रविवार, 5 दिसंबर 2021

कुछ तो है, जो समझ से बाहर है

अचानक देश के दक्षिणी भाग से, दक्षिण अफ्रीका से आया एक आदमी खतरे का वायस बन जाता है ! सवाल यहीं से सर उठाता है कि जब सारी दुनिया खबरदार थी ! सभी जगह कड़ी एहतियात बरती जा रही थी तो वह शख्स भारत कैसे पहुंचा ? क्या जहाज पर चढ़ते समय उसकी चेकिंग नहीं हुई ? यदि उस समय वह ठीक था तो क्या यात्रा के दौरान वह संक्रमित हुआ ? हुआ तो कैसे ? यदि ऐसा हुआ भी तो क्या वह अकेला ही बीमार हुआ ? सच्चाई क्या है, आम जनता को कोई भी बताना नहीं चाहता, अपने-अपने स्वार्थों के तहत .........!      

#हिन्दी_ब्लागिंग 

कुछ तो है..! कुछ ऐसा, जिसका एहसास तो हो रहा है पर साफ-साफ समझ नहीं आ रहा ! महामारी के दो सालों बाद, जब लग रहा था कि दुनिया की दिनचर्या फिर ढर्रे पर आ रही है, सब कुछ, कुछ-कुछ नॉर्मल हो रहा है, तभी फिर एक नई डरावनी खबर संसार पर तारी होने लगती है, एक नए नाम और व्यवहार के साथ ! शुरुआत तो कोरोना की भी ऐसे ही हुई थी ! पर तब दुनिया उससे बिलकुल अनजान थी ! कोई राह नहीं थी ! कोई इलाज नहीं था ! अँधेरे में हाथ-पैर मार कर किसी तरह पार पाया गया था ! पर अब तो देश-दुनिया सभी के सचेत रहते, फिर कैसे खतरा मंडराने लगा !!

मजे की बात यह कि इस ज्यादा खतरनाक और तेज नए अवतार से पीड़ित व्यक्ति दो ही दिन में ठीक हो बैडमिंटन भी खेलने लगता है ! अब जो धुंधली तस्वीर बनती है, उसे कोई भी साफ करने की जहमत नहीं उठाता ! सिर्फ डराने पर जोर दिया जाता है

अचानक देश के दक्षिणी भाग से, दक्षिण अफ्रीका से आया एक आदमी खतरे का वायस बन जाता है ! सवाल यहीं से सर उठाता है कि जब सारी दुनिया खबरदार थी ! सभी जगह कड़ी एहतियात बरती जा रही थी तो वह शख्स भारत कैसे पहुंचा ? क्या जहाज पर चढ़ते समय उसकी चेकिंग नहीं हुई ? यदि उस समय वह ठीक था तो क्या यात्रा के दौरान वह संक्रमित हुआ ? हुआ तो कैसे ? यदि ऐसा हुआ भी तो क्या वह अकेला ही बीमार हुआ ? वैसे ही फिर खबर आती है कि अमेरिका से आए दो कोरोना पॉजिटिव देश के मध्य तक पहुँच गए ! क्या अमेरिका, जो महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा था, वहाँ भी लापरवाही बरती जा रही है ? क्या वहाँ यात्रियों का परिक्षण नहीं किया जाता ? उस पर भारत आने पर क्या उनकी जांच नहीं हुई ? यदि सब ठीक था, तो वे कहां और कैसे संक्रमित हुए ?   


ये तो बाहर से आए लोगों की बात थी ! अपने ही देश में उसी दक्षिणी भाग से फिर एक व्यक्ति संक्रमित पाया जाता है ! वह तो कहीं बाहर भी नहीं गया था ! तो क्या जीवाणु यहां पहले से मौजूद था ? यदि हाँ, तो क्या वह कोरोना की पारी खत्म होने का इन्तजार कर रहा था कि वह हटे तो मैं आऊँ ! या फिर उस अकेले आदमी की प्रतिरोधक क्षमता ही सबसे कमजोर थी ! वैसे इन जीवाणुओं को दक्षिण का डोसा-सांभर ही क्यूँ सुहाता है ! जो वहीं से अपना शिकार चुनते हैं ! मजे की बात यह कि इस ज्यादा खतरनाक और तेज नए अवतार से पीड़ित व्यक्ति दो ही दिन में ठीक हो बैडमिंटन भी खेलने लगता है ! अब जो धुंधली तस्वीर बनती है, उसे कोई भी साफ करने की जहमत नहीं उठाता ! सिर्फ डराने पर जोर दिया जाता है ! सच्चाई क्या है आम जनता को कोई भी बताना नहीं चाहता, अपने-अपने स्वार्थों के तहत !

पिछले दिनों क्रिकेट के मैचों के दौरान खचाखच भरे स्टेडियम में बिना मास्क और दूरी बनाए बैठे लोग ! बेपरवाह नेताओं की बेतरतीब रैलियां ! दूषित वातावरण, अस्वच्छ माहौल में महीनों से रह रहे किसान ! त्योहारों के दौरान बाजार में एक दूसरे के कंधे छीलती हजारों की भीड़ ! इन सबके बावजूद कोरोना के घटते आंकड़े ! फिर अचानक सुस्त पड़े, मुद्दा-विहीन खबरिया चैनल सक्रीय हो उठते हैं, एक नए वैरिएंट ओमिक्रान का डोज पी कर !!       

16 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

किसी किसी के लिए बहुत कुछ| बहुत कुछ है कुछ में|

अनीता सैनी ने कहा…

सभी के मन में यही प्रश्न है और उत्तर खामोश।
बेहतरीन सर 👌
सादर

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार
(6-12-21) को
तुमसे ही मेरा घर-घर है" (चर्चा अंक4270)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी
अजब गड़बड़झाला है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अनीता जी
उत्तर न मिलना और संशय बढ़ा ही रहा है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कामिनी जी
सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद

MANOJ KAYAL ने कहा…

गौर करने लायक बात है सिर्फ़ चीन को छोड़ यह पूरी दुनिया में फैल चुका हैं....उतर सिर्फ सिर्फ उनके ही पास हैं l

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

सही सटीक प्रश्न करता आपका आलेख बहुत ही सारगर्भित और सराहनीय है ।

Anita ने कहा…

वाक़ई एक रहस्य ही है यह ओमिक्रोन, वैज्ञानिक अभी भी खोज कर रहे हैं

Alaknanda Singh ने कहा…

न‍िश्‍च‍ित ही बहुत सही कहा आपने शर्मा जी- "भय का बाजार" ही इसके पीछे काम कर रहा है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मनोज जी
कुछ तो है जो सामने नहीं आ रहा या आने नहीं दिया जा रहा

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

जिज्ञासा जी
परिस्थितियां ही ऐसी बन पड़ रही हैं कि संशय होना स्वाभाविक है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अनीता जी
खोज तो हो रही है, हल भी निकलेगा पर तब तक असमंजस और डर बना ही रहेगा

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अलकनंदा जी
लग तो यही रहा है जैसे कि आम इंसान को भ्रमित कर कुछ अलग ही हो रहा है

मन की वीणा ने कहा…

विचारणीय तथ्य ,शंका और संशय होना स्वाभाविक है।
बहुत से लोगों के सवाल यही है पर आत्मकेंद्रित से।
आपने गहन चिंतन कर के शानदार लेख लिखा है सटीक विचारोत्तेजक।
सादर ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कुसुम जी
सदा स्वागत है, आपका

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