संगमरमर की सीढ़ियों और खूबसूरती से उकेरे गए खंभों को पार कर जैसे ही मंदिर में प्रवेश करते हैं तो सामने ही भगत स्वरुप ब्रह्मचारी जी का आसन नज़र आता है जिन्होंने अपने जीवन के पचास साल इस मंदिर की सेवा करते हुए गुजारे थे। उनकी फोटो और चरण पादुकाएं अभी भी लोगों के दर्शनों के लिए रखी गयी हैं।अंदर गर्भगृह में शिवलिंग के पीछे चांदी के छतर के नीचे शिव-पार्वती जी की स्वर्णाभूषणों से सज्जित मूर्तियां हैं। जिनके साथ ही कार्तिकेय और गणेश जी भी स्थापित हैं। सब कुछ इतना भव्य और सुंदर है कि दर्शनार्थी विमुग्ध हो कर रह जाता है..........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
दिल्ली का चांदनी चौक, जो देश के प्रमुख और पुराने बाजारों में से एक तो है ही, वहां की इमारतों, भवनों व पूजा स्थलों का भी अपना समृद्ध इतिहास है। ऐसा ही एक शिव मंदिर, जो गौरी-शंकर मंदिर के नाम से प्रसिद्द है, लाल किले के सामने बाजार की शुरुआत पर दिगंबर जैन लाल मंदिर और गुरुद्वारा शीशगंज के बीच जैन मंदिर से लगा हुआ, स्थित है। माना जाता है कि तकरीबन 800 साल पुराना यह मंदिर शैव सम्प्रदाय के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को ''कॉस्मिक पिलर'' या पूरे ब्रह्मांड का केंद्र माना जाता है। इसका निर्माण शिव जी के परम भक्त एक मराठा सैनिक आपा गंगाधर द्वारा करवाया गया था। कहते हैं कि एक युद्ध में उनके प्राणों पर बन आने पर उन्होंने भगवान शिव से अपने प्राणों की रक्षा की विनती की थी। प्रभू की कृपा से जब उनकी जान बच गयी तो पूर्णतया स्वस्थ होने पर उन्होंने 1761 में इस मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर के गर्भ गृह में रजत कलश के नीचे भूरे रंग के शिवलिंग के पीछे कुछ ऊपर चबूतरे पर स्वर्णाभूषणों से सज्जित पूरा शिव परिवार भी स्थापित है। यह देवस्थल शिवजी के अर्द्धनारीश्वर स्वरुप को समर्पित है।
सफ़ेद संगेमरमर से निर्मित इस मंदिर की छत को पिरामिड जैसा रूप देते हुए कोणीय आकार में बनाया गया है। 1959 में सेठ जयपुरा द्वारा इसका पूर्णोद्धार करवाया गया। इसकी बाहरी परत को चमकीले सफ़ेद रंग से रंगा गया है जिससे यह दूर से ही अवलोकित होने लगता है। वर्षों पहले जब यहां बियाबान था तब पांच पीपल के वृक्षों के बीच इस स्वयंभू शिवलिंग को देखा गया था। पास ही यमुना जी बहती थीं उसी से इनका अभिषेक हुआ करता था। ऐसी धारणा चली आ रही है कि यहां जो कोई भी पारिवारिक सुख-शान्ति, स्वास्थ्य या संतान प्राप्ति के लिए प्रभू की शरण में आ सच्चे मन से प्रार्थना करता है उसकी मनोकामना गौरी शंकर वैसे ही पूरी करते हैं जैसे उन्होंने अपने भक्त आपा गंगाधर की करी थी।
मंदिर जमीं से कुछ ऊंचाई पर बना हुआ है शायद वहाँ कोई टिला हुआ करता होगा। संगेमरमर की सीढ़ियों और नक्काशीदार खंभों को पार कर जैसे ही मंदिर में प्रवेश करते हैं तो सामने ही चांदी की छरी के नीचे रजत पात्र से लिपटे भूरे रंग के शिवलिंग के दर्शन होते हैं। उसके पीछे कुछ ऊंचाई पर चबूतरे नुमा जगह पर चांदी के छतर के नीचे शिव-पार्वती जी की स्वर्णाभूषणों से सज्जित मूर्तियां हैं। जिनके साथ ही कार्तिकेय और गणेश जी भी स्थापित हैं। सब कुछ इतना भव्य और सुंदर है कि दर्शनार्थी विमुग्ध हो कर रह जाता है। मंदिर के पीछे बड़े हॉल में ''भगत स्वरुप ब्रह्मचारी जी'' का आसन नज़र आता है, जिन्होंने अपने जीवन के पचास साल इस मंदिर की सेवा करते हुए गुजारे थे। उनकी फोटो और चरण पादुकाएं अभी भी लोगों के दर्शनों के लिए रखी हुयी हैं। उसी के पीछे कांच के बने एक कक्ष में शिव जी की आदमकद प्रतिमा रखी हुई है जिसके बाहर पीतल के बने नंदी विराजमान है। जैसा कि बताया जाता है कि स्वयंभू शिवलिंग पांच पीपल के पेड़ों के बीच मिला था तो वे पांचों पेड़ अभी भी परिसर में खड़े हैं। गौरी शंकर जी की प्रतिमाओं के अलावा प्रमुख देवी-देवताओं के पूजास्थल भी बने हुए हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि बाहर से अंदाज नहीं होता पर अंदर विशाल खुले-ख़ुले माहौल में बहुत कुछ देखने के लिए उपलब्ध है।
हालांकि दिल्ली वासियों के लिए चांदनी चौक का बाज़ार एक अपरिहार्य जरुरत है पर अधिकांश लोग इस मंदिर और इसके इतिहास के बारे में अनभिज्ञ ही हैं। तो यदि आप अभी तक दिल्ली में रहते हुए भी यहां नहीं गए हैं तो अगली बार जब भी चांदनी चौक जाना हो तो कुछ समय निकाल भगवान गौरी शंकर के इस मंदिर में दर्शन लाभ का आनंद जरूर लें।
हालांकि दिल्ली वासियों के लिए चांदनी चौक का बाज़ार एक अपरिहार्य जरुरत है पर अधिकांश लोग इस मंदिर और इसके इतिहास के बारे में अनभिज्ञ ही हैं। तो यदि आप अभी तक दिल्ली में रहते हुए भी यहां नहीं गए हैं तो अगली बार जब भी चांदनी चौक जाना हो तो कुछ समय निकाल भगवान गौरी शंकर के इस मंदिर में दर्शन लाभ का आनंद जरूर लें।
14 टिप्पणियां:
शास्त्री जी, हार्दिक धन्यवाद
बहुत ही खूबसूरती से मंदिर की व्याख्या की हैं आप ने ,मैं दिल्ली से ही हूँ और मैने ये मंदिर देखा है लेकिन इसका इतिहास मैं भी नहीं जानती थी ,सादर नमस्कार आप को
कामिनी जी, "कुछ अलग सा पर सदा स्वागत है"
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरूवार 11 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
रविंद्र जी, रचना को मान देने का हार्दिक आभार ¡ स्नेह बना रहे।
आपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 13 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
यशोदा जी, हार्दिक धन्यवाद
हर्ष जी आप का और ब्लॉग बुलेटिन का हार्दिक आभार
नई जानकारी देने के लिए हृदयपूर्वक धन्यबाद
मीना जी, आभार। सदा स्वागत हैं।
रोचक विवरण
अनिता जी, ब्लाग पर सदा स्वागत है
सुन्दर तस्वीरों के साथ रोचक जानकारी...
सुधा जी, हार्दिक धन्यवाद
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