शुक्रवार, 7 जून 2019

किटी पार्टी, कुछ रोचक जानकारियां

किसी समय बचत करने या पैसा बचाने के उद्देश्य से जन्मे इस तरीके यानी ''किटी'' ने आज समाज के विभिन्न वर्गों में भी अपनी पैठ बना ली है। एक मुश्त अच्छी-खासी रकम मिलने के कारण यह बहुतेरे लोगों की परेशानियों का हल बन कर सामने आयी है। इसकी लोकप्रियता का एक कारण यह भी है कि इसमें कोई अतिरिक्त लाभ जैसे ब्याज आदि लिया-दिया नहीं जाता है। इसके अतिरिक्त इसका एक फायदा और भी है कि बड़े शहरों में अकेलेपन से जूझते लोगों, खासकर महिलाओं का एक-दूसरे से मिलने, हाल-चाल जानने के साथ-साथ मनोरंजन और आर्थिक सहायता का इंतजाम भी हो जाता है .................!

#हिन्दी_ब्लागिंग 
किटी पार्टी की शुरुआत कब और कहां हुई, यह कहना तो कुछ मुश्किल है पर कैसे हुई इसका कुछ-कुछ अंदाजा लगाया जा सकता है। किटी का मतलब होता है सामूहिक धन ! यानी कुछ लोगों द्वारा किसी ख़ास उद्देश्य से एकत्रित की गयी एक छोटी सी रकम। कभी आपसी सहायता से किसी जरूरतमंद अपने साथी-मित्र-संबंधी की मदद करने की सदेच्छा आज मनोरंजन का साधन भी बन गयी है और जाने-अनजाने किसी हद तक बाजार की उदरपूर्ति का जरिया भी ! जो सुझाने लगा है अजीबो-गरीब नए-नए तरीके, जगहें, खेल इत्यादि ! 
हमारे देश का निम्न-मध्यम वर्ग सदा से ही अभावों से जूझता रहा है। शायद ही कभी अपनी सिमित आमदनी से उसकी जरूरतें पूरी हो पाती हों। अक्सर अचानक आ पड़ने वाली अपनी छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा  करने के लिए भी उसे अपने दोस्तों या फिर महाजनों का आश्रय लेना पड़ता रहा है। एक बार महाजन के ब्याज के मकड़जाल में फंसे इंसान की हालत तो सभी जानते हैं। रही दोस्तों की बात तो सदा से दोस्त या हितैषी यथाशक्ति अपने छोटे-मोटे सहयोग से अपने किसी जरूरतमंद मित्र की सहायता करते ही रहे हैं। ऐसा लगता है कि उसी सहयोग की उपयोगिता और सार्थकता को देखते हुए उस तरीके को एक अलग रंग दे स्थाई रूप से अपना लिया गया। शुरुआत में इसे अपनाते हुए जान-पहचान के कुछ हम-पेशा लोगों ने, ज्यादा बचत की गुंजाइश ना होने के कारण, सिर्फ बीस रूपए की एक छोटी सी रकम के साथ शुरुआत की  होगी ! उसी बीस रूपए के कारण इसका नाम ''बीसी'' पड़ा होगा। जो कालांतर में ''बचत कमेटी'' के रूप में जाना जाने लगा। इसलिए किटी को कई जगह ''बीसी'' या ''कमेटी'' के नाम से भी जाना जाता है। धीरे-धीरे इसकी उपयोगिता को देखते हुए इसकी लोकप्रियता चारों ओर, खासकर छोटे शहरों और कस्बों में भी फैलती चली गयी !  
   
किसी समय कोई बचत ना हो पाने की सूरत में किटी, यानी पैसा बचाने के उद्देश्य से जन्मे इस तरीके ने समाज के विभिन्न वर्गों में भी अपनी पैठ बना ली। एक मुश्त अच्छी-खासी रकम मिलने के कारण यह बहुतेरे लोगों की परेशानियों का हल बनने लग गया। इसकी लोकप्रियता का कारण यह भी था कि इसमें कोई अतिरिक्त लाभ जैसे ब्याज आदि नहीं लिया-दिया जाता था। एक छोटी राशि जमा करने पर क्रमवार हरेक को एक अच्छी-खासी बड़ी रकम मिल जाती थी, जिससे उसके पैसे के अभाव में रुके कई काम पूरे हो जाते थे। इसके अलावा एक अतिरिक्त फायदा यह भी था कि लोग कम से कम महीने में एक बार मिल बैठ कर एक दूसरे का हाल-चाल जान लेते थे, मनोरंजन के साथ-साथ आर्थिक सहायता का इंतजाम भी हो जाता था।
किटी की शुरुआत भले ही पुरुषों ने की हो, पर इसकी उपयोगिता के कारण यह महिलाओं द्वारा ऐसे अपना ली गयी कि आज किटी या बीसी (बजट कमेटी) महिलाओं की पार्टी का पर्याय हो गयी है। पहले जिस आयोजन का उद्देश्य सिर्फ कुछ बचत करना था, आज वह महिलाओं का बचत के साथ-साथ आपस में मिलने-जुलने, तफरीह, एक मुश्त पैसा पाने और कुछ समय सिर्फ अपने लिए गुजारने का बेहतरीन जरिया भी बन गया है। घर में अकेलेपन से जूझती अधिकांश बुजुर्ग महिलाओं के लिए भी यह प्रणवायु सिद्ध हो रहा है। बहुतेरी महिलाएं हर हफ्ते अलग-अलग आयोजित ऐसी पार्टियों में शिरकत कर ख़ुशी के कुछ पल अपने लिए संजो लेती हैं। यही वजह है कि छोटे शहरों और कस्बों में भी किटी पार्टी तेजी से लोकप्रिय हुई है। अब तो बदलते चलन के साथ ही इसके भी कई रूप हो गए हैं जैसे, कालोनी किटी पार्टी, सीनियर सिटीजन किटी पार्टी, कपल किटी पार्टी इत्यादि !
जब समूह इत्यादि, जिसमें कई तरह के लोग जुड़े होते हैं, में कोई काम होता है तो जाहिर है अलग-अलग लोगों के विचारों से मतभेद होने की संभावना भी बढ़ जाती है इसलिए वहां कुछ नियम बना दिए जाते हैं, जिससे किसी तरह का मनमुटाव न हो और आपस में विश्वास बना रहे। वैसे ही हर किटी पार्टी के अपने कुछ नियम होते हैं जिनका कड़ाई से पालन करते हुए एक बजट कमेटी (BC) बनाई जाती है। सारे इंतजाम को सुचारु रूप से चलाने के लिए किसी एक सदस्य को कॉर्डिनेटर बना दिया जाता है, जो सभी सदस्यों को बुलाने, तारीख तय करने और पेमेंट लेने का काम करता है। जितने सदस्य होते हैं उतने ही माह निश्चित कर दिए जाते हैं। हर माह सारे सदस्य एक निश्चित राशि जमा कर एक फंड बनाते हैं और पर्ची की सहायता से कमेटी के किसी एक सदस्य चुन सारा पैसा उसे दे दिया जाता है। फिर उस सदस्य का नाम अलग कर दिया जाता है। इसी तरह हर महीने अलग-अलग सदस्य को ये फंड मिलता जाता है और इस तरह ये चक्र पूरा हो जाता है। हर सदस्य को कम से कम एक बार इसे आयोजित करना पड़ता है, और उस दिन मनोरंजन और जलपान का जिम्मा भी उसी का रहता है। आम तौर पर बारह सदस्य ही लिए जाते हैं, जिससे एक साल में चक्र पूरा हो जाए। अब मान लीजिए कि सभी को 5000 रुपये का योगदान करना है, इस तरह 60000 रुपये का फंड तैयार होता है। इस रकम को ड्रॉ द्वारा किसी एक सदस्य को दे दिया जाता है। जिस सदस्य को यह फंड मिलता है, अगली बार किटी पार्टी का सारा खर्च उसे उठाना होता है। इस तरह किटी पार्टी लोगों का ख़ासकर महिलाओं द्वारा आपस में मेलजोल बढ़ाने और बचत करने का एक बेहतरीन जरिया बन गया है। समय के साथ-साथ इसमें भी बदलाव भी आने लगे हैं और किटी पार्टियां अब किसी ख़ास थीम पर, किसी ख़ास जगह पर भी आयोजित होने लगी हैं। बाजार भी इस लोकप्रय आयोजन का फायदा उठाने में पीछे नहीं है। आज तक़रीबन हर होटल, रेस्त्रां में किटी पार्टियों के आयोजन की व्यवस्था रहने लगी है। लोग भी अपने घरों में झंझट पालने की जगह वहां जाने को प्राथमिकता देने लगे हैं।

5 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (08-06-2019) को "सांस लेते हुए मुर्दे" (चर्चा अंक- 3360) (चर्चा अंक-3290) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी, बहुत-बहुत आभार

Jyoti Dehliwal ने कहा…

किटी की रोचक जानकारी।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ज्योति जी, सदा स्वागत है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शिवम जी, अनेकानेक धन्यवाद

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