किसी किले जैसी दुर्गम बनावट वाली गहरी प्राकृतिक गुफा में दस मीटर की ऊंचाई से एक झरना गिरते हुए एक अद्भुत दृश्य की रचना करता है। इसे देख कर बचपन में पढ़ी कॉमिक्स में ''फैंटम'' और उसके निवास की याद आ जाती है, बीहड़ का वैसा ही रहस्यमयी वातावरण, उसी से मिलती-जुलती गुफा, वैसा ही झरना..............!
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गुच्चुपानी ! नाम सुन कर ऐसा लगता है जैसे गुपचुप यानी पानीपुरी के चटपटे पानी की बात हो रही हो। पर यह नाम है देहरादून के प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट का। मसूरी मार्ग पर देहरादून चिड़िया घर के पास, शहर से सात-आठ की.मी. की दूरी पर स्थित इस 650 मीटर, किले जैसी बनावट वाली गहरी प्राकृतिक गुफा में दस मीटर की ऊंचाई से एक झरना गिरते हुए एक अद्भुत दृश्य की रचना करता है। इसे देख कर बचपन में पढ़ी कॉमिक्स में ''फैंटम'' और उसके निवास की याद आ जाती है। इस जगह प्रकृति का एक अनोखा कारनामा भी घटित होता है जिसके तहत पानी की एक लहर उठती है और फिर गायब हो कुछ दूर जा कर फिर दिखने लगती है शायद इसी वजह से इसका नाम गुपचुप पानी पड़ा होगा जो समय के साथ बदल गुच्चुपानी हो गया होगा।
अंग्रेजों के समय में लुटेरे शासन से बचने के लिए इस जगह को खुद और अपने लूट के सामान को छिपाने के काम में लाते थे। इसके रास्तों का खतरनाक और बीहड़ होने के कारण वे पुलिस से बच निकलने में कामयाब हो जाते थे। इसीलिए इसे गुच्चुपानी के अलावा रॉबर्स केव यानी डाकुओं की गुफा के नाम से भी जाना जाता है। यह आज भी उतनी ही रहस्यमय है जितनी तब थी पर अब यह एक पर्यटन स्थल का रूप ले चुकी है जहां सैंकड़ों लोग रोज तफरीह करने आते हैं।
गाड़ियों के स्टैंड के पास पानी की धारा के साथ ही सीढ़ियों के साथ एक चबूतरा सा बना हुआ है जिसके आगे पानी में जूते ले जाने की मनाही है। वहीं से पानी में होते हुए करीब सौ मीटर की दूरी पर गुफा का प्रवेश मार्ग है। दूर से यह अहसास होता है कि सामने की पहाड़ियां जुडी हुई हैं, जबकि ऐसा नहीं है। उन्हीं के बीच से निकल उस झरने के अद्भुत दृश्य के दर्शन होते हैं। पानी में चलते हुए सावधानी आवश्यक है। छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़े, फिसलन और जलीय जंतुओं का ध्यान रख कर बिना जल्दीबाजी के आगे बढ़ना ही ठीक रहता है।
धीरे-धीरे यहां भी व्यवसायिकता अपने पैर पसारने लगी है जिसके तहत खाने-पीने की दुकानों के साथ-साथ किराए पर स्लीपर और कपडे भी मिलने लगे हैं। और तो और गीले कपडे बदलने के लिए ''बूथ'' जैसी जगहें भी किराए पर दी जाने लगी हैं। डर यही है कि कहीं सहस्त्र धारा की तरह ही इस जगह का प्राकृतिक सौंदर्य भी कहीं नष्ट ना कर दिया जाए।
7 टिप्पणियां:
अनीता जी
बहुत-बहुत आभार
बहुत सुंदर चित्रण ,दून दर्शन करने के लिए आभार आपका ,सादर नमन
कामिनी जी
बहुत-बहुत धन्यवाद
बहुत बढ़िया
ओंकार जी
सदा स्वागत है
कॉलेज के दौरान इधर एक बार गया था। मज़ा आ गया था। आपने याद ताज़ा कर दी। गुफा के अंदर जाना और पत्थरों पर चढ़ना सच में रोमांचकारी अनुभव होता है।
विकास जी
मैं तो किनारे से ही लहरें गिन वापस हो लिया था
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