चर्मकार परिवार का वह युवक जन-जन का नायक बन गया ! क्या जाट, क्या राजपूत, क्या ब्राह्मण सभी उसके मुरीद हो गए ! उसने भी बिना भेद-भाव के समाज सेवा में खुद को समर्पित कर दिया ! उसी के सम्मान स्वरुप उस जगह का नाम, जहां सात दिनों तक लड़ाई चली थी, सिंघु बॉर्डर रख दिया गया। वर्षों बाद इस गुमनाम सी जगह और सिंघुराम को इस किसान आंदोलन के धरने ने पूरे देश में विख्यात कर दिया.................!!
#हिन्दी_ब्लागिंग
हरियाणा और उत्तरप्रदेश के मैदानी इलाकों से घिरी दिल्ली में प्रवेश के लिए दसियों मार्ग हैं जो अलग-अलग बॉर्डर के नाम से जाने जाते हैं। सुविधा के लिए तकरीबन सारे नाम सीमा पर स्थित जगहों, गावों या उपनगरों के नाम पर ही रखे जाते रहे हैं। जैसे बदरपुर, सिंघु, नोएडा, फरीदाबाद, गाजीपुर, टिकरी, गुरुग्राम, औचंदी, झड़ौदा, कुंडली बॉर्डर इत्यादि। मुख्य मार्ग पर पड़ने वाली सीमाओं के नामों से तो सभी परिचित होते ही हैं, पर महीनों से चलने वाले किसान आंदोलन ने कुछ अनजाने से नामों को भी प्रसिद्धि दिलवा दी। ऐसा ही एक नाम है सिंघु बॉर्डर ! जो करनाल बायपास की तरफ से हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर का एक चेक पोस्ट है। शुरू में आम इंसान की तो छोड़ें अखबारों तक में इसे अज्ञानता के कारण सिंघु की जगह सिंधु बॉर्डर कहा जाता रहा था। अभी भी अधिकांश लोगों को इस नाम के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है ! कौन था सिंघु, जिसके नाम पर इस जगह का नामकरण कर दिया गया !
कहा जाता है कि जेल से आने के बाद यह चर्मकार परिवार का युवक जन-जन का नायक बन गया ! क्या जाट, क्या राजपूत, क्या ब्राह्मण सभी उसके मुरीद हो गए ! उसने भी बिना भेद-भाव के समाज सेवा में खुद को समर्पित कर दिया ! आज से करीब पांच साल पहले उनका निधन हो गया ! उन्हीं के सम्मान स्वरुप उस जगह का नाम, जहां सात दिनों तक लड़ाई चली थी, सिंघु बॉर्डर रख दिया गया। वर्षों बाद इस गुमनाम सी जगह और सिंघुराम को इस किसान आंदोलन के धरने ने पूरे देश में विख्यात कर दिया !
साभार अंतर्जाल
24 टिप्पणियां:
बहुत ही सुंदर जानकारी
सुन्दर जानकारी
मनोज जी
हार्दिक आभार
सुशील जी
अनेकानेक धन्यवाद
सुंदर जानकारी।
ज्योति जी
बहुत-बहुत धन्यवाद
अच्छी जानकारी दी आपने,दिल्ली की होते हुए भी मुझे नहीं पता था,धन्यवाद आपका ऐसे व्यक्तित्व से परिचय करवाने के लिए। सादर नमन
कामिनी जी
सदा स्वागत है आपका
बहुत सही,सटीक जानकारी के लिए आपका बहुत बहुत आभार।
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०३-0७-२०२१) को
'सघन तिमिर में' (चर्चा अंक- ४११४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हार्दिक आभार, जिज्ञासा जी
अनीता जी
रचना के चयन हेतु अनेकानेक धन्यवाद
ये जानकारी तो सबको होनी चाहिए । बढ़िया पोस्ट ।
ठगों को हरा कर जो सुरक्षा की गई तो इनाम स्वरूप जेल मिली ।
तब सरकार कहाँ थी । प्रश्न पूछने वाला कोई नहीं ।
संगीता जी
ठगों को जरूर हराया था पर शायद शांति भंग करने और कानून अपने हाथ में लेने के एवज में सजा हुई होगी
अनोखी और अनजानी जानकारी ¡
आभार, कदम जी
अच्छी जानकारी !!
पूरण जी
ब्लाॅग पर आपका सदा स्वागत है
बहुत सुंदर जानकारी , सच हम अखबार , समाचार सब देखकर भी कितनी जानकारियों से दूर हैं ।
बहुत शानदार पोस्ट।
बहुत-बहुत धन्यवाद, कुसुम जी
आपके लेखों द्वारा सदैव बेहतरीन और सीखप्रद जानकारी मिलती है । हृदय से आभार एक नई जानकारी देते लेख हेतु।
मीना जी
उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। ब्लॉग पर सदा स्वागत है
जननायक सिंघुराम के बारे में रोचक जानकारी दी आपने गगन जी |मुझे ये जानकारी थी ही नहीं | कितनी अच्छी और ज्ञानवर्धक जानकारी है | आभार बहुत कम है इसके लिए | फिर भी हार्दिक आभार |
रेणु जी
उत्साहवर्धन करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
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