंग
जनकपुरी की #RSCB (Retired and Senior Citizen Brotherhood) संस्था द्वारा आयोजित 11 से 16 दिसंबर की पोर्टब्लेयर यात्रा का पांचवां दिन घर वापसी के रूप में शुरू हुआ ! नील द्वीप से अपने उसी क्रूज, Green Ocean, से ही वापसी भी थी ! पोर्टब्लेयर से हैवलॉक होते हुए यह नील टापू तक करीब ढाई घंटे में पहुंचता है पर वापसी में सीधे नील से पोर्टब्लेयर आने में दो घंटे ही लगते हैं ! पर यह समय भी गाने-बजाने में कैसे निकल जाता है, पता ही नहीं चलता ! दोपहर एक बजते-बजते पोर्टब्लेयर के उसी होटल J में, जिसमें दो दिन पहले ठहरे थे, पहुँच फिर चेक इन कर लिया गया ! यह होटल अबरदीन बाजार में स्थित है यहाँ से मरीना बीच की दूरी सिर्फ पांच मिनट,पैदल की है ! भोजनोपरांत कुछ लोग शहर भ्रमण और कुछ लोग खरीदारी के लिए निकल गए तो कुछ ने अपने कमरे में ही समय व्यतीत करने का निश्चय किया !
होटल से |
अपनी मनमोहक खूबसूरती, शांति और जलीय खेलों, जलीय जीव-जन्तुओं को बेहद करीब से देख सकने की सुविधा जैसी रोमांचक खूबियों के कारण अंडमान द्वीप समूह पर्यटकों को सदा आकर्षित करता रहा है ! दिल्ली से करीब ढाई हजार किमी (2485) दूर इसकी राजधानी पोर्ट ब्लेयर अपनी ऐतिहासिक जेल, म्यूजियम, जापानी बंकर, मरीना पार्क जैसी बेहद सुंदर जगहों के लिए विश्व प्रसिद्ध है ! यहां की वन संपदा के दोहन के लिए सन1789 में अंग्रेज सरकार द्वारा लेफ्टिनेंट रेगिनाल्ड ब्लेयर के नेतृत्व में एक सर्वे करवाया गया तथा उसी सर्वेयर के नाम पर ही यहां के मुख्य द्वीप का नाम पोर्ट ब्लेयर रख दिया गया !
क्लॉक टॉवर |
काले पानी की सजा पाने वालों में विभिन्न प्रदेशों, जातियों, धर्मों के स्त्री-पुरुष दोनों ही होते थे ! ब्रिटिश सरकार के अधिकारी इन कैदियों में से कइयों की सजा समय-समय पर उनका आचरण देख काम या माफ करते रहते थे ! पर सजा मुक्त होने पर भी उन्हें मुख्य भूमि पर ना भेज, वहीं बसा दिया जाता था। उनके आपस में विवाह भी करवा, परिवार बनवा, कुछ टुकड़े जमीनों के भी दे दिए जाते थे ! इस तरह ये द्वीप बसते चले गए ! सरकार की पुलिस में भी हर धर्म जाति के लोग थे, तो उनकी आस्था और धर्म की तुष्टि को पूरा करने के लिए अंग्रेजों ने पोर्टब्लेयर में एक-एक मंदिर, गुरुद्वारा और मस्जिद का निर्माण करवा उनका संचालन पुलिस विभाग को सौंप दिया ! आज भी यह प्रथा चली आ रही है और इन तीनों धर्मस्थलों को पुलिस के नाम से ही जाना जाता है !
पुलिस मंदिर |
इनके अलावा अबरदीन मार्ग पर हनुमान जी का एक और मंदिर भी है। इसका गुंबद देश के दक्षिणी भागों के मंदिरों जैसा है ! इसकी मुख्य प्रतिमाएं पूर्णतया सोने से मढ़ी हुई हैं, जो बहुत ही सुंदर और सजीव सी हैं ! फिर भी किसी तरह का पहरा या अतिरिक्त सुरक्षा की जरुरत महसूस नहीं की जाती ! शायद द्वीप की रक्षार्थ सागर की उपस्थिति ही पर्याप्त है ! आश्चर्य की बात है कि इन सब दर्शनीय स्थलों का उल्लेख किसी भी यात्रा विवरणिका में उपलब्ध नहीं करवाया जाता ! पर जो भी हो यह जगहें देखने लायक जरूर हैं।
मंदिर की छत पर बना अत्यंत सुंदर चित्र |
वापसी |
18 टिप्पणियां:
बहुत मनोरम यात्रा वृत्तान्त । फोटोज़ ने यात्रा वृत्तान्त को जीवन्त बना दिया है ।
हार्दिक आभार, मीना जी
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (25-1-22) को " अजन्मा एक गीत"(चर्चा अंक 4321)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
बहुत ही सुंदर,सार्थक,प्रेरक भूमिका के साथ साथ शानदार छायाचित्र से सजा आलेख जीवंतता का अहसास करा गया ।
बहुत खूब।
बहुत सुन्दर चित्रों के साथ यात्रा वृतांत जीवंत हो उठा
वीडियो नहीं चल रहे हैं, कृपया देख लें
कामिनी जी
सम्मिलित कर मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
जिज्ञासा जी
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏼
हार्दिक आभार, नीतीश जी
कविता जी
ब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका!
ब्लॉगों पर वीडियो सहज नहीं हो पाए हैं, देखता हूँ
रमणीय यात्रा विवरण
हार्दिक आभार, अनीता जी
जीवंत यात्रा वृत्तांत ,गगन जी आपने बहुत सुंदरता से सभी वर्णन लिखा साथ ही कुछ अनछूआ पहलू भी दीखाया वृतांत में ।
अंतिम पंक्तियां सोने पर सुहागा।
फोटो सभी बहुत शानदार।
कुसुम जी
बहुत बहुत आभार🙏
सुन्दर चित्र, सुन्दर विवरण... सुन्दरतम प्रस्तुति!
गजेन्द्र जी
"कुछ अलग सा" पर आपका सदा स्वागत है
सुन्दर चित्रों के साथ जीवंत संस्मरण ...
बहुत अच्छा प्रसंग वर्णन ...
हार्दिक आभार, नासवा जी
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