राम-रावण युद्ध के समय निर्णायक भूमिका निभाने वालीं, नौ अति दिव्य शक्तियों की प्राप्ति के लिए हनुमान जी ने सूर्य देव को अपना गुरु बनाया था। सूर्य देव ने भी भविष्य को देखते हुए अपने इस बेहद प्रतिभाशाली शिष्य को उन दिव्य नौ विद्याओं का ज्ञान देने का संकल्प कर लिया था । पर पांच विद्याएं देने के बाद उनके समक्ष एक संकट आ खड़ा हुआ ! क्योंकि शेष चार विद्याएं उसी पात्र को दी जा सकती थीं जो विवाहित हो ! क्योंकि उन दिव्य शक्तियों के तेज को वहन करना किसी अकेले के बस की बात नहीं थी ¡ पर हनुमान जी ठहरे बाल ब्रह्मचारी................!
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रामायण, निर्वादित रूप से देश का सबसे लोकप्रिय ग्रंथ ! जिसकी लोकप्रियता सागर लांघ विदेशों तक फ़ैल गयी ! जिसका अनेकों विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ ! संस्कृत में रचित वाल्मीकि रामायण के अलावा जिसको कई-कई विद्वानों ने अपनी भाषा में अपनी सोच और श्रद्धा के अनुसार लिखा ! इसी कारण समय-काल-परिवेश के अनुसार मुख्य कथा के साथ ना जाने कितनी उपकथाएं फिर उनकी उपकथाएं जुड़ती चली गयीं। यही कारण है कि हमें यदा-कदा मुख्य किरदारों से जुड़े कुछ अलग से आख्यान अपनी निशानियों सहित देखने-पढ़ने को मिल जाते हैं।
रामायण में श्री राम के बाद सबसे लोकप्रिय, पूजनीय और आदरणीय पात्र हनुमान जी का है। उनके बारे में निर्विवाद धारणा यही है कि उन्होंने कभी विवाह नहीं किया। वे सदा ब्रह्मचारी ही रहे ! इसलिए उनकी पूजा भी इस बात को ध्यान में रखकर की जाती है।हालांकि राम-रावण युद्ध के दौरान एक जगह उनके पुत्र मकरध्वज का नाम आता जरूर है पर उनके विवाह का जिक्र नहीं मिलता। परंतु कुछ कथाओं में उनके विवाह का जिक्र मिलता है ! ऐसी ही एक जगह है खम्मम ! तेलंगाना में हैदराबाद से करीब सवा दो सौ की.मी. की दूरी पर स्थित इस जिले के एक प्राचीन मंदिर में हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी सुवर्चला की प्रतिमा भी स्थापित है ! यहां भक्त पूरी श्रद्धा के साथ दोनों की पूजा करते हैं।
पाराशर संहिता में हनुमान जी के विवाह का जिक्र मिलता है ! जिसके अनुसार हनुमान जी ने नौ अति दिव्य विद्याओं की प्राप्ति के लिए सूर्य देव को अपना गुरु बनाया था। ये नौ विद्याएं आने वाले समय में राम-रावण युद्ध के समय निर्णायक भूमिका निभाने वालीं थीं।सूर्य देव ने भविष्य को देखते हुए अपने इस बेहद प्रतिभाशाली शिष्य को उन दिव्य नौ विद्याओं का ज्ञान देने का संकल्प कर लिया था। पर पांच विद्याएं देने के बाद उनके समक्ष एक संकट आ खड़ा हुआ ! क्योंकि शेष चार विद्याएं उसी पात्र को दी जा सकती थीं जो विवाहित हो ! क्योंकि उन दिव्य विद्याओं के तेज को वहन करना किसी अकेले के बस की बात नहीं थी। सूर्य देव ने हनुमान जी को बताया कि मेरी मानस पुत्री सुवर्चला परम तपस्वी और तेजस्वी है उसका तेज तुम ही सहन कर सकते हो, और उससे विवाहोपरांत तुम दोनों उन चार विद्याओं के तेज को संभाल पाओगे ! उससे विवाह के बाद तुम इस योग्य हो जाओगे कि शेष 4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान प्राप्त कर सको। इसके अलावा और कोई उपाय उन विद्याओं को हासिल करने का नहीं है ! अब हनुमान जी भी धर्म संकट में पड़ गए, क्योंकि वो सूर्य देव से विद्याएं लेना तो चाहते थे, लेकिन साथ ही वो ब्रह्मचारी भी बने रहना चाहते थे। तब सूर्य देव ने उन्हें समझाया कि विवाह होते ही सुवर्चला तपस्या में लीन हो जाएगी। इससे तुम्हारे संकल्प पर कोई आंच भी नहीं आएगी और तुम्हें सारी विद्याएं भी प्राप्त हो जाएंगी। यह सुन काफी सोच-विचार के बाद आखिर हनुमान जी विवाह के लिए मान गए। उनकी रजामंदी मिलने पर सूर्य देव ने अपने तेज से सुवर्चला का आह्वान किया और इस तरह हनुमान जी का विवाह सम्पन्न हुआ और उन्होंने अपना ब्रह्मचर्य अटूट रखते हुए उन दिव्य शक्तियों को हासिल किया।
तेलंगाना के खम्मम जिले में बना यह पुराना मंदिर सालों से लोगों का आकर्षण का केंद्र रहा है। शेष भारत में रहने वाले लोगों के लिए यह जगह किसी आश्चर्य से कम नहीं है क्योंकि उधर लोगों का विश्वास इस बात में ज्यादा है कि हनुमान जी ब्रह्मचारी थे ! पर स्थानीय लोग ज्येष्ठ शुद्ध दशमी, भारतीय पंचांग के अनुसार तृतीय माह की दसवीं तिथि, को हनुमान जी के विवाह के रूप में मनाते हैं। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार जो भी हनुमानजी और उनकी पत्नी के यहां आ कर दर्शन करता है, उन भक्तों के वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है।