सीधी-सच्ची बात या लब्बोलुआब तो यही है कि इस दुनिया में ''हमारा'' रहने का एक ही या एकमात्र स्थान हमारा शरीर ही है ! वह है, तभी हम हैं ! वह है, तभी सारी अनुभूतियां हैं ! वह है, तभी सुख-दुःख, भोग-विलास, प्रेम-प्यार, मोह-ममता, तेरा-मेरा, जमीन-जायदाद, धन-दौलत इन सबका उपयोग व उपभोग संभव है ! यदि शरीर ही नहीं रहे तो फिर हर चीज बेमानी है ! इसलिए सबसे पहले इसे संभालने, स्वस्थ रखने और सदा चलायमान बनाए रखने का उपक्रम और ध्यान होना चाहिए...........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
इस बार दिल्ली में गर्मी का मौसम कुछ ज्यादा ही टिक गया ! जाते-जाते भी अपने तेवरों से लोगों को कुछ ज्यादा ही परेशान कर गया ! हालांकि इसमें हमारे प्रति उसकी नेकनीयती ही थी, क्योंकि इस बार पूरे देश में मानसून जैसे तेवर दिखा रहा है वह बहुत ही खतरनाक, डरावना व भयावना है ! चारों ओर से भीषण दुर्घटनाओं की ख़बरें आ रही हैं ! जान-माल का अत्यधिक नुक्सान हुआ है ! शायद इसीलिए दिल्लीवासियों को बरखा के कहर से बचने के लिए ग्रीष्म कुछ और दिनों के लिए ठहर गया हो ! पर कितने दिन ! प्रोटोकॉल तो मानना ही पड़ता है !
आखिरकार देर से ही सही अपने राजा इंद्र देवता की इजाजत से बरखा रानी ने दिल्ली की धरती पर भी अपने कदम रखे। मौसम कुछ सुहाना हुआ ! पेड़-पौधों ने धुल कर राहत की सांस ली ! पशु-पक्षियों की जान में जान आई ! कवियों को नयी कविताएं सूझने लगीं। हम जैसों को भी चाय के साथ पकौड़ियों की तलब लगने लगी। बस यहीं से शुरु हो गई बेचारे शरीर की परेशानी। सब अपने में मस्त थे पर मानव शरीर साफ सुन पा रहा था बरसात के साथ आने वाली बिमारियों की पदचाप। इस मौसम में जठराग्नि मंद पड़ जाती है। सर्दी, खांसी, फ्लू, डायरिया, डिसेन्टरी, जोड़ों का दर्द और न जाने क्या-क्या, और ऊपर से कोरोना ! सच्चाई तो कि बरसात की सुहानी रिमझिम सुखदाई तो बहुत है पर उसके साथ ही कई दुखदाई बिन बुलाए मेहमान भी आ धमकते हैं !
तबियत ऐंड-बैंड होने के पहले ही हम सब को शरीर की इसी आवाज की अवहेलना ना कर स्वस्थ रहते हुए स्वस्थ बने रहने की प्रक्रिया शुरु कर देनी चाहिये। क्योंकी बिमार होकर स्वस्थ होने से अच्छा है कि बिमारी से बचने का पहले ही इंतजाम कर लिया जाए। इसमें कुछ ज्यादा भी नहीं करना पड़ता, बस थोड़ी सी सावधानी ! थोड़ा सा परहेज ! थोड़ा सा आत्मनियंत्रण ही काफी है । इसमें हमारे पीढ़ियों से चले आ रहे घरेलु नुस्खे सदा खरे उतरते रहे हैं, जिनके प्रयोग से लाभ ही होता है हानि कुछ भी नहीं !
यहां वही सारी बातें हैं जो मैं सपरिवार अपने उपयोग में लाता हूँ ! किसी उपदेशक या विशेषज्ञ की हैसियत से नहीं बल्कि अनुभव जनित लाभ से प्रेरित हो यह सब साझा करने का प्रयास किया है
* इस मौसम में जठराग्नि मंद पड़ जाती है। रोज एक चम्मच अदरक और शहद की बराबर मात्रा लेने से पेट को भोजन पचाने में सहायता मिल जाती है। दुआ देता रहेगा !
* बदलते मौसम और पल-पल बदलते तापमान के कारन सर्दी-खांसी-जुकाम आम बात होती है, इसके लिए एक चम्मच हल्दी और शहद गर्म पानी के साथ लेने से बहुत राहत मिलती है। आजकल तो किसी के छींकते-खांसते ही लोगों की भृकुटि टेढ़ी हो जाती है ! उससे भी बचे रहेंगे यदि दिन में एक-दो बार नमक मिले गर्म पानी से गरारे भी कर लिए जाएं !
* पावस ऋतु में वातावरण में जीवाणुओं-कीटाणुओं का प्रकोप कुछ ज्यादा ही बढ़ जाता है ! इसलिए दही, फलों के रस, हरी पत्तियों वाली सब्जियों का प्रयोग बिल्कुल कम कर दिया जाए तो बेहतर रहता है !
* तुलसी की पत्तियां भी जलजनित रोगों से लड़ने में सहायक होती हैं। इसकी 8-10 पत्तियां रोज चबा लेने से बहुत सी बिमारियों से बचा जा सकता है। साथ में मीठी नीम के चार-पांच पर्ण भी ले लिए जाएं तो और भी उत्तम ! वैसे भी चाय वगैरह में तुलसी और-अदरक-दालचीनी का उपयोग करना बहुत फायदेमंद रहता है !
* बरसात हो और पकौड़ों की याद ना आए यह तो हो ही नहीं सकता ! पर उन पर दया बनाए रखनी चाहिए, कम मात्रा में सेवन कर ! वैसे भी तले-तलाए व्यंजन शरीर में ''स्लीपर सेल'' के काम को ही अंजाम देते हैं ! कब क्या कर जाएं पता नहीं ! सो उनके क्रिया-कलापों पर विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।
* खाना खाने के बाद यदि पेट में भारीपन का एहसास हो तो एक चम्मच जीरा पानी के साथ निगल लें। पंद्रह-बीस मिनट के अंदर ही राहत मिल जाती है। वैसे अजवायन भी बहुत मुफीद रहती है !
* इन दिनों बाहर के खाने से बचें, खासकर मैदे से बने और चायनिज खाद्य पदार्थों से इन दिनों दूरी बनाये रखें। ज्यादा देर से कटे फल और सलाद का उपयोग भी ना हीं करें तो बेहतर, खासकर प्याज का !
* इन दिनों घरों में आने वाला पानी भी कुछ दूषित सा होता है ! उसके लिए थोड़ी सी नीम की पत्तियों को उबाल कर उस पानी को अपने नहाने के पानी में मिला कर नहाना तो सर्वोत्तम है, पर यह हम सब के वश की बात भी नहीं है, झंझट सा लगता है ! सो नहाने के पानी में डेटाल जैसा कोई एंटीसेप्टिक मिला लेने से भी टारगेट पूरा हो जाता है !
* आज कल तो हर घर में पानी के फिल्टर का प्रयोग होता है। पर वह ज्यादातर पीने के पानी को साफ करने के काम में ही लिया जाता है। भंड़ारित किये हुए पानी को वैसे ही प्रयोग में ले आया जाता है। ऐसे पानी में एक फिटकरी के टुकड़े को कुछ देर घुमा कर छोड़ देने से पानी की गंदगी नीचे बैठ जाती है, इसके उपरांत वह पानी हानिरहित हो जाता है। यदि रात को ऐसा कर दिया जाए तो साफ़ होने का इंतजार भी नहीं करना पडेगा !
सीधी-सच्ची बात या लब्बोलुआब तो यही है कि इस दुनिया में ''हमारा'' रहने का एक ही या एकमात्र स्थान हमारा शरीर ही है ! वह है, तभी हम हैं ! वह है, तभी सारी अनुभूतियां हैं ! वह है, तभी सुख-दुःख, भोग-विलास, प्रेम-प्यार, मोह-ममता, तेरा-मेरा, जमीन-जायदाद, धन-दौलत इन सबका उपयोग व उपभोग संभव है ! यदि शरीर ही नहीं तो फिर हर चीज बेमानी है ! इसलिए सबसे पहले इसे संभालने, स्वस्थ रखने और सदा चलायमान बनाए रखने का उपक्रम और ध्यान होना चाहिए। खासकर हर बदलते मौसम में इस पर कुछ अतरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता होती है ! पर विडंबना है कि हम इसी का ध्यान नहीं रखते ! चौबीस घंटों में इसे आधा-पौना घंटा देने का समय भी हमारे पास नहीं होता !
यहां वही सारी बातें हैं जो मैं सपरिवार अपने उपयोग में लाता हूँ ! किसी उपदेशक, ज्ञानी या विशेषज्ञ की हैसियत से नहीं बल्कि अनुभव जनित लाभ से प्रेरित हो यह सब साझा करने का प्रयास किया है। वैसे भी यदि इस शरीर को एक घंटा और इसके बनाने वाले को आधे घंटे का समय भी दे दिया जाए तो शायद नब्बे प्रतिशत बीमारियां तो हमारे पास फटकें भी नहीं ! पर हम तभी चेतते है जब कोई बिमारी हमें घेरती है या फिर कोई मुसीबत ! तभी हमें अपना और भगवान का ध्यान आता है ! यदि सुख में ही ध्यान कर लें तो दुःख आए ही नहीं !
@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से
32 टिप्पणियां:
बहुत ही अच्छी जानकारी। आभार
बहुत ही सुंदर लिखा है सर आपने इलाज़ से बेहतर है क्यों न बचाव ही रखा जाए।बहुत ही उपयोगी लेख।
सादर नमस्कार।
तमाम उपयोगी जानकारियों से भरा बहुत ही खूबसूरत लेख
सुन्दर पोस्ट
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ जुलाई २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
शानदार..
सदियों से चली आ रही
दादी की पोटली आज-कल के
लोग खोलने की बात तो दूर
छूते तक नहीं..
हर मर्ज का इलाज रसोई घर में है
आभार..
सादर..
अच्छी जानकारी देता सार्थक लेख ।
मीना जी
रचना को मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
धन्यवाद, कदम जी
अनीता जी
हार्दिक आभार
मनीषा जी
बहुत-बहुत धन्यवाद
सुशील जी
सदा स्वागत है, स्नेह बना रहे
श्वेता जी
सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार
यशोदा जी
यही विडंबना है ! जब तक योरोप हमारी ही किसी चीज पर अपनी मोहर नहीं लगा देता, हम उसे मानते ही नहीं, चाहे वह कितनी भी उपयोगी हो
संगीता जी
अनेकानेक धन्यवाद
उपयोगी जानकारी युक्त एक सार्थक रचना ।
दीपक जी
ब्लाॅग पर सदा स्वागत है आपका
अनुकरणीय ।
अमृता जी
धन्यवाद
बहुत अच्छी जानकारी
सुंदर शब्द चित्र
खरे जी
आभार, स्नेह बना रहे
बहुत सुंदर उपयोगी जानकारी
अनुराधा जी
बहुत-बहुत धन्यवाद
भारती जी
सदा स्वागत है आपका
गगन जी, बहुत बढिया जानकारियाँ दी हैं आपने | मीठे नीम यानी कड़ी पत्ते के लिए मेरा अनुभव हाजिर है | 2018 में डेंगू के कारण हम सास बहूके बाल नाममात्र के बचे , तब किसी ने कड़ी पता खाने की सलाह दी | दो माह में हैरान करने वाले अनुभव हुए | दोनों के ही बालों को अद्भुत लाभ हुआ और खूब ग्रोथ दिखाई दी | बहुत दम है दादी- नानी के नुस्खों में | आभार इस सार्थक लेख के लिए |
बहुत ही उत्तम जानकरियों के साथ उपयोगी लेख...
सही कहा हमें परे दिन रात में से एक आध घंटे शरीर के व्यायाम प्राणायाम और ध्यान के लिए निकालना चाहिए।
महत्वपूर्ण लेख।
रोचक एवं ज्ञानवर्धक लेख...बरसात में ख़ास ख्याल तो रखना ही चाहिए। ये सभी नुस्खे कभी न कभी इस्तेमाल किये हैं। असरदार रहते हैं। हार्दिक आभार।
रेणु जी
आसानी से और लगभग मुफ्त में उपलब्ध बहुपयोगी चीजों की ना हम पहचान कर पाते हैं ना हीं कद्र
सुधा जी
किसी भी चीज को उपयोगी बनाए रखने के लिए उसकी साज-संभार, देख-रेख तो सबसे अहम बात होनी ही चाहिए
विकास जी
जरा सी सावधानी बडी मुसीबत से बचा सकती है पर हम ही ध्यान नहीं देते
"जरा सी सावधानी बडी मुसीबत से बचा सकती है "
बिल्कुल सही कहा आपने सर। बीमारी से अच्छा बचाव है। मगर हमने इन प्रयोगों को नीम-हकीम का ना दे रखा है।
जागरूक करता जानकारी युक्त पोष्ट,सादर नमन आपको
कामिनी जी
बहुत-बहुत धन्यवाद
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