शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

ब्लैक फ्राइडे, अजीब से नाम वाला एक खरीददारी दिवस

इस दिन से ही अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों में क्रिसमस की खरीददारी की शुरुआत होती है। इस दिन बडी-बडी कंपनियां तरह-तरह के ऑफर तो देती ही हैं, बाजार के छोटे तथा खुदरा व्यापारी भी ग्राहकों को लुभाने और खरीदने को प्रेरित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। पिछले कई सालों से यह दिन खरीददारी का सबसे व्यस्त, बड़ा और लाभप्रद दिन माना जाता है। इसकी कुछ-कुछ तुलना हम अपने यहां के ''धन तेरस'' या चीन के "सिंगल या बैचलर डे''  से कर सकते हैं पर बिक्री के लिहाज से इसकी कोई बराबरी नहीं है.........!

#हिन्दी_ब्लागिंग     
पश्चिमी देशों में बाइबल से जुड़े होने के कारण शुक्रवार का एक अलग महत्व तो है ही उसके अलावा सप्ताहंत दिवस होने के कारण भी यह महत्वपूर्ण हो जाता है, और यदि वह किसी उत्सव से जुड़ जाए तो ? ऐसा ही एक शुक्रवार है ''ब्लैक फ्राइडे'' यानी काला शुक्रवार ! नाम जरूर अजीब है पर इस दिन से ही वहां क्रिसमस की खरीदारी की शुरुआत होती है। इस दिन बडी बडी कंपनियां तरह-तरह के ऑफर तो देती ही हैं, बाजार के छोटे तथा खुदरा व्यापारी भी ग्राहकों को लुभाने और खरीदने को प्रेरित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। पिछले कई सालों से यह दिन खरीददारी का सबसे व्यस्त, बड़ा और लाभप्रद दिन माना जाता है। इसकी कुछ-कुछ तुलना हम अपने यहां के ''धन तेरस'' या चीन के "सिंगल या बैचलर डे''  से कर सकते हैं पर बिक्री के लिहाज से इसकी कोई बराबरी नहीं है।


अमेरिका का एक दिन है थैंक्स-गिविंग डे यानि धन्यवाद दिवस ! जो नवंबर के चौथे गुरुवार को मनाया जाता है। यह हमारे यहां मनाए जाने वाले फसल पर्व की तरह ही है। वहां नवंबर तक फसलों की कटाई हो जाती है, इस काम में आपसी सहयोग के लिए, एक-दूसरे का आभार जताने के लिए इसे मनाते हैं। यह वहां का राष्ट्रीय पर्व है।  इसीके अगले दिन को ब्लैक फ्राइडे कहते हैं, जो तक़रीबन 23 और 29 नवम्बर के बीच आता है। इसी दिन से पारंपरिक तौर पर क्रिसमस की खरीदारी की शुरुआत होती है। इस मोके पर कई विक्रेता अपनी दुकानें बहुत जल्दी, अक्सर 4.00 बजे सबेरे या उससे भी पहले खोल लेते हैं और बिक्री बढ़ाने और ग्राहकों को लुभाने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन यथा, ब्‍लैक फ्राइडे डील, स्‍पेशल सेल, क्रिसमस छूट जैसे ऑफर मार्केट में पेश करते हैं। कुछ खुदरा विक्रेता तो इस तिमाही में इतना कमा लेते हैं कि उन्हें वर्ष भर का मुनाफ़ा मिल जाता है। ब्लैक फ्राइडे अमेरिका में एक उत्‍सव की तरह मनाया जाता है। वैसे यह छुट्टी का दिन नहीं होता लेकिन बहुत से नियोक्ता अपने कर्मचारियों को इस दिन छुट्टी दे देते हैं जिससे बाजार में ग्राहकों की संख्या में कई गुना इजाफा हो जाता है।




अब सवाल यह है कि जब यह ग्राहकों के लिए खरीदारी, मौज-मस्ती वाला दिन है, अगर यह दिन खुदरा विक्रेताओं के लिए वर्ष की बिक्री का सबसे बड़ा दिन है तो इसे ब्लैक फ्राइडे क्यों कहा जाता है ? देखा जाए तो यह नाम उन लोगों द्वारा पड़ा, जिनकी मुसीबत इस दिन बढ़ जाती है ! चूँकि यह दिन वर्ष का सबसे व्यस्त खरीदारी का दिन होता है और लगता है, जैसे देश का हर वाशिंदा कुछ न कुछ खरीदने को बाजार में आ निकला है ! लोग जमकर खरीदारी का आनंद लेते हैं, जैसे आज नहीं तो फिर नहीं। इसी कारण वहां गलियों, सड़कों, दुकानों, बाजार-हाट में इतनी भीड़ बढ़ जाती है कि व्यवस्था बनाए रखना और उसे संभालना, यातायात को सुचारु बनाए रखना पुलिस के लिए दूभर हो जाता है। सार्वजनिक वाहनों का चलना-चलाना कष्टसाध्य हो जाता है। दुकानों के रास्ते जाम हो जाते हैं, स्वचालित सीढ़ियों पर लोगों का अंबार लग जाता है, बेकाबू भीड़ का कोई ओर-छोर नहीं होता ! इसी वजह से कई असामान्य व प्रतिकूल परिस्थितियां भी बन जाती हैं, जिनकी वजह से  पुलिस की मुसीबतें-परेशानियां और दिनों की अपेक्षा ज्यादा बढ़ जाती हैं। टैक्सी और बस चालक घंटों जाम में फसे रहने के कारण इस दिन को मुसीबत भरा, सिर दर्द व तनाव बढ़ाने वाला मानते हैं ! उनके अलावा इस दिन परेशान होने वाले वे लोग भी हैं जो दुकानों इत्यादि में काम करते हैं, इस दिन उन्हें अतिरिक्त मेहनत से बिना थके काम करना पड़ता है ! यह कर्मचारियों के लिए कड़ी मेहनत का एक लंबा दिन होता है। इन्हीं सब के चलते इस दिन को ये सब लोग 'ब्लैक फ्राइडे' कहने लग गए जो धीरे-धीरे इस दिन का पर्याय ही बन गया।


विदेशी वस्तुओं, फैशन, रहन-सहन और आयातित त्योहारों की तरह भले ही हम इसे भी अपने यहां मनाने लग जाएं पर दुनिया के कई देश इस दिन को फिजूल और बिना जरुरत की खरीददारी से जोड कर देखते हुए इसे  ''बाय नथिंग डे'' के रूप में मनाते हैं। इस दिन ख़ासकर खरीददारी का विरोध किया जाता है। लोग अपने क्रेडिट कार्ड्स तक को जला देते है और खरीददारी न करने का भी मैसेज प्रचारित-प्रसारित करते हैं ! दुनिया के करीब 65 देश इस दिन को नकारात्मक दिवस के रूप में मनाते है। जिनमें जापान, नीदरलैंड, नार्वे, फ्रांस और युनाइटेड किंगडम जैसे देश शामिल हैं। काश ! हम ''उनसे'' नहीं ''इनसे'' कुछ सीखें ! 

4 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 23/11/2018 की बुलेटिन, " टूथपेस्ट, गैस सिलेंडर और हम भारतीय “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (24-11-2018) को "सन्त और बलवन्त" (चर्चा अंक-3165) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शिवम जी, पोस्ट शामिल करने का हार्दिक आभार

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी, हार्दिक धन्यवाद

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